इलेक्ट्रॉल बॉन्ड में भी सुधार की गुंजाइस है... पीएम मोदी ने कहा 67 प्रतिशत बॉन्ड विपक्षी पार्टियों को मिला

पीएम मोदी ने कहा, मैं यह नहीं कहता की निर्णय में कमी नहीं होता. हम सीखते है इसमें भी सुधार की पूरी गुंजाइस है. इलेक्ट्रॉल बान्ड को लेकर झूठ चल रहा है.

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PM Narendra Modi Interview: पीएम मोदी ने इलेक्ट्रॉल बॉन्ड को लेकर कहा कि हमारे देश में लंबे समय से बात चल रही है कालेधन से देश को मुक्ति मिले. चुनाव में सभी पार्टियां पैसा लेती है. लेकिन मैं चाहता था कि कालेधन से कैसे मुक्ति मिली. मैं चाहता था कि मैं कोशिश करूं. संसद में भी इस पर बहस हुई सभी लोगों ने इसे माना. हमने 1000 और 2000 के नोट बंद किये जो कालेधन पर आघात था. सुप्रिम कोर्ट ने कहा 20000 हजार तक कैश ले सकती थी. लेकिन मैंने इसे कानून बनाकर 2.5 हजार कर दिया.क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि ये कैश वाला कारोबार चले. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए खास इंटरव्यू में ये बातें कही. मोदी ने कहा कि 2014 के पहले भी चुनावों में खर्चा होता था. तब कौन-सा पैसा कहां से आया और किसने खर्च किया, इसकी जानकारी नहीं मिलती थी. कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता. कमियों को सुधारा जा सकता है. 

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पीएम मोदी ने कहा, पहले बीजेपी में चेक से पैसे लेना तय किया लेकिन व्यापारियों ने कहा हम चेक से नहीं पैसे दे सकते. क्योंकि सरकार देखेगी की विपक्ष को हमने पैसा दिया. यही वजह है कि 90 के दशक में पैसा देने के लोग तैयार थे लेकिन वह नहीं देते थे. तब इलेक्ट्रॉल बॉन्ड बनाया गया. इससे तो पैसे का ट्रेल मिल रहा है. किस कंपनी ने दिया कैसे दिया. यह अच्छा हुआ बुरा हुआ यह विवाद का विषय हो सकता है यह चर्चा का विषय है.

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नियमों में सुधार की गुंजाइश

मैं यह नहीं कहता की निर्णय में कमी नहीं होता. हम सीखते है इसमें भी सुधार की पूरी गुंजाइस है. इलेक्ट्रॉल बान्ड को लेकर झूठ चल रहा है. पूरे देश में 3 हजार कंपनियों ने इलेक्ट्रॉल बॉन्ड दिये. 3 हजार में 26 कंपनियां ऐसी है जिस पर कार्रवाई हुई है. उनमें से 16 कंपनी ऐसी थी जब छापा लगा तो बॉन्ड खरीद लिया. 16 कंपनियों ने जो बॉन्ड खरीदा उसमें केवल 37 प्रतिशत बीजेपी को मिला बाकी 63 प्रतिशत विरोधी पार्टियों को मिला. क्या ईडी कार्रवाई करे और कंपनी विपक्षी को पैसा दें.

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सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को खत्म की थी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम

शुरू से ही विवादों में घिरी केंद्र सरकार की इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को असंवैधानिक करार दिया था. इस स्कीम के तहत जनवरी 2018 और जनवरी 2024 के बीच 16,518 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए थे. इसमें से ज़्यादातर राशि राजनीतिक दलों को चुनावी फंडिंग के तौर पर दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने SBI से इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा मांगा था, चुनाव आयोग को उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा गया था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "पिछले 10 वर्ष में हमने ₹2,200 करोड़ नकद बरामद किए हैं, जबकि 2014 से पहले ED केवल ₹34 लाख नकद बरामद कर सकी थी, जिसे स्कूल बैग में ले जाया जा सकता था... जबकि ₹2200 करोड़ रखने के लिए 70 छोटे ट्रकों (छोटा हाथी) की आवश्यकता होगी... इसका मतलब है कि ED अच्छा काम कर रही है..."