अशोक गहलोत ने क्यों कहा, 'TDP-JDU को अपने सांसदों की हॉर्स ट्रेंडिग के लिए तैयार रहना चाहिए'

अशोक गहलोत ने न केवल टीडीपी और जेडीयू को लोकसभा स्पीकर पद के लिए सलाह दी है. बल्कि यह भी कहा है कि वह अपने सांसदों की हॉर्स ट्रेंडिग के लिए तैयार रहें.

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Lok Sabha Speaker

Lok Sabha Speaker: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब देश में पीएम मोदी के नेतृत्व में NDA की सरकार बन चुकी है. केंद्रीय मंत्रिमंडल का गठन और विभागों का बंटवारा भी हो चुका है. हालांकि, NDA ने लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) पद के लिए किसी का चुनाव नहीं किया है. कुछ नाम लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए सामने आ रहे हैं. जिसके बाद इसे लेकर सियासत भी तेज हो गई है. एनडीए गठबंधन की सरकार है ऐसे में स्पीकर के लिए सर्वसम्मति से फैसला लेना होगा. लेकिन इस बीच राजस्थान के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने स्पीकर पद के लिए TDP और JDU को बड़ी सलाह दी है.

अशोक गहलोत ने न केवल टीडीपी और जेडीयू को लोकसभा स्पीकर पद के लिए सलाह दी है. बल्कि यह भी कहा है कि वह अपने सांसदों की हॉर्स ट्रेंडिग के लिए तैयार रहें.

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सहयोगी दल को मिले स्पीकर पद

अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स के ज़रिए बीजपी पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव की ओर केवल TDP एवं JDU ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता उत्सुकता से देख रही है. यदि बीजेपी के मन में आगे जाकर कोई भी अलोकतांत्रिक कृत्य करने का इरादा नहीं है तो उन्हें स्पीकर का पद किसी सहयोगी दल को ही देना चाहिए. 

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गहलोत ने कहा है कि गठबंधन धर्म को निभाते हुए 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में TDP व शिवसेना के स्पीकर एवं UPA सरकार में 2004 से 2009 तक CPI(M) के स्पीकर रहे और अच्छे से लोकसभा का प्रबंधन हुआ.

TDP के 4 राज्यसभा सांसद बीजेपी में शामिल हुए थे

TDP और JDU को महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं राजस्थान में भाजपा द्वारा किए गए सरकार गिराने के षड़यंत्रों को नहीं भूलना चाहिए. इनमें से कई राज्यों में तो स्पीकर की भूमिका के कारण ही सरकार गिरी और पार्टियां टूटीं. 2019 में TDP के 6 में से 4 राज्यसभा सांसदों भाजपा में शामिल हो गए थे और तब TDP कुछ भी नहीं कर सकी थी. 

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अशोक गहलोत ने कहा है कि अब अगर भाजपा लोकसभा स्पीकर का पद अपने पास रखती है तो TDP और JDU को अपने सांसदों की हॉर्स ट्रेडिंग होते देखने के लिए तैयार रहना चाहिए.

आपको बता दें, संविधान में इस बात का प्रावधान है कि लोकसभा के लिए पहली बैठक के शुरू होते ही अध्यक्ष का पद रिक्त हो जाता है. नव निर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाने के लिए राष्ट्रपति की ओर से प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है. इसके बाद पक्ष विपक्ष की ओर से लोकसभा स्पीकर पद के लिए नाम तय किए जाते हैं. सत्ता पक्ष के पास बहुमत नहीं होने की स्थिति में चुनाव होता है. अन्यथा साधारण बहुमत से लोकसभा स्पीकर चुन लिया जाता है. यानी सदन में उपस्थित आधे से अधिक सदस्यों का वोट लोकसभा स्पीकर बनने के लिये काफी है. 

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