सोनिया गांधी ने पुत्र मोह में अमेठी की तरह ही रायबरेली सीट छोड़ी? राज्यसभा जाने से पहले की थी भावुक अपील

आज से 20 साल पहले 2004 में सोनिया गांधी ने अमेठी लोकसभा सीट को छोड़ने का ऐलान कर दिया था. उन्होंने अपनी सुरक्षित सीट अमेठी बेटे राहुल गांधी को सौंप दी. राहुल गांधी 2004 में पहला चुनाव लड़े और जीत भी दर्ज की. 2024 में सोनिया गांधी ने अपनी सुरक्षित सीट रायबरेली को छोड़कर भावुक अपील की थी.

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राहुल गांधी ने अमेठी छोड़कर रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे. राहुल गांधी पहली बार रायबरेल सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इसके पहले राहुल गांधी अमेठी से तीन बार के सांसद रहे. 2004 से 2014 तक उन्होंने चुनाव जीता. 2019 में राहुल गांधी स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए.

रायबरेली सीट राहुल गांधी के लिए किसी सुरखा कंवच से कम नहीं

सोनिया गांधी ने रायबरेली सीट छोड़ीं तो सबसे अधिक चर्चा प्रियंका गांधी की हुई, लेकिन कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली से मैदान में उतारा. रायबरेली सीट राहुल गांधी के लिए किसी सुरक्षा कंवच से कम नहीं है.  

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20 साल पहले सोनिया ने राहुल गांधी को किया था लॉन्च

20 साल पहले 2004 में सोनिया गांधी ने अमेठी की सुरक्षित सीट छोड़कर राहुल गांधी को लॉन्च  किया था. तब कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता नाराज भी हुए थे. इसके बाद भी राहुल गांधी की जीत हुई. सोनिया गांधी ने रायबरेली से चुनाव लड़ीं और उन्होंने भी जीत दर्ज की. लोकप्रियता सोनिया गांधी की थी, लेकिन सोनिया गांधी ने बेटे को आगे किया. राहुल गांधी को उसका फायदा भी मिला. 

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सोनिया गांधी ने रायबरेली को छोड़कर यहां से बेटे को राहुल गांधी को आगे किया. अभी भी यहां लोकप्रियता सोनिया की ही है. स्मृति ईरानी अमेठी में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं. रायबरेली में अभी एक बड़ा वर्ग गांधी परिवार के साथ है. 

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सोनिया गांधी ने 14 फरवरी 2024 को रायबरेली की जनता को भावुक चिट्ठी लिखकर भावुक अपील की थी.

सोनिया गांधी ने रायबरेली की जनता को भावुक चिट्ठी लिखी थी   

सोनिया गांधी ने राजस्थान के जयपुर से  राज्यसभा के लिए नामांकन किया तो 14 फरवरी 2024 को रायबरेली की जनता के नाम एक भावुक चिट्ठी लिखी. उन्होंने पत्र लिखकर रायबरेली के प्रति अपनी भावनाओं का इजहार किया.सोनिया गांधी ने लेटर में लिखा, "मैं रायबरेली की जनता के कारण हूं. मेरा परिवार दिल्ली में अधूरा है. वह रायबरेली आकर आप लोगों से मिलकर पूरा होता है. यह नेह- नाता पुराना है. अपनी ससुराल से मुझे सौभाग्य की तरह यह मिला है. रायबरेली के साथ हमारे परिवार के रिश्तों की जड़ें बहुत गहरी हैं. आजादी के बाद हुए पहले लोकसभा चुनाव में आपने मेरे ससुर फिरोज गांधी को यहां से जिताकर दिल्ली भेजा था. उसके बाद मेरी सास इंदिरा गांधी को आपने अपना बना लिया. उसके बाद से अब तक यह सिलसिला जिंदगी के उतार-चढ़ाव और मुश्किल भरी राह पर प्यार एवं जोश के साथ आगे बढ़ता गया है. इस पर हमारी आस्था मजबूत होती चली गई. इसी रोशन रास्ते पर आपने मुझे भी चलने की जगह दी."