Bijainagar Case: बिजयनगर के बहुचर्चित ब्लैकमेल कांड में राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है. विधानसभा अध्यक्ष और बीजेपी नेताओं की मांग पर सरकार ने मोहर लगाई है. अब तक मामले की जांच ब्यावर जिला पुलिस ने एसपी श्याम सिंह की निगरानी में की गई है. मामले में 11 युवकों और 3 नाबालिगों को आरोपी बनाकर 10 को न्यायिक हिरासत और 3 को बाल सुधार गृह भेजा गया है. अब तक गिरफ़्तार आरोपियों में कैफे संचालक श्रवण जाट, सांवरलाल और पूर्व पार्षद हकीम कुरैशी प्रमुख नाम हैं. इस प्रकरण में गठित एसआईटी हर एंगल पर जांच करेगी. साथ ही सवाल कुरैशी की भूमिका को लेकर भी है, ऐसे में उससे जुड़े कई सवाल भी उठ रहे हैं.
विधानसभा अध्यक्ष समेत ने की थी बुलडोजर कार्रवाई की मांग
इससे पहले बिजयनगर मामले में आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई की भी मांग की गई थी. विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और कई संगठनों ने आरोपियों के मकानों को धवस्त करने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. अधिवक्ता सैयद सआदत अली की याचिका पर जस्टिस महेंद्र गोयल ने आदेश दिया है कि फिलहाल किसी भी आरोपी का मकान ध्वस्त नहीं किया जाएगा. इस पर आगे की सुनवाई जारी रहेगी.
एसआईटी में इन अधिकारियों-पुलिसकर्मियों को जिम्मा
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) नेमसिंह को एसआईटी का जिम्मा सौंपा गया है. टीम में अतिरिक्त एसपी भूपेंद्र शर्मा, मसूदा सीओ (सर्किल ऑफिसर) सज्जन सिंह, सीआई (सर्किल इंस्पेक्टर) विद्या मीना, बिजयनगर थानाधिकारी करण सिंह और एसआई पारुल यादव भी शामिल हैं.
सेवानिवृत्ति से पहले अधिकारी को एसआईटी की कमान
ASP नेमसिंह चौहान की जल्द ही सेवानिवृत्ति होनी है, ऐसे में रिटायरमेंट से पहले उन्हें सौंपा गया यह केस उनके लिए काफी अहम भी है. इस मामले में विजयनगर सीओ सज्जन सिंह और थानाधिकारी करण सिंह खंगारोत के नेतृत्व में साक्ष्य और अन्य प्रमाण जुटाए गए हैं. सीओ सज्जन सिंह को विभागीय स्तर पर सम्मानित भी किया गया है.
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