ऐसे सितारे भी कम ही होते हैं जो चंद सेकंड के लिए ही पर्दे पर आते हैं और सीधे दर्शकों के दिल में उतर जाते हैं. इरफान खान भी ऐसे ही सितारों में से एक हैं, जिन्हें शुरुआत में छोटे मोटे रोल करने का मौका मिला. पर्दे पर जितनी जगह मिली इरफान खान उतने में ही अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने में कामयाब हुए. ये उनका हुनर ही है जो जयपुर की गलियों से होता हुआ मुंबई तक आया और उसके बाद हॉलीवुड तक में पहचाना गया. इस हरफनमौला कलाकार को कैंसर जैसी घातक बीमारी छीन कर दुनिया से दूर ले गई.
नहीं रास आया अंग्रेजी मीडियम
इरफान खान का परिवार कुछ दिन टोंक के एक गांव में रहा और बाद में जयपुर शिफ्ट हो गया. उनके पिता टायर का कारोबार करते थे. इरफान खान की अम्मी सईदा बेगम की ख्वाहिश थी कि वो अंग्रेजी मीडियम में पढ़ें. अम्मी की इच्छा की खातिर इरफान खान चले तो गए लेकिन अंग्रेजी उनको रास नहीं आई. रोज स्कूल में सजा मिलना एक दस्तूर सा हो गया. पढ़ाई की जगह इरफान खान क्रिकेट खेलना चाहते थे. वो सीके नायडू ट्रॉफी की अंडर 23 टीम में शामिल भी हो गए, लेकिन गरीब परिवार उन्हें किट नहीं दिलवा सका, जिसकी वजह से वो सपना भी अधूरा ही रह गया.
राजेश खन्ना के घर किया एसी रिपेयर
1978 में आई जुनून फिल्म देखकर इरफान खान के सिर भी एक्टिंग का जुनून सवार हो गया. उन्होंने जैसे तैसे एनएसडी में एडमिशन ले लिया. एडमिशन तो लिया लेकिन फीस जमा करने के लिए पैसे नहीं थे. उस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने एसी रिपेयरिंग का काम शुरू किया. एक दिन उन्हें राजेश खन्ना का एसी सुधारने का मौका मिला. तब जाकर स्टार्स की शानो शौकत का अंदाजा हुआ.
इरफान खान को मीरा नायर की फिल्म सलाम बॉम्बे में स्ट्रीट किड सलीम का रोल अदा करने का मौका मिला. रोल पहले ही बहुत छोटा था. पर, उस पर भी कैंची चला दी गई. ये पता चला तो इरफान खान ने पूरी रात रो रो कर बिताई.
‘रोग' ने दिलाई पहचान, ‘रोग' ही लेकर चला गया
इरफान खान की जिंदगी की ये भी बड़ी ट्रेजेडी है. चंद्रकांता जैसे सीरियल करते हुए आगे बढ़ रहे इरफान खान को साल 2005 में आई फिल्म रोग में पहली बार बतौर सोलो हीरो काम करने का मौका मिला. इस फिल्म में तारीफें मिली और इरफान खान ने फिर कभी पलट कर नहीं देखा. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक उन्होंने अपने काम की बदौलत खूब शौहरत हासिल की. पर अफसोस रोग से कामयाबी की सीढ़ी चढ़ने वाले इरफान खान जानलेवा रोग का शिकार हो गए. उन्हें न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर हो गया, जिसका इलाज लंदन में चला. लेकिन बीमारी के बेरहम पंजों ने उन्हें नहीं बख्शा. 28 अप्रैल 2020 में इस रोग के चलते वो हमेशा हमेशा के लिए अलविदा कह गए.
पहली फिल्म में कटा रोल तो रात भर रोए, जयपुर से हॉलीवुड में गूंजता है नाम
ऐसे सितारे भी कम ही होते हैं जो चंद सेकंड के लिए ही पर्दे पर आते हैं और सीधे दर्शकों के दिल में उतर जाते हैं. इरफान खान भी ऐसे ही सितारों में से एक हैं, जिन्हें शुरुआत में छोटे मोटे रोल करने का मौका मिला. पर्दे पर जितनी जगह मिली इरफान खान उतने में ही अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाने में कामयाब हुए.
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एसी रिपेयर कर उठाया एक्टिंग सीखने का खर्च
नई दिल्ली:
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