सर्दी आते ही देश की राजधानी दिल्ली समेत NCR का पूरा इलाका गैस चेंबर में तब्दील हो गया है. दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कई जिले वायु प्रदूषण की चपेट में हैं. यहां हवा इतनी ज्यादा खराब हो गई है कि लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी है. स्कूल की छुट्टी करनी पड़ रही है. दफ्तर में काम करने वाले लोगों को 'वर्क फ्रॉम होम' दे दिया गया है. भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट इन्हीं 4 राज्यों के शहरों से भरी हुई है. आंकड़ों के अनुसार, इस लिस्ट में दिल्ली के अलावा, यूपी के दो शहर, राजस्थान के दो शहर और हरियाणा के पांच शहर शामिल हैं.
इन शहरों की हवा सबसे ज्यादा खराब
आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा की हवा इस वक्त सबसे ज्यादा प्रदूषित है. यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 490 पहुंच गया है. दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवे नंबर पर हरियाणा के फतेहाबाद, जींद, फरीदाबाद और सोनीपत का नाम है, जहां AQI 477, 454, 449 और 425 दर्ज किया गया है. दिल्ली की हवा कुछ साफ हुई है, इसीलिए वो इस वक्त छठे नंबर पर है. इस वक्त दिल्ली में AQI 409 दर्ज किया गया है. सातवे नंबर पर राजस्थान का श्रीगंगानगर शहर है, जहां AQI 407 दर्ज किया गया है. आठवे पर हरियाणा का मानेसर है, जहां का AQI इस वक्त 403 है. उत्तर प्रदेश का नोएडा जिला लिस्ट में 9वें स्थान पर है. यहां AQI 401 दर्ज किया गया है. जबकि 10वे नंबर पर राजस्थान का भिवाड़ी है, जहां AQI 397 पर पहुंच गया है.
PM 2.5 की सांद्रता 80 गुना अधिक
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में हवा की अपेक्षाकृत बेहतर गति के कारण रातभर में प्रदूषण के स्तर में मामूली गिरावट जरूर आई है, लेकिन पीएम 2.5 की सांद्रता अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित स्वस्थ सीमा से करीब 80 गुना अधिक है. पीएम 2.5 वे सूक्ष्म कण होते हैं जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं. शहर में शनिवार को लगातार 5वें दिन धुंध की एक घनी हानिकारक परत छायी हुई है. चिकित्सकों ने चिंता व्यक्त की है कि वायु प्रदूषण से बच्चों और बुजुर्गों में श्वसन और आंख संबंधी दिक्कतें बढ़ रही है.
प्रदूषण से कम हो रही आपकी उम्र
दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों के दौरान प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, पराली जलाने, पटाखे जलाने और अन्य स्थानीय प्रदूषक स्रोतों के कारण वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है. 'यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो' के 'एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट' की एक रिपोर्ट में अगस्त में कहा गया कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लोगों की उम्र करीब 12 साल तक कम हो रही है. प्रदूषण के अति गंभीर श्रेणी में पहुंचने के कारण अब लोग सुबह की सैर और खेल समेत खुले में की जाने वाली अपनी गतिविधियों को टालने के लिए मजबूर हुए हैं. माता-पिता काफी चिंतित हैं क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे तेजी से सांस लेते हैं और अधिक प्रदूषक तत्व ग्रहण करते हैं. दिल्ली-एनसीआर में हर साल सर्दियों के दौरान प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, पराली जलाने, पटाखे जलाने और अन्य स्थानीय प्रदूषक स्रोतों के कारण वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुंच जाती है.