Mahakumbh 2025: 'वो कोई साधु नहीं, आधा पागल...गृहस्थ था' IIT वाले बाबा की जूना अखाड़े के महंत ने बताई सच्चाई!

IIT Baba Abhay Singh: महाकुंभ से चर्चा में आए आईआईटी वाले बाबा उर्फ अभय सिंह को जूना अखाड़े से निकाल दिया गया है. जूना अखाड़े का कहना है कि उसने गुरु के प्रति‍ अपशब्‍दों का प्रयोग क‍िया था, जो संन्‍यास के व‍िरुद्ध है.

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Kumbh Mela 2025: प्रयागराज के महाकुंभ मेले में हर रोज लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और संगम में डुबकी लगा रहे हैं. इस बार महाकुंभ मेले से कई साधु चर्चा में भी हैं. कभी कांटे वाले बाबा का नाम सुर्खियों में आ रहा है तो कभी चिमटे वाले बाबा का वीडियो वायरल हो रहा है. हालांकि, महाकुंभ मेले में सबसे ज्यादा आईआईटी बाबा चर्चा में हैं और उनका एक के बाद एक लगातार वीडियो वायरल हो रहा है. महाकुंभ मेले से चर्चा में आईआईटी वाले बाबा उर्फ अभय सिंह हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं. आईआईटी वाले बाबा का कहना है कि उन्होंने आईआईटी बाम्बे से पढ़ाई की है. 

जूना अखाड़े ने निकाला बाहर

सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद चर्चा है कि आईआईटी वाले बाबा उर्फ अभय सिंह को जूना अखाड़े से निकाल दिया गया है. अखाड़े का कहना है क‍ि उन्होंने अखाड़े की परंपरा को तोड़ी और अनुशासन का पालन नहीं क‍िया है. गुरु के प्रति‍ अपशब्‍दों का प्रयोग क‍िया था, जो संन्‍यास के व‍िरुद्ध है. उन्हें अखाड़ा श‍िव‍िर और उसके आस-पास आने पर रोक लगा दी गई है.

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NDTV से बातचीत में जूना अखाड़े के महंत करणपुरी ने IIT वाले बाबा को तो आवारा-मवाली और ढोंगबाज तक करार दे दिया. करणपूरी महराज ने कहा कि वो ऐसे ही आवारा और मवाली आदमी था. वो कोई साधु नहीं था, ना ही अखाड़े का था, यों ही जगह-जगह रुकता खाता था. वह कुछ भी बक देता था. वह बहुत गलत व्यक्ति था. उसे मारकर अखाड़े से भगा दिया. वह न ही किसी का चेला था. ऐसे ही घूमते ही आ गया.

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जूना अखाड़े ने अभय सिंह पर अखाड़े को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए उन्हें निकाल दिया. महंत के मुताबिक अभय जूना अखाड़े में आते-जाते थे, लेकिन उनकी हरकतों को देखते हुए हमने उन्हें मारकर भगा दिया.

सोमेश्वर पूरी को मरे कई साल हो गए

सोमेश्वर पूरी का चेला होने के सवाल पर जूना अखाड़े के महंत ने कहा कि वह कहीं सुना हुआ नाम लेता रहा है. सोमेश्वर पूरी को मरे हुए कई साल हो गए. उनका चेला कब और कहां से बन गया. अखाड़े को कोई पता नहीं था. वह हर प्रकार से महामवाली और मक्कार था. जब सबको पता लगा तो सब सतर्क हो गए और उसे आने नहीं दिए.

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करणपूरी महाराज ने कहा कि अब उससे अखाड़े में कोई व्यवहार नहीं रखता, न ही वह कोई उसके साथ बैठता. वह साधक नहीं था, गृहस्थ था. न किसी का वह शिष्य था. वह केवल ढोंग रचकर अखाड़े का नाम लेकर यश कमाना चाहता है. उसको लेकर पूरे अखाड़े के लोगों में आक्रोश में है. वह आधा पागल भी है. उसकी हरकत असहनीय था.

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