Bundi city Of Rajasthan: राजस्थान के बूंदी में यूं तो देखने के लिए सांस्कृतिक विरासत है लेकिन कुदरत ने छोटी काशी बूंदी को प्राकृतिक रूप से भी काफी सुंदर बनाया है. प्रदेश में ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों में से एक बूंदी जिला भी है. जो अपने कई शानदार महलों, किलों के लिए जाना जाता है. बूंदी लड़ाइयों और पौराणिक इतिहास का गवाह बना है. हाड़ी रानी से लेकर वीर कुंभ की शौर्य गाथा बूंदी के इतिहास और भी मजबूत बनाती है.
यहां की सबसे खास बात यह है कि पर्यटन स्थल के साथ-साथ प्राकृतिक झरने दर्शनीय स्थल मौजूद हैं जो मानसून के सीजन में सौंदर्यता हैं. इसी सौंदर्य को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक बूंदी को काफी पसंद करते हैं, जिनमें महत्वपूर्ण स्थल भीमलत महादेव, बरधा बांध व तलवास का धुधलेश्वर झरना, रामेश्वर महादेव स्थल हैं जहां पर हजारों की तादाद में पर्यटक पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते हैं. 783 साल पुराने शहर में पहाड़ी पर फोर्ट भी बना हुआ है. जिसमें विश्व प्रसिद्ध चित्र शैली सहित कई देखने लायक चीजें हैं.
शहर के बीचो- बीच दो बड़ी झील मौजूद हैं. जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक हर साल हजारों की तादाद में आते हैं एनडीटीवी संवाददाता ने यहां आने वाले विदेशी विदेशी पर्यटकों से बातचीत की. इटली व फ्रांस से आए पर्यटक कहते हैं, राजस्थान का कल्चर उन्हें काफी पसंद आया वो वह हर साल राजस्थान के कल्चर को देखने के लिए पहुंच जाते हैं. बूंदी जिला भी उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है यहां की छोटी-छोटी गलियां, बावड़ियां, कुंड और यहां के लोग उन्हें काफी पसंद है. पर्यटक बूंदी के पहाड़ियों पर मौजूद हरियालियों को भी देखकर काफी अच्छा महसूस करते हैं.
'लगता ही नहीं हम राजस्थान में हैं'
विदेशी नहीं देशी पर्यटक भी इन विरासतों को देखने के बाद बूंदी की तारीफ किए बिना नहीं रहते. दिल्ली से आए पर्यटकों ने भी बूंदी की हरियाली की तारीफ की कहा कि यकीन नहीं हो रहा कि राजस्थान के अंदर एक छोटे से शहर में इतनी हरियाली है और हरियाली के बीच में सांस्कृतिक विरासत है, जिसे देखकर उन्हें काफी अच्छा महसूस हो रहा है.
शहर के टूरिस्ट गाइड अश्विनी शर्मा ने बताया कि कुदरत ने बूंदी को काफी खूबसूरत बनाया है, पर्यटन की दृष्टि से प्राकृतिक सौंदर्य खुद ब खुद पर्यटकों को यहां खींच लाता है. पर्यटक इन स्थलों को देखकर काफी खुश होते हैं.
हर साल आते हैं हजारों पर्यटक
शहर के इतिहासकार पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि बूंदी पर्यटन नगरी के साथ-साथ छोटी काशी की नगरी भी कहा जाता है. यहां पग-पग पर मंदिर और मस्जिद हैं, जो इस शहर को सबसे अलग बनाते हैं. यहां के त्यौहार भी पूरे देश प्रदेश में मशहूर हैं. बूंदी जिला पर्यटन अधिकारी प्रेम शंकर सैनी ने कहते हैं कि हर साल बूंदी में देशी-विदेशी पर्यटकों की भरमार रहती है. यहां पर फ्रांस, इटली ,ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड समेत विभिन्न देशों के पर्यटक आते हैं. हाड़ोती इलाके में केवल बूंदी में ही सबसे ज्यादा पर्यटक देखने को मिलते हैं. हालांकि विदेशी पर्यटकों की संख्या हर साल 10 हजार के करीब पहुंच जाती है हालांकि कोरोना से पहले यह संख्या 20 हजार के ऊपर हुआ करती थी.
