Gupt Navratri 2024: गुप्त नवरात्रि की आज से शुरुआत, 15 जुलाई तक चलेंगे वृत, इस बार 10 स्वरूपों में होगी मां दुर्गा की पूजा

गुप्त नवरात्र में मां भगवती की प्रसन्नता हासिल करने के लिए भक्त पूजा-आराधना करते हैं. शुभ संकल्प के साथ गुप्त नवरात्र के शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना कर, व्रत रख कर मां भगवती का पाठ और मन्त्रों का जाप करना विशेष लाभकारी माना गया है.

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Rajasthan News: आज से गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2024) शुरू हो रहे हैं. इस बार गुप्त नवरात्र 10 दिनों के होंगे. वैसे वासन्तिक नवरात्र के बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि तक गुप्त नवरात्र रहता है. मगर इस बार गुप्त नवरात्र 10 दिनों के होंगे. पौराणिक मान्यता के अनुसार, गुप्त नवरात्र में 10 देवियों या 10 महाविद्या की पूजा का विधान है. इस बार नवरात्र के पहले दिन ही प्रतिपदा तिथि पर पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है. गुप्त नवरात्र में मां भगवती की प्रसन्नता हासिल करने के लिए भक्त पूजा-आराधना करते हैं. शुभ संकल्प के साथ गुप्त नवरात्र के शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना कर, व्रत रख कर मां भगवती का पाठ और मन्त्रों का जाप करना विशेष लाभकारी माना गया है.

इन 10 स्वरूपों में होती है मां की पूजा

मां भगवती के दस रूपों की पूजा गुप्त नवरात्र में की जाती है. मां भगवती के दस रूपों दर्शन-पूजन क्रम में पहले दिन मां काली, दूसरे में मां तारा देवी, तीसरे में मां त्रिपुर सुन्दरी, चौथे में मां भुवनेश्वरी, पांचवें में मां छिन्नमस्ता, छठे में मां त्रिपुर भैरवी, सातवें में मां धूमावती, आठवें में मां बगलामुखी, नौवें में मां मातंगी और दसवें दिन मां कमला देवी की पूजा होती है. मां के इन दस स्वरूपों को पूजा-अर्चना करने का ख़ास महत्व है.

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6 जुलाई से 15 जुलाई तक नवरात्र

मां भगवती की पूजा के लिए सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है. प्रख्यात ज्योतिर्विद विमल जैन बताते हैं कि इस बार गुप्त नवरात्र 6 जुलाई शनिवार से 15 जुलाई सोमवार तक रहेंगे. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 5 जुलाई शुक्रवार को आधी रात के बाद 4 बज कर 28 मिनट पर लग कर, 6 जुलाई शनिवार को आधी रात के बाद 4 बज कर 27 मिनट तक रहेगी.

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घट स्थापना शुभ मुहूर्त

नवरात्रि के पहले दिन विधि विधान के साथ घट स्थापना किया जाता है. घट स्थापन का शुभ मुहूर्त सुबह 05:11 मिनट से लेकर 7:26 मिनट तक है. अगर इस मुहूर्त में कलश स्थापन नहीं कर पाए हैं तो अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजे से लेकर 12 बजे तक हैं, उसमें यह कार्य कर लें. इन दो मुहूर्त में कलश स्थापन करना शुभ रहने वाला है. दिन के हिसाब से माता दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आने वाली हैं. माना जाता है कि जब घोड़े पर सवार होकर माता दुर्गा आएंगी तो प्राकृतिक आपदा की आशंका होती है. 

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गुप्त नवरात्रि में करें ये उपाय

सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं. मां दुर्गा को लाल रंग के पुष्प ही चढ़ाएं. मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप करें. गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं.

गुप्त नवरात्रि के व्रत नियम

गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए. मां दर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए. जो नारी का सम्मान करते हैं, मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं. नवरात्रि के दिनों में घर में कलेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से बरकत नहीं होती है. 

13 जुलाई को इस समय लगेगी अष्टमी

मां भगवती की आराधना अपनी परम्परा और धार्मिक विधान के अनुसार करना शुभ फलदायी होता है. ज्योतिषाचार्य विमल जैन का कहना है कि गुप्त नवरात्र में व्रत करने वालों को अपनी दिनचर्या नियमित और संयमित रखनी चाहिए. भोजन भी अपने ही घर में करें और व्यर्थ के वार्तालाप से भी बचें. दिन में शयन ना करें. मां भगवती और कलश के समक्ष शुद्ध देशी घी का अखन्ड दीप प्रज्वलित कर, धूप जला कर और मौन रह कर आराधना करना विशेष मंगलकारी माना गया है. माता भगवती की प्रसन्नता के लिए सर्वसिद्धि प्रदायक मन्त्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" का जाप अधिकाधिक बार करना चाहिए. विमल जैन के अनुसार आषाढ़ शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 13 जुलाई, शनिवार को दिन में 3 बज कर 6 मिनट पर लगेगी, जो अगले दिन 14 जुलाई, रविवार को शाम 5 बज कर 27 मिनट तक रहेगी.