Rajasthan: "छोटे-छोटे जज बैठे हैं, जो देश में आग लगवाना चाहते हैं", अजमेर दरगाह को मंद‍िर बताने पर सपा नेता का बयान वायरल 

Rajasthan: अजमेर शरीफ मुद्दे पर सपा नेता रामगोपाल यादव ने कहा क‍ि हमारे प्रधानमंत्री स्‍वयं चद्दर भ‍िजवाते हैं. देश-दुन‍िया से लोग वहां जाते हैं. उसको व‍िवादों में डालना बहुत ही घृण‍ित और ओछी मानस‍िकता का प्रतीक है. 

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Rajasthan: अजमेर शरीफ दरगाह को मंद‍िर बताने वाली याच‍िका को कोर्ट ने स्‍वीकार करके दरगाह पक्ष को नोटिस जारी क‍िया है. इस पर समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने बयान द‍िया है. उन्होंने कहा, "इस तरह से छोटे-छोटे जज बैठे हैं, जो इस देश में आग लगवाना चाहते हैं. सत्‍ता में बने रहने के ल‍िए भाजपा समर्थित लोग कुछ भी कर सकते हैं, देश में आग लग जाए, इससे इन्हें कोई मतलब नहीं है." रामगोपाल यादव समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासच‍िव हैं और उत्‍तर प्रदेश से राज्‍यसभा सदस्‍य हैं.

कोर्ट ने दरगाह में मंंद‍िर होने के दावे वाली याच‍िका स्‍वीकारा   

ह‍िंदू सेना के व‍िष्‍णु गुप्‍ता ने अजमेर में ख्‍वाजा मुईनुद्दीन च‍िश्‍ती की दरगाह को मंद‍िर होने का दावा किया. उन्होंने कोर्ट में याच‍िका दायर की. न‍िचली अदालत ने याच‍िका स्‍वीकार करते हुए दरगाह पक्षकार को नोट‍िस जारी क‍िया है. ज‍िसकी अगली सुनवाई 20 द‍िसंबर को होगी. अजमेर दरगाह के प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती ने भी बयान जारी किया. नसरुद्दीन ने कहा कि यह एक नई परिपाटी नजर आ रही है. हर शख्स उठकर आ आता है, दरगाह और मस्जिद में मंदिर होने का दावा करता है. यह परिपाटी समाज और देश हित में नहीं है.

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सरुद्दीन चिश्ती बोले- 850 साल पुराना है दरगाह 

उन्होंने कहा क‍ि आज हिंदुस्तान ग्लोबल ताकत बनने जा रहा है, और अब भी हम मंदिर-मस्जिद को ढूंढ़ते फिर रहे हैं. जो यह उचित नहीं है. और अजमेर शरीफ की दरगाह का सवाल है तो यहां का इतिहास पिछले 100 से 150 साल का नहीं बल्कि 850 साल पुराना है.  1195 मे  ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर आए और उनका 1236 में  इंतकाल हुआ. जब से दरगाह आज तक कायम है. सभी धर्म का आस्था का केंद्र यह दरगाह है. यहां 800 साल से राजा, रजवाड़े , महाराजा और ब्रिटिश के राजाओं का भी  हकीकत का केंद्र यह दरगाह रही है.  

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असदुद्दीन ओवैसी ने भी जताया व‍िरोध 

एआईएमआईएम (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीड‍िया 'X' पर ल‍िखा,  "सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं. उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे. कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गये, लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है. 1991 का इबादतगाहों का क़ानून साफ़ कहता है के किसी भी इबादतगाह की मज़हबी पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता, ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी. ये अदालतों का क़ानूनी फ़र्ज़ है के वो 1991 एक्ट को अमल में लायें. बहुत ही अफ़सोसनाक बात है के हिंदुत्व तंज़ीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए क़ानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ायी जा रहीं हैं."

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