ऐतिहासिक फोर्ट में है यह देखने लायक स्थल
महल में खड़ी चढ़ाई के अंत में दो विशाल दरवाजे हैं जिन्हें हाथी पोल कहते हैं. हाथी पोल में दो हाथी की प्रतिमा बनी हुई है जिससे दरवजा बना हुआ है. हाथी पोल से अंदर प्रवेश करने के बाद बड़ा आंगन महल में आता है उसके बाद सीढ़ियां चढ़ने के साथ ही दीवाने आम दीवाने ए खास भी आता है. जहां पर बूंदी के शासक बैठा करते थे.
सबसे पुरानी चित्र शैली और रॉक पेंटिंग
बूंदी तारागढ़ फोर्ट में भारतीय पुरातत्व विभाग की विश्व प्रसिद्ध चित्र शैली भी मौजूद है. जिसे देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक आते हैं. महल देखने के बाद सीधा विश्व प्रसिद्ध चित्र शैली के लिए रास्ता निकल जाता है. बूंदी के ओम प्रकाश कुक्की ने 1997 को पहला शैल चित्र प्राचीन रामेश्वर महादेव मंदिर के पहाड़ी नाले की गुफा में मिला था.
अब तक बूंदी और भीलवाड़ा जिले के 97 अलग-अलग क्षेत्रों में शैलचित्रों की खोज हो चुकी है. जिले के गरड़दा, पलकां, कंवरपुरा, धनेश्वर, केवड़िया, मोहनपुरा का पठान, रामेश्वरम समेत टोंक और भीलवाड़ा जिले की सीमाओं में शैल चित्र मौजूद हैं.
वो मंदिर, जहां चंबल हो जाती है चारण्यमति
इसका निर्माण 1641 में बूंदी के राव राजा छत्र शाल ने करवाया था. मंदिर में राव राजा रघुवीर सिंह 1959 में लगवाए गए एक शिलालेख नुसार मंदिर में दो प्रतिमाएं स्थापित है.
भीमलत से लेकर बरधा बांध पर पर्यटकों की उमड़ती है भीड़
बूंदी जिले में बारिश के बाद पिकनिक स्थल पर्यटकों से गुलजार होना शुरू हो गए हैं. जिले के आधा दर्जन पिकनिक स्थलों पर हाड़ोती इलाके के पर्यटकों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है. हाड़ोती का गोवा कहा जाने वाला बरधा बांध, अपनी चादर ओढ़े हुए है. करीब 1 फीट पानी की चादर चलने से भीमलत महादेव झरना, रामेश्वर महादेव, तलवास सहित कई झरनों पर पर्यटकों का पहुंचना शुरू हो गया है.
यहां कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ सहित राजस्थान के कई जिलों से बरधा बांध में नहाने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं. महिला पुरुष के साथ-साथ कपल्स भी बड़ी तादाद में यहां इंजॉय करने के लिए आ रहे हैं.
बूंदी कैसे पहुंचें?
राजस्थान के बूंदी शहर पहुंचने के लिए वैसे तो बहुत सारी सुविधा हैं. सबसे अधिक नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं जो निजी और सरकारी तौर पर दोनों द्वारा संचालित हो रही है. यहां कोई हवाई अड्डा नहीं है. हाइवे यात्रा के लिए पर्यटकों को पहले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जयपुर आना पड़ेगा. यहां से बूंदी 250 किलोमीटर दूर है. वहां से टैक्सी या रोडवेज के माध्यम से बूंदी आ सकते हैं. इसी तरह ट्रेन से भी आप बूंदी पहुंच सकते हैं. देश के कई बड़े शहरों में कोटा के रेलवे स्टेशन का नाम आता है. यहां देश के सभी रेलवे स्टेशन की कनेक्टिविटी है. ऐसे में कोटा केवल बूंदी से 40 किलोमीटर दूरी है.