Flamingos Camping In Banswara: सौ टापुओं के जिले के नाम से मशहूर बांसवाड़ा की आबो हवा इन दिनों राजहंस यानी फ्लेमिंगो को खूब रास आ रही है और माही डेम बैक वाटर में हजारों की संख्या में राजहंस (फ्लेमिंगो) ने डेरा डाला हुआ है. गुजरात के कच्छ से आमतौर पर फ्लेमिंगो गर्मियों की शुरुआत में यहां आते हैं.
गर्मियों का सीजन इन पक्षियों के लिए होता है प्रजनन काल
शहर से 16 किलोमीटर दूर माही बांध के बैक वाटर में इन दिनों इन पक्षियों की अठखेलियां और प्रकृति के साथ उनका ताल-मेल देखने को मिल रहा है. यहां पर छीछला पानी होने के साथ ही साफ पानी में सैकड़ों की संख्या में फ्लेमिंगो का यहां आना पर्यावरण के लिए अच्छा संकेत है
गुजरात का राज्य पक्षी भी है ग्रेटर फ्लेमिंगो
वैज्ञानिक नाम फोनीकॉप्टरस रोज़ेयस से जाने-जाने वाले फ्लेमिंगो पक्षी एक भ्रमणशील प्रजाति है. इनकी फीडिंग साइट अक्सर अलग-अलग देशों में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर होती है. इन स्थानों तक जाने के लिए ज़्यादातर उड़ानें रात में होती हैं. फ्लेमिंगो एक प्रवासी पक्षी है, जो ठंड से बचने के लिए और भोजन की तलाश में एशिया में प्रवास करता है.
सुरक्षा और ब्रीडिंग को लेकर अक्सर मूवमेंट करते हैं फ्लेमिंगो
पर्यावरण व पक्षी प्रेमी यश सराफ ने बताया कि फ्लेमिंगो पक्षी सुरक्षा, खाना और ब्रीडिंग को लेकर अक्सर मूवमेंट करते हैं. गुजरात के कच्छ से बांसवाड़ा आने वाले फ्लेमिंगो ब्रीडिंग स्थान पर भोजन की उपलब्धता और सुरक्षा में कमी को देखते हुए एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं.
इसलिए बांसवाड़ा का माही बांध बना फ्लेमिंगो का आशियाना
माही बांध में भोजन की उपलब्धता के कारण आजकल फ्लेमिंगो का कुनबा बासंवाड़ा को डेरा बना लिया है. फ्लेमिंगो एक सामाजिक प्राणी होते हैं, जो समूह में उड़ान भरते हैं. एक समूह में इनकी संख्या 15 से 50 हो सकती है. आमतौर पर एक पैर पर खड़े दिखाई देने वाला फ्लेमिंगो एक पैर पर खड़े होकर अधिकाधिक बॉडी हीट को संरक्षित करता है.