राहुल गांधी के भाषण के अंशों को सदन के रिकॉर्ड से हटाने का मामला, जानें क्या है इसका नियम

राहुल गांधी के भाषण के कुछ अंश लोकसभा के कार्रवाई से हटा दिए गए, जिससे यह चर्चा का विषय बन गया. जानें किस कानून के तहत सी कार्रवाई की जाती है.

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फाइल फोटो

Special Points of the Parliament: बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 18वीं लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया और उनके भाषण के कुछ पार्ट को रिकार्ड से हटा दिया गया. इस पर राहुल गांधी ने कड़ी आपत्ति जताते हुए लोकसभा अध्यक्ष को एक लेटर भी लिखा. यह मुद्दा इन दिनों सुर्खियों में है. तो चलिए जान लेते हैं कि भाषण को रिकॉर्ड से हटाने का मामला क्या है और किन परिस्थितियों में इसे हटाया जाता है. इसे हटाने का अधिकार आखिर किसको है? इससे जुड़ी सारी बातें हम आपको बताएंगे.  

क्या कहता है आर्टिकल 105(2)

संविधान के आर्टिकल 105 (2) में कहा गया है कि सदन के अंदर कही गई बातों को लेकर किसी भी सांसद को किसी अदालत या कमेटी के सामने खड़ा नहीं किया जा सकता है. लेकिन सांसदों का भाषण संसदीय नियमों में बताए गए अनुशासन के दायरे के तहत ही होने चाहिए.

आर्टिकल 380 में स्पीकर का अधिकार

लोकसभा की कार्यवाही चलाने के लिए बनाया गया रूल 380 कहता है कि अगर लोकसभा स्पीकर को लगता है कि चर्चा के दौरान कोई अमर्यादित, अपमानजनक या असंसदीय शब्द का इस्तेमाल किया गया है तो ऐसे शब्दों को सदन के रिकॉर्ड से निकालने के लिए स्पीकर को आदेश देने का अधिकार हैं.

निकाले गए अंश को मीडिया में रिपोर्ट भी नहीं किया जा सकता है. सत्र के अंत में रिकॉर्ड से निकाले गए शब्दों की सूची कारण सहित स्पीकर के दफ्तर, संसद टीवी और संपादकीय विभाग को भी भेजी जाती है.

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क्या कहता है आर्टिकल 381 

वहीं रूल 381 में बताया गया है कि सदन की कार्यवाही के रिकॉर्ड से बाहर निकाले गए अंश पर टिप्पणी भी लिखी जाएगी. साथ ही यह भी लिखा जाएगा कि अध्यक्ष के आदेश से यह रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया है.

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