Hanuman Beniwal vs Govind Dotasara: राजस्थान में 7 सीटों पर उपचुनाव के नतीजों से भले ही सरकार की सेहत पर असर ना हो. लेकिन इसका संदेश पूरे राज्य में जाएगा. बीजेपी जहां संख्याबल बढ़ाने के लिए इरादे से मैदान में हैं. वहीं, दूसरी ओर लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस (Congress) आगे भी इसे भुनाना चाहेगी. गठबंधन के साझीदार दलों के सामने भी उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस ने रणनीति स्पष्ट कर दी है. बड़ा सवाल यही है कि आखिर गठबंधन के दम पर लोकसभा चुनाव में बेहतर परिणाम हासिल करने वाली कांग्रेस 4 महीने के भीतर ही अकेले चुनाव लड़ने क्यों जा रही है? संभावना है कि इस रणनीति के जरिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Dotasara) ने एक तीर से कई निशाने लगाए हैं.
बेनीवाल के खिलाफ डोटासरा ने आलाकमान को पहुंचाई रिपोर्ट
अंदरखाने इस बात की चर्चा है कि आरएलपी मुखिया हनुमान बेनीवाल तो कांग्रेस के साथ गठबंधन के प्रयास में थे, लेकिन कांग्रेस को लेकर उनकी बयानबाजी के चलते ऐसा मुमकिन नहीं हुआ. डोटासरा ने बेनीवाल के बयान और उनके रवैए की रिपोर्ट आलाकमान तक पहुंचाई. साथ ही हरियाणा चुनाव के दौरान कांग्रेस के खिलाफ बेनीवाल के चुनाव प्रचार कार्यक्रम से भी डोटासरा नाराज थे. इसी के चलते राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से कांग्रेस ने गठबंधन नहीं किया.
खींवसर में बेनीवाल और डोटासरा एक-दूसरे पर करेंगे वार?
अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की टिकट पर हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल खींवसर से मैदान में है. वहीं, कांग्रेस ने रतन चौधरी को मैदान में उतार दिया है. दोनों ही दलों ने महिलाओं को टिकट दी है. खींवसर सीट पर प्रत्याशी उतारने के पीछे डोटासरा का मकसद बेनीवाल को राजनैतिक तौर पर कमजोर करना बताया जा रहा है. इस सीट पर खुद डोटासरा भी प्रचार करने पहुंचेंगे और दूसरे छोर पर हनुमान बेनीवाल मोर्चा संभाले हुए हैं. ऐसे में दोनों नेता आमने-सामने नजर आ सकते हैं. इससे पहले भी बेनीवाल ने डोटासरा को गमछा हिलाने वाला नेता बताया था और उनका यह बयान काफी चर्चा में भी रहा था.