Paris Olympic 2024: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शूटर्स देने के बाद भी अभावों के साए में जगतपुरा शूटिंग रेंज, राज्य सरकार के बजट से लगी उम्मीदें

Rajasthan: जयपुर की जगतपुरा शूटिंग रेंज में पूरे राज्य में पांच हजार से अधिक शूटर रोजाना प्रैक्टिस करते हैं.जो अपनी आंखों में ओलंपिक खेलने का सपना लिए हुए हैं.

Advertisement
Read Time: 5 mins
J

Jagatpura shooting range:  पेरिस ओलंपिक ( Paris Olympic ) में भारत के शानदार प्रदर्शन के बाद खिलाड़ियों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना हुनर ​​दिखाने का जुनून तेजी से उभर रहा है. इसी कड़ी में जयपुर के 14  साल के राज्यवर्धन जिले की जगतपुरा शूटिंग रेंज में रोजाना अभ्यास करने आते हैं. उन्होंने तीन महीने पहले ही शूटिंग का अभ्यास शुरू किया था. उनके साथ 28 वर्षीय शताब्दी भी यहां रोजाना अभ्यास करने आती हैं.शताब्दी अब तक पैरा विश्व कप समेत कई राष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुकी हैं. वह अब ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहती है.

राज्यवर्धन और शताब्दी शूटिंग रेंज में प्रैक्टिस करते हुए

जगतपुरा शूटिंग रेंज 

जयपुर की इस जगतपुरा शूटिंग रेंज में ऐसे सैकड़ों बच्चे रोजाना प्रैक्टिस करने आते हैं जो अपनी आंखों में ओलंपिक खेलने का सपना लिए हुए हैं. इस रेंज के अलावा राजस्थान में 50 से अधिक शूटिंग रेंज और भी हैं जिसे राजस्थान रायफल्स एसोसिएशन ने मानकों के अनुरूप पाकर मान्यता दी है. इसके अलावा सैकड़ों प्राइवेट अकादमी भी संचालित की जाती हैं. एक अनुमान के मुताबिक यहां पूरे राज्य में पांच हजार से अधिक शूटर रोजाना प्रैक्टिस करते हैं. 

Advertisement

ऐतिहासिक हैं कारण

शूटिंग के प्रति युवाओं के बढ़ते क्रेज को लेकर राजस्थान रायफल्स एसोसिएशन के महासचिव शशांक कौराणी बताते है, 'राजस्थान में शूटिंग के क्रेज का ऐतिहासिक कारण हैं. राजा - महाराजाओं के ठिकानों में हमेशा हथियारों की उपलब्धता रही थी. वे शौक से शिकार करने के लिए हथियार रखते थे. इसी कड़ी में बाद में बीकानेर के महाराजा करणी सिंह के ओलंपिक में हिस्सा लेने से इसका क्रेज और बढ़ा.  महाराजा करणी सिंह ने 1960 से 1980 तक सभी ओलंपिक में भारतीय दल का हिस्सा रहे थे. वे मेडल भले न जीत पाए हो लेकिन राजस्थान के शूटिंग इतिहास में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था. इसके बाद 2004 एथेंस ओलंपिक खेलों में पुरुषों की डबल-ट्रैप स्पर्धा में राज्यवर्धन राठौड़ का पदक देश के लिए पहला व्यक्तिगत रजत पदक था. जिससे युवाओं में शूटिंग के प्रति लोगों का आकर्षण पैदा किया. 

Advertisement

जगतपुरा में एक शूटिंग रेंज

कहां रह गई कमी?

शूटिंग में लोगों की रुचि देखकर ही तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर के जगतपुरा में एक शूटिंग रेंज विकसित किया था. 18 हेक्टेयर में फैले इस रेंज के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना थी. इसका उद्देश्य यह था कि जयपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं खिलाड़ियों को मिले. लेकिन उसके बाद सरकारों ने इस रेंज पर इतना ध्यान नहीं दिया. 2012-13 में यह सेंटर करीब करीब बंद होने की कगार पर पहुंच गया था.इसकी चरमराई व्यवस्था को ठीक करने के लिए 2018 में इसे चलाने की जिम्मेदारी राजस्थान रायफल एसोसिएशन को दी गई. इसके बाद यहां ट्रेनिंग के लिए आने वाले बच्चों की संख्या बढ़ने लगी. लेकिन अब यह रेंज इस स्थिति में नहीं हैं कि यहां कोई नेशनल टूर्नामेंट हो सके. क्योंकि इसके स्टेशन और इलेक्ट्रोनिक स्कोरिंग टारगेट की संख्या नेशनल टूर्नामेंट के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्हें ओर अत्याधुनिक होने की जरूरत है.

Advertisement

नेशनल चैंपियनशिप के  के लिए 10 मीटर के 60 टारगेट होना जरूरी है लेकिन यहां सिर्फ 31 हैं. साथ ही, 25 मीटर के लिए 30 चाहिए होती है. वह भी नहीं हैं. इनके आभाव के कारण यहां अभी भी खिलाड़ी मैनुअल टारगेट पर प्रैक्टिस करते हैं. वहीं किसी इंटरनेश्नल टूर्नामेंट या प्रतियोगिता में बाग लेने के बाद यहां सीख रहे खिलाड़ियों को भोपाल या दिल्ली आगे की ट्रेनिंग के लिए जाना पड़ता है.

शशांक कौरानी आगे बताते है कि अगर यहां नेशनल टूर्नामेंट हो तो यहां के एथलीट को ज्यादा एक्सपोजर मिलेगा. अगर वे मेडल न भी जीत पाए तो राष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिलेगा. इससे वे काफी कुछ सीखेंगे. लेकिन हमारे पास वैसा इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है कि हम मेजबानी के लिए अप्लाई भी कर पाएं.हर साल राजस्थान के 50 से अधिक बेहतरीन खिलाड़ी भोपाल के ट्रेनिंग सेंटर या दिल्ली के करणी सिंह ट्रेनिंग सेंटर चले जाते हैं. अगर सरकार इस ओर ध्यान दे तो राजस्थान के खिलाड़ियों को ज्यादा मौके भी मिलेंगे और मेडल की संभावना भी बढ़ेगी. इस रेंज में प्रैक्टिस करने वाले 12 से अधिक खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

मिशन ओलंपिक के लिए 100 करोड़

राजस्थान की मौजूदा सरकार का अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री दीया कुमारी ने मिशन ओलंपिक शुरू करने की घोषणा की थी. इसके तहत 50 बेहतरीन खिलाड़ियों के कोचिंग, किट राज्य सरकार की तरफ से मुहैया कराने की बात कही थी. साथ ही इसके लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा. सरकार इन सब पर  100 करोड़ रुपए खर्च करेगी. खेल विशेषज् की माने तो यह पहल जरूरी है लेकिन इस योजना तक पहुंचने के लिए भी युवाओं को जिस तरह की ट्रेनिंग चाहिए, उसका अभाव साफ दिखता है. इसलिए पहले बुनियादी स्तर पर स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए भी सरकार को प्रयास करने चाहिए.

Topics mentioned in this article