Exclusive: चुनावी 'चाणक्य' प्रशांत किशोर ने बताया- 10 साल में किन चार मौके पर चूका विपक्ष

एनडीटीवी के एडिटर-इन चीफ संजय पुगलिया के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने बताया कि 10 साल में विपक्ष के पास 3-4 ऐसे ऐसे मौके रहे, जिसे वह भुना नहीं पाया.

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Prashant Kishor Interview: लोकसभा चुनाव के लिए पांचवे चरण की वोटिंग हो चुकी है. बाकी दो चरणों के लिए आने वाले दिनों में मतदान होंगे. वहीं 4 जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे. इससे पहले ही कयासों का बाजार गर्म हो गया है. बीजेपी नेताओं की तरफ से 400 पार का दावा किया जा रहा है, तो वहीं कांग्रेस इस बार चौंकाने वाले नतीजे आने का दावा कर रही है. इससे पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर भविष्यवाणी की है. एनडीटीवी के एडिटर-इन चीफ संजय पुगलिया के साथ बातचीत में प्रशांत किशोर ने बताया कि 10 साल में विपक्ष के पास 3-4 ऐसे ऐसे मौके रहे, जिसे वह भुना नहीं पाया.

पहला मौका

पीके बताते हैं कि सबसे पहला मौका विपक्ष के पास उस समय था, 2015 पहली बार में दिल्ली में आम आदमी पार्टी जीती और नवंबर में उसी साल बिहार में भाजपा को करारी शिकस्त मिली. मई 2016 में बंगाल, तमिलनाडु में भाजपा को सफलता नहीं मिली है. इस 15 महीने के दौरान कांग्रेस और उनके साथियों के पास समय था. लेकिन विपक्ष की तरफ से उस तरह का प्रयास नहीं किया. 

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दूसरा मौका

इसके बाद डिमोनटाइजेशन के बाद नवंबर 2017 में कांग्रेस ने गुजरात के चुनाव में अपने 20 साल के करियर में अच्छा प्रदर्शन किया. भाजपा बहुत कम सीटे से जीती दर्ज की. इस दौरान भी कांग्रेस और विपक्ष के पास 15 से 17 महीने का मौका था, जिसमें वे भाजपा को चैलेंज कर सकते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके और मौका गंवा दिया.

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तीसरा मौका

एक मौका उस समय था, जब कोविड का दूसरा दौर चला और बंगाल के चुनाव में बीजेपी के पक्ष में नतीजे नहीं आए और सरकार उस समय बैकफुट पर थी. बंगाल चुनाव हारने के लिए बाद बीजेपी के लिए एक-डेढ़ काफी साल चुनौती पूर्ण रहा, लेकिन उस समय भी विपक्ष बीजेपी को चुनौती नहीं दे सका.

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अंतिम मौका

अंतिम मौका, उस समय आया, जब इंडिया गठबंधन बना. एक कॉमन नरेटिव पर शायद बीजेपी को चुनौती दे सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं सका. गठबंधन बनने के बाद 4 महीने तक कोई ग्राउंड पर प्रयास नहीं किया, ना इंडी गठबंधन की सीटें फाइनल हुई. ऐसे में जो काम विपक्ष को करना चाहिए था, वो नहीं किया गया और फिर से मौका हाथ से चला गया. 

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