Chauth Mata Temple: राजस्थान के सवाई माधोपुर(Sawai Madhopur) जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बे में मां अम्बे का मंदिर है, जिसे लोग चौथ माता (Chauth Mata Temple) के रूप में पूजते हैं. यहां आने वाले भक्तों की मां में अपार आस्था है. खासकर हिंदी महीनों की हर चौथ और करवा चौथ (Karwa Chauth) पर हजारों की संख्या में भक्त मां के दरबार में आशीर्वाद और सौभाग्य लेने यहां पहुंचते हैं. करीब एक हजार फीट की ऊंचाई पर विराजमान चौथ माता के दर्शन के लिए प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों से भी साल भर लाखों की संख्या में भक्त आते हैं.
चौथ माता करती हैं सुहागिनों के सिंदूर की रक्षा
चौथ माता यहां आने वाले हर भक्त की पुकार सुनती हैं. माता का यह मंदिर सुहागिन महिलाओं में सबसे ज्यादा पूजनीय माना जाता है. इनकी चौथ माता में काफी आस्था है. सुहागिन महिलाओं का मानना है कि चौथ माता उनके पति की रक्षा करती हैं, यहां आने वाली हर सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती है.करवा चौथ पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को चौथ माता की पूजा करती हैं, चांद को जल चढ़ाती हैं, अपने पति का चेहरा देखती हैं और देवी से अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं.
1451 में हुई थी चौथ माता मंदिर की स्थापना
माता के मंदिर की स्थापना के बारे में लोगों में अलग-अलग मत हैं, मंदिर की स्थापना 1451 में यहां के तत्कालीन शासक भीम सिंह ने करवाई थी. तथा 1463 में मंदिर के रास्ते में बिजल छतरी का निर्माण करवाया गया तथा पहाड़ी की तलहटी में तालाब का निर्माण करवाया गया. 16वीं शताब्दी में यह कस्बा चौहान वंश से मुक्त होकर राठौड़ वंश के अधीन आ गया. इस वंश के शासकों की भी माता में गहरी आस्था थी. कहा जाता है कि राठौड़ वंश के शासक तेज सिंह राठौड़ ने 1671 में मुख्य मंदिर के दक्षिणी भाग में एक तिबारा (तीन दरवाजों वाला मकान या कमरा) बनवाया था. आज भी हाड़ौती क्षेत्र के लोग कोई भी शुभ कार्य करने से पहले माता को निमंत्रण देने आते हैं.
बूंदी राजघराने में कुल देवी के रूप में है चौथ माता
इसके अलावा गहरी आस्था के कारण बूंदी राजघराने के समय से चौथ माता को कुल देवी के रूप में पूजा जाता है। माता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है, वहीं कुछ लोगों का मानना है कि चौथ माता मंदिर की स्थापना जयपुर राजघराने ने की थी, जब राव माधोसिंह ने सवाई माधोपुर बसाया, उसी दौरान यहां भी मंदिर बनवाया गया. क्योंकि राव माधोसिंह माता को कुल देवी के रूप में पूजते थे, कहा जाता है कि एक बार युद्ध के दौरान मातेशी नाम की महिला के पति की मृत्यु हो गई, इस पर महिला ने अपने पति के साथ सती होने की जिद की, तब राव माधौसिंह ने सती प्रथा पर रोक लगा दी और महिला को सती नहीं होने दिया, इस पर महिला ने माता के दरबार में अपने पति को जीवनदान देने की गुहार लगाई. इस पर माता ने महिला के पति को जीवनदान देकर वापस जीवित कर दिया, तब से पूरे राजस्थान में महिलाएं माता के नाम पर चौथ माता का व्रत रखती हैं.
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