Asian Games 2023: घुड़सवारी में 41 साल बाद भारत को गोल्ड दिलाने वाली दिव्यकृति की कहानी

राजस्थान के नागौर जिले की रहने वाली हैं दिव्यकृति, पिता विक्रम सिंह ने बेटी की ट्रेनिंग के लिए घर तक बेचा, अभी इनके अस्तबल में 80 घोड़े हैं.

Photo Credit- NDTV

एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद दो साल बाद जयपुर पहुंची दिव्यकृति सिंह का जोरदार स्वागत किया गया. इस दौरान उन्होंने अपने पिता और परिजनों को सफलता का श्रेय दिया. 

दिव्यकृति जब 7th  क्लास में थी, तभी पोलो प्लेयर पिता विक्रम सिंह के साथ दिव्यकृति ने घुड़सवारी सीख ली और कुछ ही समय में अपने स्कूल में घुड़सवारी की कप्तान बानी.

अभी दिव्यकृति सिंह का परिवार जयपुर में रहता है. जहां दिव्यकृति के पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया. 

जयपुर पहुंचने पर दिव्यकृति सिंह के स्वागत में लोग ढोल-बाजा लेकर एयरपोर्ट पहुंचे थे. जहां से फूलों की मालाओं से लदी दिव्यकृति ओपन जीप पर सवार होकर घर तक पहुंचीं.

दिव्यकृति के पिता ने उन्हें बिना किसी सरकारी बजट और बिना कोई आर्थिक सहयोग के ट्रेनिंग दी. आज उन्होंने पिता की लगन और खुद की मेहनत से यह मुकाम हासिल किया.

दिव्या कृति को प्रशिक्षण के लिए यूरोप जाना पड़ा, खर्चा बहुत ज्यादा था, यहाँ तक की पिता को अपना घर बेचना पड़ा दिव्यकृति को ये अवसर दिलाने के लिए.

जयपुर में दिव्यकृति के पहुंचने पर बड़ी संख्या में लोग और बच्चे उनसे मिलने पहुंचे. इनमें से कई ने उनसे ऑटोग्राफ भी लिया. दिव्यकृति ने कहा कि वो खेल में अपना प्रदर्शन ऐसे ही बनाए रखना चाहती है.

Asian Games 2023: राजस्थान की दिव्यकीर्ति सिंह ने गोल्ड जीतकर रचा इतिहास

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