Banswara History: आज से 510 साल पहले मकर सक्रांति के दिन राजा बांसिया भील ने की थी बांसवाड़ा की स्थापना

राजा बांसिया भील पानी के महत्व को समझते थे, इसलिए उन्होंने 500 साल पहले ही बांसवाड़ा शहर के चारों तरफ चार तालाब बनवाये थे, जिसमें से तीन तालाबों के नाम अपनी बहनों के नाम पर रखा और एक तालाब का नामकरण राजा के नाम पर किया गया. 

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राजा बांसिया भील की मूर्ति

Makar Sankranti 2024: आज से 510 साल पहले 14 जनवरी 1515 में मकर संक्रांति के दिन राजा बांसिया भील (Raja Basiya Bheel) ने बांसवाड़ा राज्य की स्थापना की थी. अमरथुन गांव से निकलकर वर्तमान बांसवाड़ा शहर में अपना महल बनाकर राजा बांसिया भील ने बांसवाड़ा को बसाया था. बांसवाड़ा का नाम यहां प्रचुर मात्रा में मिलने वाले बांस के पेड़ों की वजह से पड़ा था.

राजा बांसिया भील मूलतः घाटोल के अमरथून गांव के रहने वाले थे और जन्म से ही पराक्रमी और विस्तारवादी विकास सोच से ओतप्रोत बसिया भील ने बांसवाड़ा राज्य की स्थापना का सपना देखा था. जिसको उन्होंने 14 जनवरी 1515 मकर संक्रांति के दिन पूरा किया.

बांसवाड़ा राज्य में उस समय सिर्फ भील समुदाय के लोग ही रहते थे. अन्य प्रांतों से यहां लोग व्यापार और दूसरे कामों के लिए आते गए. राजा बांसिया भील का महल अब जर्जर हो चुका है. यह महल आज भी समाईमाता की पहाड़ी पर मौजूद है. समाई माता पहाड़ी का नाम उनकी पत्नी समाई देवी के नाम से रखा गया है, जहां पर मंदिर बनाया गया है.

आज भी राजा बादशाह भील द्वारा बसाए गए बांसवाड़ा राज्य की स्थापना को लेकर भील राजा बांसिया समिति की ओर से नगर परिषद के बाहर लगी अश्वारूठ प्रतिमा के बाहर परंपरागत रूप से परिधान पहन कर हजारों युवा गैर नृत्य करते हैं. 

 जल संरक्षण के लिए बनाए थे चार तालाब

भील राजा बांसिया भील पानी के महत्व को समझते थे, इसलिए उन्होंने पांच सौ साल पहले ही बांसवाड़ा शहर के चारों तरफ चार तालाब बनवाये थे, जिसमें से तीन तालाबों के नाम अपनी बहनों के नाम पर रखा और एक तालाब का नामकरण राजा के नाम पर किया गया. 

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भैरोसिंह शेखावत ने किया था बांसिया भील की मूर्ति का अनावरण 

बांसिया भील की तीन बहनाें के नाम से तीन तालाब हैं. बड़ी बहन बाई के नाम से बाई तालाब, मझली बहन डाई के नाम से डाई तालाब और छोटी बहन नाथी बाई के नाम से नाथेलाव और स्वयं राजा के नाम से राजतालाब बनाया गया था. भीमकुंड में बांसिया भील की प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत ने किया था जो लालशंकर पारगी के आग्रह पर उस समय बांसवाड़ा आए थे. बांसिया भील के पिता अमरा भील ने अरमथून नगर काे राजधानी बनाया. चरपाेटा वंश की कुलदेवी मां अंबे की मूर्ति यहीं स्थापित है.

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