Diwali Kab Hai: भारत के सबसे बड़े त्योहरों में से एक दीपावली का पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो 'अंधकार पर प्रकाश की विजय' को दर्शाता है. मगर, इस साल अमावस्या की सही तारीख को लेकर बहुत कन्फ्यूजन है, जिस कारण कुछ जगहों पर दिवाली 31 अक्टूबर तो कुछ जगहों पर 1 नवंबर को मनाई जा रही है. ज्योतिषविदों के अनुसार, अमावस्या आज दोपहर 3 बजकर 53 मिनट से शुरू होगी जो कल शाम 6 बजकर 17 मिनट तक रहेगी. उसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. इस कारण लक्ष्मी पूजन का समय भी बदल गया है.
लक्ष्मी पूजन कब है?
उदयपुर के जाने माने पंडित हरिश्चंद्र शर्मा ने बताया कि देवी लक्ष्मी को रात में पृथ्वी पर भ्रमण करने वाला माना गया है, इसलिए दीपावली की विशेष पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का समय होता है जो करीब 2 घंटे 24 मिनट तक रहता है. 31 अक्तूबर को पूरी रात अमावस्या तिथि रहेगी. ऐसे में दीपदान करने के लिए 31 अक्टूबर की रात का समय ज्यादा उचित है. हालांकि लक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को भी किया जा सकता है. मगर, पूजन का समय रात को होने की बजाय शाम का होगा.
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 31 अक्टूबर 2024
अगर आप 31 अक्टूबर को दिवाली मना रहे हैं तो लक्ष्मी पूजन के तीन शुभ मुहूर्त हैं. पहला गोधूलि मुहूर्त, जो शाम 05:36 बजे से 06:02 बजे तक रहेगा. दूसरा संध्या मुहूर्त, जो शाम 05:36 बजे से 06:54 बजे तक रहेगा. जबकि तीसरा निशिथ काल मुहूर्त, रात 11:39 बजे से 12:31 बजे तक रहेगा. एक लाइन में कहें तो 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 06:25 से रात 08:20 बजे के बीच रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी पूजन विशेष फलदायी होगा.
अगर आप 1 नवंबर को दिवाली मना रहे हैं तो यह बात जान लें कि शाम 06:16 बजे तक अमावस्या तिथि व्याप्त रहेगी और सूर्यास्त करीब 05:36 बजे होगा. यानी 01 नवंबर को लक्ष्मी पूजन के लिए करीब 40 मिनट का ही शुभ मुहूर्त मिलेगा. इसके बाद प्रतिपदा लग जाएगी. पंडितों के अनुसार, 01 नवंबर को प्रदोष काल के शुरू होने के कुछ मिनटों बाद ही अमावस्या तिथि समाप्त हो रही है. ऐसे में 31 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाना और लक्ष्मी-गणेश की पूजा करना शास्त्रों के अनुसार श्रेष्ठ रहेगा.
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