Rajasthan By Election: 7 सीटों के नतीजों के बाद ऐसे बनेंगे-बिगड़ेंगे राजनीति के समीकरण, कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर

Rajasthan By election: भले ही उपचुनाव के नतीजों से सरकार की सेहत पर असर ना पड़े, लेकिन चुनावी परिणाम का असर राजस्थान की सियासत पर जरूर होगा.

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Rajasthan Bypolls: राजस्थान में विधानसभा की 7 सीटों पर बुधवार 13 नवंबर को उपचुनाव के लिए वोटिंग होगी. इन 7 में से 5 सीटों खींवसर, चौरासी, सलूंबर, झुंझुनू और देवली-उनियारा पर त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है. जबकि दौसा और रामगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. भले ही उपचुनाव (By election) के नतीजों से सरकार की सेहत पर असर ना पड़े, लेकिन चुनावी परिणाम का असर राजस्थान की सियासत पर जरूर होगा. क्योंकि नतीजों के बाद यह भी तय हो जाएगा कि जाट बाहुल्य सीट झुंझनूं और खींवसर में समाज किसके साथ है. जबकि दक्षिण राजस्थान की 2 सीटों (सलूंबर और चौरासी) पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला ना होकर, बीएपी (BAP) भी चुनौती पेश कर रही है. दूसरी ओर, देवली उनियारा में बीजेपी के लिए गुर्जर और कांग्रेस के लिए मीणा वोट बैंक को बचा पाना चुनौती है. खास बात यह भी है कि राजस्थान में लोकसभा चुनाव में जिस गठबंधन के सहारे कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की थी, अब उन्हीं पार्टियों के उम्मीदवार 3 सीटों पर कांग्रेस के सामने मैदान में हैं. 

झुंझुनूं और देवली-उनियारा में निर्दलीय भी पेश कर रहे हैं चुनौती

झुंझुनूं- राजेंद्र भांबू (बीजेपी), अमित ओला (कांग्रेस), राजेंद्र गुढ़ा (निर्दलीय)

खींवसर- रेवंत राम (बीजेपी), रतन चौधरी (कांग्रेस), कनिका बेनीवाल (RLP)

चौरासी- कारीलाल ननोमा (बीजेपी), महेश रोत (कांग्रेस), अनिल कटारा (BAP)

सलूंबर- शांता देवी (बीजेपी), रेशमा मीणा (कांग्रेस), जितेश कटारा (BAP)

देवली-उनियारा- राजेंद्र गुर्जर (बीजेपी), केसी मीणा (कांग्रेस), नरेश मीणा (निर्दलीय)

दौसा- जगमोहन मीणा (बीजेपी), दीनदयाल बैरवा (कांग्रेस)

रामगढ़- सुखवंत सिंह (बीजेपी), आर्यन जुबेर खान (कांग्रेस)

कांग्रेस के साथ भजनलाल सरकार का भी लिटमस टेस्ट

इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर बीएपी प्रत्याशी राजकुमार रोत और बागीदौरा उपचुनाव में बीएपी के जयकृष्ण पटेल को कांग्रेस ने समर्थन दिया था. लेकिन चुनाव परिणाम घोषित होने बाद जब राजनीति प्रदेश के मुद्दों पर एक बार फिर केंद्रित होने लगी तो कांग्रेस के सहयोगी दल कहते सुनाई दिए कि गठबंधन तो राष्ट्रीय स्तर पर था. कांग्रेस नेता लोकसभा चुनाव में पद छोड़ने के बदले अब सहयोगी दलों से त्याग करने की बात कहने लगे. लेकिन बीएपी हो या आरएलपी, दोनों ने ही उम्मीदवारों की टिकट की घोषणा कर दी. 

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इसके अलावा 10 महीने पुरानी राजस्थान की भजनलाल सरकार के लिए भी यह उपचुनाव लिटमस टेस्ट की तरह ही है. क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में सलूंबर के अलावा अन्य 6 सीटें बीजेपी हार चुकी है. ऐसे में इन सीटों पर जीत दिलाने के लिए टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रचार और रणनीति का पूरा जिम्मा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खुद संभाला था. 

भाई की जीत या हार तय करेगी किरोड़ीलाल मीणा की राजनीति

दौसा विधानसभा सीट पर बीजेपी के शंकर लाल शर्मा ने साल 2013 में जीत हासिल की थी. इसके बाद से साल 2018 और 2023 में कांग्रेस उम्मीदवार मुरारी लाल मीणा से हार का सामना करना पड़ा. पिछले 10 साल से कांग्रेस के खाते में जा रही इस सीट पर बीजेपी ने दिग्गज नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को मैदान में उतारा है. ऐसे में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है. साथ ही सांसद मुरारी लाल मीणा की सीट रही दौसा सचिन पायलट का भी गढ़ माना जाता है. जिसके चलते इन दोनों नेताओं के लिए भी यह सीट काफी अहम है.  

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आरएलपी का विधानसभा में एक भी सदस्य नहीं

नागौर जिले की खींवसर सीट से राष्‍ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के हनुमान बेनीवाल विधायक बने थे, जो लोकसभा चुनाव 2024 में नागौर से सांसद बन गए. अब इस सीट पर तीनों पार्टियों की ओर से जाट प्रत्याशी ही मैदान में हैं. बीजेपी से रेवंतराम डांगा, कांग्रेस से डॉ. रतन चौधरी और आरएलपी की कनिका बेनीवाल के बीच टक्‍कर है. इससे पहले हनुमान बेनीवाल ने भाई नारायण बेनीवाल को चुनाव लड़वाया, अबकि बार पत्नी को उम्मीदवार बनाया है. अगर इस चुनाव में आरएलपी नहीं जीतती है तो विधानसभा में उसका एक भी विधायक नहीं होगा. साफ तौर पर पार्टी के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है, जिसकी बात खुद बेनीवाल भी कह चुके हैं. चुनाव प्रचार के दौरान आरएलपी सुप्रीमो ने भी बयान दिया था कि अगर इस उपचुनाव में वो हार जाती है तो अगले दिन हेडलाइन बनेगी- RLP राजस्थान से मिट गई. 

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क्या चौरासी में खूंटा गाड़ चुकी है बीएपी?

विधायक राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) के इस साल बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सीट खाली हो गई थी. अब इस सीट पर भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने चिखली से युवा जिला परिषद सदस्य अनिल कटारा को मैदान में उतारा है. पिछले दो चुनाव से सीट को जीतने वाले रोत के लिए इस बार यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय भी है. पहले बीटीपी और फिर बीएपी (BAP) से चुनाव जीत चुके रोत का यह गढ़ ढहाने के लिए बीजेपी भी पूरा जोर लगाए हुए है. जबकि कांग्रेस ने सांसरपुर सरपंच महेश रोत को उतार दिया है. सीमलवाड़ा प्रधान कारीलाल ननोमा बीजेपी से उम्मीदवार है. बीएपी के लिए दोनों पार्टियों के अलावा बागी भी चुनौती है. चिखली से बीएपी प्रधान के पति बदामीलाल ताबियाड़ ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं.

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