कैसे फूट गई थी धन देवता कुबेर की आंख
इस साल धनतेरस 18 अक्तूबर को मनाया जाएगा. इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है.
भगवान कुबेर महर्षि विश्रवा के पुत्र थे. उनके दादा का नाम महर्षि पुलस्त्य था. रावण उनका सौतेला भाई था.
भगवान कुबेर की एक आंख सोने की थी जिसके बारे में बहुत से कम लोग जानते है.
भगवान कुबेर एक बार महादेव की कठोर तपस्या करने का संकल्प लिया. जिसके लिए वह काशी नगरी पहुंचे थे.
तपस्या के स्थान पर कुबेर ने एक शिवलिंग की स्थापना की. जिसका पूजन उन्होंने हजारों वर्षों तक किया था.
हजारों वर्षों तक तप करते हुए उन्हें देख महादेव ने उन्हें दर्शन माता पार्वती संग दर्शन दिए.
हजारों वर्षों तक तप में रहने के कारण कुबेर महादेव का तेज सहन नहीं कर पाए और उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली.
इस पर कुबेर ने भगवान शिव से दिव्य दृष्टि प्रदान करने की प्रार्थना की, जिससे वे उनके अलौकिक तेज को सहन कर देख सकें.
दिव्य दृष्टि मिलने के बाद कुबेर अपनी बड़ी आंखों से शक्ति को देखने लगे.
कुबेर लगातार माता पार्वती को देखते रहे. इससे मां को क्रोध आया और उनके तेज से कुबेर की आंख फूट गई.
महादेव ने उमा को शांति कराया और बताया कि वो एक भक्त और आपके तेज को समझने का प्रयास कर रहा है.
इसके बाद भगवान शिव ने कुबेर को एक सोने की आंख दी और उन्हें यक्षों और धन के अधिपति बनने का आशीर्वाद दिया.
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