झालावाड़: झाला राजपूतों की वीरता और बिना नींव का गागरौन फोर्ट है यहां की पहचान

झालावाड़ जिले में पर्यटकों के लिए आकर्षित करने वाली जगहों की भरमार है. फिर चाहे वह गढ़ का किला हो या फिर भवानी नाट्यशाला जो कि झाला भवानी सिंह द्वारा साल 1921 में बनवाई गई थी. यह जिला पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के साथ अपने राज्य की सीमा साझा करता है.

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राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में बसा एक छोटा सा जिला है झालावाड़. इसे 'झालाओं की भूमि' भी कहा जाता है, जो बहादुर चौहान राजपूत योद्धाओं का एक वंशज है. जिले का एक वीरता पूर्ण इतिहास रहा है और यह क्षेत्र इतिहास के विद्वानों के लिए एक बड़ा आकर्षण हैं. वे यहां के गौरवशाली इतिहास के अध्ययन के लिए यहां आते हैं. झालावाड़ को इसके मशहूर गागरौन किले के लिए भी जाना जाता है, जो कि बिना किसी नींव के खड़ा है. इसे यूनेस्को द्वारा साल 2013 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया गया था. गागरौन के इस अनोखे किले को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं. यह जिला पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के साथ अपने राज्य की सीमा साझा करता है.

झाला जालिम सिंह की सैनिक छावनी बनी झालावाड़

झालावाड़ शहर की स्थापना झाला जालिम सिंह ने छावनी के रूप में एक की थी, जो कोटा राज्य के तत्कालीन दीवान थे. दरअसल, उस समय आक्रमणकारी इसी जगह से गुजरते हुए हाड़ौती राज्यों पर हमला करते थे. इसलिए झाला जालिम सिंह ने आक्रमणकारियों को रोकने के लिए यहां एक सैन्य छावनी बनाने की सोची और इसे नाम दिया छावनी उमेदपुरा. हालांकि बाद में अंग्रेज शासकों ने इसे कोटा से अलग कर दिया और इसकी कमान झाला जालिम सिंह के पोते झाला मदन सिंह को दे दी.

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औद्योगिक विकास और संस्कृति

झालावाड़ में खनिज पदार्थों की भरमार है. सैंडस्टोन, लाइमस्टोन, मेसनरी स्टोन, कंकड़-बजरी जैसे पदार्थ इस जिले में पाए जाते हैं. यहां कई खदानें भी हैं जिनसे विश्व प्रसिद्ध कोटा पत्थर निकाला जाता है. इसके अलावा झालावाड़ में कई प्रकार की चीजें बनाई जाती हैं. जैसे, स्टील फर्नीचर, पीवीसी पाइप्स, मसाले, आदि. बात अगर यहां की संस्कृति की करें तो राजस्थान के बाकी शहरों की तरह ही यहां भी राजपूताना संस्कृति की झलक देखने को मिलती हैं. यहां लगने वाला कार्तिक मेला काफी लोकप्रिय है जो कि कार्तिक महीने की पूर्णिमा में लगता है.

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प्रमुख आकर्षण और पर्यटन स्थल

झालावाड़ जिले में पर्यटकों के लिए आकर्षित करने वाली जगहों की भरमार है. फिर चाहे वह गढ़ का किला हो या फिर भवानी नाट्यशाला जो कि झाला भवानी सिंह द्वारा साल 1921 में बनवाई गई थी. इस नाट्यशाला में हमें उस समय की वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना देखने का मिलता है. इसमें घोड़ो और रथों को मंच तक लाने के लिए एक विशेष रास्ता जमीन के नीचे से बनवाया गया था. इस जिले में ऐतिहासिक महत्व रखने वाले मंदिरों की भरमार है. इन सब के अलावा झालावाड़ सरकारी संग्रहालय में भी पर्यटकों को शहर के इतिहास की झलक देखने को मिलती है.

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झालावाड़ एक नजर में

  • झालावाड़ जिला राजस्थान के दक्षिण पूर्वी कोने में 23° 4' से 24° 52' उत्तरी अक्षांश और 75° 29' से 76° 56' पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है.
  • जिला मुख्यालय -  झालावाड़
  • क्षेत्रफल - 6315.2 वर्ग किमी
  • जनसंख्या - 1,411,129
  • जनसंख्या घनत्व - 227/वर्ग किमी
  • लिंगानुपात - 945/1000
  • साक्षरता -62.13%
  • तहसील -7
  • पंचायत समिति -  8
  • संभाग -कोटा
  • विधानसभा क्षेत्र - 8(अन्ता, किशनगंज, बारां-अटरू, छाबड़ा, बड़ा तमंचा, झालरापाटन, खानपुर, मनोहरथाना)
  • लोकसभा क्षेत्र-1