Mahakumbh 2025: महाकुंभ में 150 मह‍िलाएं बनीं नागा संन्‍यासि‍नी, बहुत कठ‍िन होती है प्रक्रिया; जानें कैसी होती है ज‍िंदगी 

Mahakumbh 2025:  मह‍िला नागा संन्‍यास‍िनियों का जीवन बहुत अलग होता है. खुद का ही प‍िंडदान कर सभी र‍िश्‍ते-नातों से संबंध समाप्‍त कर ल‍ेती .

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Mahakumbh 2025:  महाकुंभ में 150 महिलाएं नागा संन्‍यास‍िनी बनीं. श्री दशनामी संन्यासिनी जूना अखाड़ा में रव‍िवार (19 जनवरी) को भोर में संगम में स्‍नान क‍िया. इसके बाद मुंडन हुआ. सफेद वस्‍त्र धारण करके गंगा स्‍नान करके खुद का प‍िंडदान क‍िया. सभी नागा संन्‍यास‍िन‍ी को नया नाम द‍िया गया. अब इन्‍हें नाम के अलावा माई, अवधूतानी, संन्‍यास‍िनी या साध्‍वी के नाम से कहा जाएगा. उन्हें समाज से दूर रखा जाता है. ऐसी संन्‍यास‍िनी गुफाओं और कंदराओं में स‍िर्फ मह‍िलाओं के साथ रहती हैं. अधिकतर संन्‍यास‍िनी ब‍िना स‍िला हुआ वस्‍त्र धारण करती हैं, ज‍िसे गंती कहते हैं. भगवा और सफेद रंग होता है. 

हर संप्रदाय में नागा संन्‍यास‍िनी होती हैं 

अखाड़ों में शैव, वैष्‍णव और उदासीन संप्रदाय के संत हैं. तीनों में मह‍िला नागा संन्‍यास‍िनी होती हैं. सभी भजन-पूजन में लीन रहती हैं. धार्म‍िक कार्याें में लीन रहकर अखाड़े के कार्य में बढ़चढ़ कर ह‍िस्‍सा लेने वाली संन्‍यास‍िनियों को महंत, श्रीमहंत और महामंडलेश्‍वर बनाया जाता है. 

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इस प्रक्रिया से गुजरना होता है 

मह‍िला नागा संन्‍यास‍िनी बनने से पहले बहुत ही कठ‍ित प्रक्रिया से गुजरना होता है. अखाड़ा मह‍िलाओं के घर, पर‍िवार, पढ़ाई, काम-काज और चरित्र की जांच कराता है. ये जांच पूरी तरह से गुप्‍त होता है. हर जांच में खरा उतरने पर उन्हें अखाड़े के मह‍िला आश्रम में रखा जाता है. ज‍िस मंद‍िर की महंत महिला होती हैं, उस मंद‍िर में रहना होता है. भजन-पूजन में लीन रहती हैं. मह‍िलाओं को भी पुरुषों की तरह पहले नागा बनाया जाता है. 

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108 बार गंगा में लगाई डुबकी

नागा बनने वाली मह‍िलाओं ने सुबह वैद‍िक मंत्रोच्‍चार के बीच गंगा में 108 बार लगातार डुबकी लगाती हैं. इसके बाद खुद का प‍िंडदान करके सभी से र‍िश्‍ता-नाता तोड़ लेती हैं. अखाड़े के धर्मध्‍वजा के नीचे व‍िजया हवन क‍िया जाता है. इसके बाद नागा बनने की व‍िधिवत दीक्षा लेती हैं. ज‍िन मह‍िलाओं में चारीत्र‍िक दोष होता है, आर्थ‍िक गबन की रहती हैं, घर-पर‍िवार से संपर्क रखती हैं, अनुशासन में नहीं रहतीं और गाली-गलौज करती हैं और आपराध‍ी मह‍िलाओं को नागा संन्‍यास‍िनी नहीं बनाया जाता है. 

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ब‍िल्कुल अलग होती है इनकी दुन‍िया 

मह‍िला नागा संन्‍यास‍िनी की दुनिया ब‍िल्कुल अलग होती है. मह‍िला नागा संन्‍यास‍िनी के श‍िव‍िर में कोई भी आम आदमी ब‍िना अनुमत‍ि के प्रवेश नहीं कर सकता है. इनके ईष्‍टदेव भगवान दत्‍तात्रेय की मां अनुसुइया होती हैं. उन्हीं की आराधना करती हैं. अब कई अखाड़ों में मह‍िलाओं को नागा साधु की दीक्षा दी जाती है.

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