Rajasthan: पाली के देवली पाबूजी गांव का नारायणलाल चौधरी ने 16 साल से गोल्डन सीताफल की खेती कर रहे हैं. लाखों रुपए कमा रहे हैं. उन्होंने नौकरी छोड़कर गांव में 18 बीघा बंजर-जमीन खरीदी. जमीन को वापस उपजाऊ बनाकर उसमें गोल्डन सीताफल के 2500 पौधे लगाकर खेती शुरू की. फसल जैविक खाद में तैयार की जाती है, किसान नारायण लाल चौधरी का कहना है कि खेती करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि आज के समय मे युवा अपनी खेती की जमीन को छोड़कर शहरों में नौकरी के लिए जाते हैं. जबकि, खेत की रीढ़ की हड्डी किसान है, आज के समय में कोई भी खेती करना पसंद नहीं करता है. जबकि, खेती से बड़ा कोई व्यवसाय नहीं है, युवाओं को प्रेरित कर वापस गांव में लाना और खेती की नई तकनीक और नई फसलों को लेकर मोटिवेशन मिल सके, इसलिए गांव ने आकर खेती करने का निर्णय लिया.
बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ
शुरुआत में कई समस्या का सामना करना पड़ा. बंजर जमीन के कारण कई लोगों ने मना भी किया. लेकिन, हिम्मत नहीं हारी. उसी बंजर भूमि की सफाई की, दूसरे स्थानों से उपजाऊ मिट्टी मंगवाकर खेत में डाली, उसके बाद गोल्डन सीताफल की खेती की. यही नहीं सीताफल की फसल में गोबर की खाद का उपयोग करते हैं. फसल लेने के बाद पौधों की पत्तियों और तनों को भी खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
अलग-अलग खेती पर किया रिसर्च
नारायण का कहना है कि खेती का फैसला लेने से पहले दो-तीन साल तक अलग-अलग तरह की खेती के बारे में रिसर्च किया, जिससे बंजर जमीन पर फसल की पैदावार अच्छी ली जा सके. अलग-अलग किसानों से मिले, उनके खेतों का दौरा किया. इस बात का पता लगाया कि कौन सी फसल यहां अच्छी होगी. उन्होंने पाया कि सीताफल की फसल को कम पानी की जरूरत होती है, इसलिए उन्होंने अपने खेत में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगाया. शुरुआत में उन्हें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने उनका समाधान निकाल लिया. वर्तमान में 18 बीघा जमीन पर 2500 गोल्डन सीताफल के पेड़ लगाया है.
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