NDTV Battleground: तमिलनाडु में BJP-AIADMK गठबंधन टूटने पर बदला समीकरण, किस पार्टी को मिलेगा फायदा

तमिलनाडु में हाल ही में बीजेपी और AIADMK का गठबंधन टूट गया. इससे यहां पूरा सियासी समीकरण बदल गया है. बीजेपी ने अब यहां की एक क्षेत्रिय पार्टी PMK के साथ गठबंधन किया है.

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NDTV Battleground: लोकसभा चुनाव 2024 के दंगल के बीच तमिलनाडु में हाल ही में बीजेपी और AIADMK का गठबंधन टूट गया. इससे यहां पूरा सियासी समीकरण बदल गया है. बीजेपी ने अब यहां की एक क्षेत्रिय पार्टी PMK के साथ गठबंधन किया है. आपको बता दें इस बार लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी ने 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में गठबंधन टूटने पर बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान यह बड़ा सवाल है. NDTV के खास कार्यक्रम NDTV Battleground में इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हुई. चलिए आपको बताते हैं.

तमिलनाडु में BJP-AIADMK के गठबंधन में खटास की वजह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई को माना जाता है. क्योंकि वह शुरू से ही AIADMK का विरोध कर रहे थे. इसके साथ ही वह सीएन अन्नादुरै के आइकन को निशाना बनाते रहे. जबकि अन्नादुरै को द्रविड़ पार्टियों का जनक माना जाता है. द्रविड़ पार्टियों के बीच अन्नादुरै काफी सम्मान रखते हैं. इन कारणों से BJP और AIADMK की दूरी बढ़ती गई और चुनाव के बीच गठबंधन टूट गया. जिससे पूरा समीकरण बदल गया. 

NDTV Battleground में लोकनीति के नेशनल कंविनर और इलेक्शन डेटा एनालिस्ट संदीप शास्त्री ने कहा, "मैं तमिलनाडु को कई कारणों से चुनाव में अहम मानता हूं. यहां दो गठबंधनों का मुकाबला है. पहला गठबंधन DMK-कांग्रेस का और दूसरा BJP-PMK का. बेशक PMK एक छोटी पार्टी है, लेकिन उसे साथ लेने से फायदा BJP का ही है. BJP का वोट शेयर बढ़ सकता है." 

उन्होंने कहा कि यहां बीजेपी इस बार तीसरी फोर्स न सी लेकिन अलग फोर्स जरूर बन रही है. इस वजह से सियासी समीकरण में जरूर बदलाव देखने मिलेंगे. बीजेपी यहां तीसरा गठबंधन जरूर है लेकिन चुनाव के बाद हम इसे DMK को मुख्य चुनौती देने वाली पार्टी की तौर पर देखेंगे.
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वहीं चुनाव विशेषज्ञ मनीषा प्रियम ने कहा कि साल 2019 में पुलवामा अटैक को लेकर अलग लहर थी. लेकिन 2024 के चुनाव में कलर ऑफ स्टेट पॉलिटिक्स अहमियत रखता है. खासतौर पर जब हम तमिलनाडु की बात करते हैं, जहां लोग जानना चाहते हैं कि BJP के पास उनके लिए क्या है.

सत्ताधारी DMK के प्रवक्ता मनुराज सुंदरम ने कहा, "मीडिया जगत और आम लोगों के बीच प्रधानमंत्री को काफी तवज्जो मिलती है... हमें खुशी है कि प्रधानमंत्री अक्सर तमिलनाडु आते रहते हैं." सुं

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सुंदरम ने कहा, हालांकि, इसमें दो महत्वपूर्ण बातें हैं. पहला- अब दिल्ली पर अविश्वास करने की प्रवृत्ति है. साथ ही परिसीमन प्रक्रिया को लेकर काफी आशंकाएं हैं. इससे उत्तर की तुलना में दक्षिणी राज्यों का संसद में प्रतिनिधित्व अनिवार्य रूप से कम हो जाएगा. 

आपको बता दें, साउथ की कमान पीएम मोदी खुद संभाल रहे हैं. ऐसा इसलिए की वह अब तक 50 से ज्यादा दौरे तमिलनाडु का कर चुके हैं. जनवरी से अब तक दक्षिण भारत में वह 20 से ज्यादा दौरे किए हैं.

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