राजस्थान का वो शख्स जिसकी आवाज सुनकर म्यूजिक डायरेक्टर के थम गए पैर, फिर कोक स्टूडियों से आया 'तकदीर' का बुलावा

शकूर खान अपने ग्रुप के साथ सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, इराक, स्पेन, इटली, जापान, लंदन, इज़राइल और पाकिस्तान में भी प्रस्तुति दे चुके हैं.

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शकूर खान सूफी, लतीब खान और सतार खान की तस्वीर.

Rajasthan News: कहते है जैसी रेत, वैसी रागणी....राजस्थान की रेत जितनी सुनहरी है, यहां का लोक संगीत उतना ही रंगीला और रस से भरपूर है. ढोल की थाप की खताल से जुगलबंदी हर किसी को थिरकने पर मजबूर कर देती है. रेत में भीगते सुर और कमायचा की करुणा" यही सब मिलकर रचते हैं वो लोकसंगीत, जो केवल सुना नहीं, महसूस किया जाता है. यहां की हर लोकधुन, हर राग, पीढ़ियों की परंपरा और संस्कृति को अपने सुरों में पिरोकर हमें विरासत की एक झलक देती है.

शकूर खान (Shakur Khan) सूफी मांगणियार समुदाय से आता हैं और जैसलमेर (Jaisalmer) के दव गांव की गजुओ की बस्ती के रहने वाले हैं. शकूर का जन्म साल 1961 में लोक कलाकार हासम खान (Hasam Khan) के घर हुआ था. शकूर सिंधी, मारवाड़ी व सिरायकी गायक के रूप में प्रसिद्ध हैं. शकूर अपने परिवार की 15वीं पीढ़ी हैं, जो गीत, संगीत व सुरों की भाषा से राजस्थान की कहानी सुनाने का काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं, शकूर अपनी 16वीं पीढ़ी को भी तैयार कर चुके हैं. उनका बड़े बेटे लतीब खान व छोटे सतार खान भी अपने पूर्वजों की तरह गाने बजाने का काम कर रहे हैं. 

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कई बड़ी हस्तियों के साथ किया काम

शकूर खान:- सिंधी सिरायकी और राजस्थानी लोक गायकी के मशहूर कलाकार हैं. उन्होंने इंडिया से बाहर 9 देशों में 15 बार विदेशी यात्राएं कर राजस्थान के कण-कण में बसे संगीत को दुनिया भर के रोम-रोम में बसाने का काम किया है. शकूर खान अपने ग्रुप के साथ सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, इराक, स्पेन, इटली, जापान, लंदन, इज़राइल और पाकिस्तान में भी प्रस्तुति दे चुके हैं. इसके अलावा कबीर यात्रा कस मंचों पर भी प्रस्तुति देते हैं. शकूर कोक स्टूडियो के साथ काम कर चुके हैं.

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लतीब खान:- लतीब, शकूर ख़ान के बड़े बेटे हैं और 12वीं तक पढ़ाई के बाद पूर्ण रूप से अपने जीवन को संगीत को समर्पित कर चुके हैं. लतीब ने अपने पिता शकूर से कुछ सिंधी कलमें सीखीं और फिर जैसलमेर में टूरिज्म को देख-देख कर सूफी व हिंदी बॉलीवुड भी गाने लगे. लतीब अपने पिता के साथ कोक स्टूडियो भारत में काम कर चुके हैं. टी-सीरीज में पनिहारी गीत गाया है. वहीं मशहूर कलाकार सलीम सुलेमान के साथ लाइव परफॉर्म भी किया है. खासकर लतीब खड़ताल बजाते हैं, जो उन्होंने अपने उस्ताद व खड़ताल के जादूगर के नाम से मशहूर गाजी खान बरना से सिखा है. वर्तमान में उन्होंने तीन बार ग्रैमी पुरस्कार विजेता व पद्मश्री अवार्ड विजेता रिकी केज के साथ काम किया है.

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सतार खान:- सतार, शकूर खान सूफी के छोटे बेटे हैं और अपने पिता की तरह ही सूफी कलाम गाते हैं, साथ ही ढोलक भी बजाते हैं. उन्होंने अपने पिता के साथ कोक स्टूडियो भी परफॉर्म किया है. साथ ही साथ कई वाद्य यंत्र की सीख ले रहे हैं.

कोक स्टूडियो जाने का सफर

राजस्थान कबीर यात्रा के मंच पर प्रस्तुति देने के दौरान साल 2017 में जैसलमेर हनुमान चौराहे पर शकूर खान की आवाज सुनकर एक म्यूजिक डायरेक्टर उसने मिलने के लिए पहुंचा, जिनका नाम डॉन भट्ट था. उन्होंने तकदीर गाना सुना और फिर अपने एल्बम के लिए रिकॉर्ड किया था और जब यह गाना कोक स्टूडियों भारत वालों ने सुना तो उन्हे काफी पसंद आया, जिसके शकूर खान सूफ़ी व उनके बेटे लतीब और सतार ने साल 2019 में इस गाने को कोक के लिए रिकॉर्ड किया, जिसे साल 2023 में रिलीज किया गया. यह खान कोक स्टूडियो भारत के यूट्यूब चैनल पर 27 मिलीयन व्यूज के साथ ट्रेंडिग में है.

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