Sawan Shivratri 2024: सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा महादेव का जलाभिषेक, खुलेंगे तरक्की के रास्ते; जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Sawan Shivratri 2024: इस बार सावन महीने की शिवरात्रि 2 अगस्त को पड़ेगी. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:06 बजे से 12:49 बजे तक रहने वाला है.

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Sawan Shivratri 2024: सावन का महीना भोलेनाथ को बहुत प्रिय माना जाता है. भोले के भक्त अपने महादेव को प्रसन्न करने के लिए मीलों नंगे पांव चलकर कावड़ लाते हैं. इस महीने में शिव की पूजा करना सबसे उत्तम और फलदायी माना जाता है. वैसे तो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मास शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. लेकिन इस महीने की शिवरात्रि का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार सावन महीने की शिवरात्रि 2 अगस्त को पड़ेगी. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:06 बजे से 12:49 बजे तक रहने वाला है. इस बार सावन शिवरात्रि के खास दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. इस योग का समय 3 अगस्त को सुबह 10:59 बजे से 6:02 बजे तक रहने वाला है. ऐसे में भगवान शिव की पूजा करने से तरक्की के योग बनते हैं. इस दिन व्रत रखने का भी विधान है.

हलाहल पीने से बने थे महादेव नीलकंठेश्वर

मान्यता है कि इस महीने में समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल के प्रभाव से जीव-जंतुओं को काफी नुकसान पहुंच रहा था. इसे रोकने के लिए महादेव ने हलाहल पी लिया था, जिससे उनके शरीर का तापमान काफी बढ़ गया था. इस तापमान को कम करने के लिए भगवान विष्णु के आदेश पर इंद्रदेव ने लगातार बारिश की. साथ ही माता पार्वती जो उस समय सती के रूप में थीं, उन्होंने भोलेनाथ की हालत देखकर उन्हें लगातार दूध से नहलाया और हलाहल को उनके गले में ही बसा दिया.इसके बाद उनका गला नीला पड़ गया. जिससे महादेव को नीलकंठेश्वर भी कहा जाने लगा.

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कांवड़ यात्रा का समापन आज

22 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा का समापन सावन शिवरात्रि यानी आज होगा. इस दौरान सभी कांवड़िये गंगा तट से लाए गए जल को शिवलिंग पर चढ़ाएंगे. इस दौरान पूजा करने से यात्रा का पूरा फल मिलता है. कुछ लोग घर पर या मंदिरों में भगवान शिव की पूजा करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं महादेव की पूजा की विधि के बारे में.

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महादेव पूजन विधि

सावन शिवरात्रि पर सुबह स्नान करें. फिर पूजा स्थल पर सभी सामग्री इकट्ठा कर पूजा की तैयारी शुरू करें. पूजा करने के स्थल पर चाहे वह घर हो या मंदिर. सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें. इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल चढ़ाएं. फिर महादेव को आक का फूल चढ़ाएं. अंत में शिव चालीसा का पाठ करें.

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