Battleground NDTV: लोकसभा चुनाव 2024 के चार चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. जबकि 3 चरणों का चुनाव अब भी बाकी हैं. चार चरणों के चुनाव में प्रत्येक चरण में जो वोट पोलिंग हुए हैं उनके वोट प्रतिशत की अगर 2019 के चुनाव से तुलना की जाए तो यह काफी कम हैं. 19 अप्रैल को हुए चुनाव में 65.5 प्रतिशत वोटिंग हुई जो 2019 से 4.4 प्रतिशत कम है. वहीं 26 अप्रैल को हुए दूसरे चरण में 61 प्रतिशत वोटिंग हुई इसमें भी 2019 की तुलना में 7 प्रतिशत कम वोटिंग हुई. जबकि तीसरे और चौथे चरण में भी 2019 की तुलना में कम वोट पड़े हैं. अब माना जा रहा है कि वोटिंग प्रतिशत कम होने से इसका प्रभाव चुनाव परिणामों पर पड़ने वाला है. ऐसे में NDTV के खास कार्यक्रम Battleground NDTV जो वाराणसी में किया गया इस कम वोटिंग प्रतिशत के प्रभाव को लेकर चर्चा की गई.
Battleground NDTV कार्यक्रम में एनडीटीवी के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया ने लोकनीति के नेशन को-ऑर्डिनेटर संदीप शास्त्री, सी वोटर के फाउंडर डायरेक्टर यशवंत देशमुख और राजनीतिक विशेषज्ञ अमिताभ तिवारी से कई मुद्दों पर खुलकर बात की.
कम वोट प्रतिशत से रिजल्ट कितना होगा प्रभावित
कार्यक्रम में अमिताभ तिवारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में कम वोट प्रतिशत कोई बड़ा फैक्टर नहीं होता है. क्योंकि इससे आप नहीं बता सकते कि सरकार आ रही है या जा रही है या फिर दोबारा सरकार बन रही है. क्योंकि पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है जब वोट प्रतिशत कम रहा लेकिन सरकार दोबारा बनी. हालांकि, वोट प्रतिशत कम होने से सीटों का आकलन करने में जरूर मुश्किल आ रही है.
लोकसभा चुनाव के अब तक के सफर में क्या साफ हुआ है
लोकसभा चुनाव के अब तक के सफर में क्या साफ हुआ है, इस पर सी वोटर के फाउंडर डायरेक्टर यशवंत देशमुख ने कहा कि चुनाव के जो प्री पोल ट्रैकर्स सामने आए उससे लगता है कि फर्स्ट फेज में वोट प्रतिशत में कमी आई जिससे काफी भगदड़ मची. लेकिन वोट प्रतिशत का आकलन करना अच्छी बात है पर बहुत ज्यादा आकलन करना सही नहीं है. क्योंकि 2004 के चुनाव की गणना और 2024 की गणना अलग-अलग है.
उत्तर प्रदेश में क्षेत्रिय पार्टी कितनी अहम
क्षेत्रिय पार्टियों की महत्वपूर्णता को लेकर यशवंत सिंह देशमुख ने कहा कि क्षेत्रिय पार्टी काफी अहम होती है. बीजेपी ने पिछले 10 साल में ज्यादा चुनाव जीती हैं. जबकि इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी बनाम कांग्रेस के बीच 200 सीटों के बीच मुकाबला है. वहीं 243 सीटों पर बीजेपी की लड़ाई क्षेत्रिय पार्टियों के बीच है. NDA में बीजेपी की हिस्सेदारी बढ़कर 370 हो गई है जबकि सहयोगी पार्टियों की हिस्सेदारी 30 हो गई है. जबकि कांग्रेस की बात करें तो पंजाब, कर्नाटक और तेलंगाना में पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है. कुछ राज्यों में कांग्रेस छोटे पार्टनर के रूप में है.