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Rajasthan Politics: गहलोत ने कुरेदे गड़े मुर्दे! PCC में चर्चा तेज- 'ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री' वाला बयान क्या पायलट के लिए था?

Rajasthan Congress Crisis: पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने 29 नवंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए यह बयान दिया था, जिसकी वीडियो क्लिप्स इस वक्त सोशल मीडिया और पीसीसी में चर्चा का विषय बनी हुई हैं.

Rajasthan Politics: गहलोत ने कुरेदे गड़े मुर्दे! PCC में चर्चा तेज- 'ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री' वाला बयान क्या पायलट के लिए था?
कांग्रेस को लगा झटका! गहलोत के 'ढाई-ढाई साल' वाले बयान ने क्यों मचाया बवाल?
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Rajasthan News: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कर्नाटक कांग्रेस के घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए एक ऐसा बयान दिया है, जिसने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर पुराने जख्मों को कुरेद दिया है. गहलोत ने यह कहकर पार्टी के भीतर चल रही चर्चाओं को हवा दे दी है कि "कई लोग राहुल गांधी के नाम से चला देते हैं, कि मुझे तो मुख्यमंत्री बनने के लिए ही भेजा गया है." भले ही गहलोत ने यह टिप्पणी कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में चली 'ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री' वाली बातों के संदर्भ में की हो, लेकिन पीसीसी में इस बात को लेकर जोरों पर चर्चा है कि गहलोत का यह 'तीर' कहीं और चला है.

तीर कहीं, निशाना कहीं

कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच यह आम राय है कि अशोक गहलोत का बयान सिर्फ कर्नाटक या छत्तीसगढ़ के संदर्भ में नहीं था, बल्कि इसके तार सीधे राजस्थान के पुराने राजनीतिक घटनाक्रम से जुड़े हैं. कांग्रेस के नेताओं ने याद दिलाया कि जब सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष थे, तब भी अशोक गहलोत ने सीकर में एक बयान दिया था. उन्होंने कहा था, "कई बार पहली बार पीसीसी चीफ बनने के साथ ही लोग नेता को मुख्यमंत्री बनवा देते हैं. उसके आस-पास के लोग नेता के दिमाग में यह बात बिठा देते हैं कि, वही आने वाले मुख्यमंत्री हैं. गहलोत ने कहा था कि वह संगठन पर ध्यान देने की बजाय इसी भ्रम में घूमते रहते हैं."

राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि कर्नाटक के घटनाक्रम की आड़ में गहलोत ने परोक्ष रूप से राजस्थान के उस राजनीतिक संघर्ष को कुरेद दिया है, जहां उपमुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए एक धड़े ने लगातार मुख्यमंत्री पद के दावे पेश किए थे. 'मुझे मुख्यमंत्री बनने के लिए भेजा गया है' वाली बात, उन तमाम अटकलों और दावों पर सीधा हमला है जो राजस्थान में गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान चलती रही थीं.

ढाई-ढाई साल की 'हवाबाजी'

हालांकि गहलोत ने स्पष्ट किया कि, चाहे छत्तीसगढ़ हो या कर्नाटक, 'ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री' वाले वादे की बात सिर्फ 'हवा में चलती' है. उन्होंने कहा कि "ना छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल की बात हुई. लेकिन फिर भी वहां यह बात चलती रही." उन्होंने जोर देकर कहा कि नुकसान हमारी पार्टी को होता है, जब मीडिया और अंदरूनी लोग बिना किसी पुष्टि के ऐसी बातें चलाते हैं. उन्होंने साफ कहा कि क्या फैसला हुआ, क्या नहीं हुआ, यह सिर्फ मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी या संबंधित राज्य के सीएम और डिप्टी सीएम को मालूम होता है. 

'दोस्ती नहीं, तलाक की खबर बनती है'

गहलोत ने कर्नाटक सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच चल रहे घटनाक्रम को लेकर मीडिया की कवरेज पर भी तंज कसा. उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री नाश्ते की टेबल पर मिले हैं, तो यह शुभ संकेत है और इसका मतलब है कि कोई झगड़ा नहीं है, प्यार-मोहब्बत है. गहलोत बोले, "मीडिया वालों के लिए प्यार मोहब्बत की न्यूज नहीं बनती. अगर कोई तलाक हो रहा है, तो न्यूज बनती है."

गहलोत ने शुरू की 2025 की तैयारी?

सवाल अब यह है कि क्या विपक्ष में 2 साल पूरे होने के बाद, गहलोत ने यह बयान देकर राजस्थान कांग्रेस के पुराने राजनीतिक घटनाक्रम को कुरेद दिया है, या उनकी मंशा कुछ और है? कुछ नेता इसे गहलोत की आगे की तैयारी के रूप में देख रहे हैं. उनका मानना है कि गहलोत अपने नजरिए से यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि केंद्रीय नेतृत्व के फैसलों पर किसी भी तरह की अटकलबाजी या मनमानी व्याख्या को स्वीकार नहीं किया जाएगा. कुल मिलाकर, गहलोत का यह बयान भले ही कर्नाटक के संदर्भ में दिया गया हो, लेकिन इसकी गूंज जयपुर में सबसे ज्यादा सुनाई दे रही है.

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