इस किले में है आत्मा का खौफ, पलभर में बदल जाता है मौसम
           
जयपुर के किले दुनियाभर में अपनी एक विशेष पहचान रखते हैं. ये सुंदर किला जो अरावली पर्वतमाला पर 700 फिट की उंचाई पर बना है. 
                 नाहरगढ़ किला जिसे सुदर्शन किला, हॉन्टिड प्लेस और डरावना किले के नाम से भी जाना जाता हैं. 
                 
नाहरगढ़ किले का नाम यहां के जंगलों में रहने वाले बाघों के कारण पड़ा है. जिन्हें स्थानीय भाषा में लोग नाहर भी कहते हैं.
                 
इस किले की नींव 1734 में जयपुर के राजा सवाई जय सिंह ने रखी थी. बाद में 1868 में किले के अंदर के भवनों का निर्माण और विस्तार करवाया गया.
                 कहा जाता है कि इस किले में प्रेतात्मा का साया  है , जो किले के निर्माण कार्य को पूरा नहीं होने देती थी.वह निर्माण कार्य के दौरान किले में बनाई गई दीवारों को रात में गिरा देती थी. 
                 परेशान होकर इसकी जानकारी एक तांत्रिक को दी गई. उन्होंने बताया कि एक वीर योद्धा नाहर सिंह कीआत्मा है, जो किले का काम पूरा नहीं होने दे रही. 
                 वीर योद्धा नाहर सिंह का सिर युद्द में कटने के बाद भी उनका धड़ लड़ता रहा था. 
                 इस किले का निर्माण तभी पूरा हुआ जब उस आत्मा के आदेश पर पहले वहां मंदिर बनाया गया. इसके बाद किले का नाम भी सुदर्शनगढ से बदल कर नाहरगढ़ रख दिया गया था.
                 इस किले पर कभी किसी शत्रु ने आक्रमण नहीं किया. यह किला चारों से मजबूत दिवारों से सुरक्षित है