जयपुर : विधायक संयम लोढा ने विधानसभा में प्रजापति समाज से संबंधित समस्याओं को उठाया

वर्तमान में भी इसी व्यवसाय पर आश्रित है तथा इसके अलावा अन्य विकल्प नही होने से मजबुरन, समस्याओ से संघर्ष करते हुए ईट कजावा निर्माण में प्रवृति होना पड़ रहा है.

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विधायक संयम लोढा ने बताया कि राजस्थान के सिरोही, पाली तथा जालोर जिले में बहुतायत रूप से कुम्हार प्रजापति समाज ईट कजावा निर्माण करने का कार्य पीढ़ियों से करता आया है और कर रहा है. हमारा समाज भूमिहीन, आर्थिक
रूप से कमजोर तथा शैक्षिक रूप से बहुत पिछड़ा है. हमारा मुख्य कार्य मिट्टी के बर्तन बनाना एवं ईट कजावा निर्माण करना है. कजावा अर्थात छोटा ईट भट्टा वह होता है जिसमें चिमनी का उपयोग नही होता है तथा ईंधन के रूप में विलायती बबूल, कंटीली झाडिया, सरसो की भूमिसी का उपयोग होता है. वर्तमान में भी इसी व्यवसाय पर आश्रित है तथा इसके अलावा अन्य विकल्प नही होने से मजबुरन, समस्याओ से संघर्ष करते हुए ईट कजावा निर्माण में प्रवृति होना पड़ रहा है. वर्षो से कुम्हारा प्रजापति समाज उपेक्षा का शिकार रहा विशेषकर ईट कजावा निर्माताओ की ओर सरकार का ध्यान कभी नही गया. किसी भी सरकार ने कोई राहत प्रदान नही की है. ईट कजावा निर्माताओं द्वारा दुखड़ा रोते.रोते दिये समय समय पर राजस्व कर्मियों द्वारा प्रताडित होते रहे है. आर्थिक रूप से शोषण होता रहाण् परन्तु किसी भी सरकार द्वारा सांत्वना नही दी गई.

लोढा ने अपने विशेष उल्लेख प्रस्ताव के जरिये बताया कि वर्तमान में ईट निर्माताओं स्वयं खातेदारी कृषि भूमि नही होने से ईंट निर्माण करने हेतु अन्य खातेदारी की कृषि भूमि में मौखिक सहमत् समझौता के आधार पर ईट निर्माण करता है तथा उसके प्रतिफल के रूप मे मौखिक समझोते अनुसार खातेदार को ईटो मे से कुछ हिस्सा या नकद रूपया भुगतान करता है.

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ईट कजावा निर्माण के पश्चात ईटो का स्वामित्व ईंट कजावा निर्माता का ही रहता है. जिसकी सुरक्षा, विक्रय तथा परिवहन, ईट निर्माता ही करता है. खातेदार प्रतिफल प्राप्त होने के बाद अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है, चूंकि ईट निर्माता के नाम से अन्य की खातेदारी भूमि में अनुज्ञा जारी करने का प्रावधान नहीं होने से ईट निर्माण तथा परिवहन करते समय राजस्व कर्मियो, वनविभाग द्वारा प्रताडित किया जाता है तथा कार्यवाही की धमकी दी जाती है. बेवजह शोषण किया जाता है. उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि राजस्थान भूराजस्व ग्रामीण क्षेत्र में कृषि से अकृषि संपरिवर्तन नियम 2007 के
नियम 6 के अनुसार खातेदार अपनी कृषि भूमि मे एक एकड़ तक के क्षेत्र में कजावा छोटा ईंट भट्टा बिना संपरिवर्तन अनुज्ञा के लगा सकता है, की सीमा बढ़ाकर 1 हैक्टयेर करने को लेकर अनुज्ञा प्रमाण पत्र जारी करने हेतु तहसीलदारो को पुन: आदेशित किया जाए.

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अनुज्ञा प्रमाण पत्र के आधार पर खातेदार की सहमति से ईट निर्माण, विक्रय तथा परिवहन की अनुमति ईट कजावा निर्माताओं के नाम से तहसीलदार द्वारा की जाये ताकि ईटो के निर्माण विक्रय तथा परिवहन में किसी प्रकार की समस्या का सामना नही करना पड़े. यह कि खातेदार को जारी अनुज्ञा प्रमाण पत्र तथा खातेदार की सहमति से जारी इंट कजावा निर्माता को जारी ईंट निर्माण विक्रय, परिवहन की अनुमति के आधार पर ईंट कजावा लघुयोग की श्रेणी में शामिल करते हुए रियायती ब्याज दर पर बैंकों से ऋण प्रदान करने का प्रावधान किया जाये.

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