जब बूंदी के राजा ने जयपुर के तीज की इतनी तारीफ सुनी कि हमला कर डाला, लूट ली प्रतिमा

बूंदी में हर साल बड़े धूम-धाम से तीज का त्योहार मनाया जाता है. बूंदी के तीज की एक दिलचस्प कहानी है जो जयपुर के तीज से जुड़ी हुई है.

Advertisement
Read Time: 4 mins

Bundi Teej: राजस्थान अपने इतिहास के साथ त्योहारों के लिए भी जाना जाता है. लेकिन तीज की तो बात ही अलग है. हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. तीज के मौके पर जयपुर और बूंदी दोनों जगहों पर तीज माता की सवारी निकाली जाती है. लेकिन जयपुर और बूंदी के तीज की एक ऐतिहासिक कहानी है. बूंदी के राजा ने जयपुर की तीज की तारीफ सुनी और इसे सुन उन्हें ऐसी जलन हुई कि उन्होंने जयपुर की तीज यात्रा पर हमला कर दिया और तीज माता की प्रतिमा उठा ले गए. और इसके बाद से बूंदी में भी हर साल तीज पर भव्य यात्रा निकलने लगी.

बूंदी के राजा ने जब जयपुर की तारीफ सुनी

बूंदी के पूर्व राजपरिवार से जुड़े एक सदस्य बलभद्र सिंह ने जयपुर और बूंदी की तीज की कहानी सुनाई. उन्होंने बताया कि एक बार बूंदी के राजा बलवंत सिंह के एक मित्र ने उन्हें जयपुर में तीज की भव्य सवारी निकलने की चर्चा के दौरान कहा कि बूंदी में भी ऐसा कुछ आयोजन होना चाहिए. यह बात राजा को रास आ गई और उन्होंने जयपुर की उसी तीज को लाने का मन बना लिया. 

Advertisement

इसके बाद जब जयपुर से तीज की सवारी निकल रही थी तब बलवंत सिंह ने आक्रमण कर दिया और तीज की प्रतिमा को लूट लिया और बूंदी लेकर आ गए. इसके 15 दिन बाद बूंदी में राजशाही ठाठ से तीज की सवारी निकले लगी. इसके बाद से बूंदी में कई सालों से उसी शानोशौकत से कजली तीज का त्योहार मनाया जा रहा है.

Advertisement

बूंदी के पूर्व राजघराने में तीज माता की पूजा

बताया जाता है कि उस समय जयपुर के आमेर के किले में जो तीज की सवारी निकाली जाती थी वह प्रतिमा सोने की थी. राजा बूंदी उसे ही लूट कर लाए थे. इसके बाद जयपुर में तीज माता की बहरूपी सवारी निकाली जाने लगी. और लोग कहने लगे कि बूंदी में असली और जयपुर में नकली तीज की सवारी निकलती है.

Advertisement

बूंदी के पूर्व राजपरिवार की रानी रोहिणी ने बताया कि राजा बलवंत सिंह के जयपुर की तीज को बूंदी लाने के बाद से तीज का विशेष महत्व है, और इस संस्कृति को राजपरिवार ने आज भी जिंदा रखा है. इस संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए ही हर वर्ष शाही ठाठ से तीज की सवारी निकाली जाती है.

बूंदी के पूर्व राजघराने में हरियाली तीज करती महिलाए

तीज में लगता है बूंदी में मेला

बूंदी में पहले राज परिवार तीज पर सवारी निकाला करता था. मगर रजवाड़ों के भारत गणतंत्र का हिस्सा बनने के बाद बूंदी का स्थानीय नगर निकाय यह यात्रा निकालता है. तीज पर वहां 15 दिन का मेला भी होता है जिसमें देश-प्रदेश से दुकानदार बूंदी आते हैं. इस दौरान सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं और विभिन्न कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देते हैं.

मां पार्वती से जुड़ी है तीज की कथा 

राजस्थान में अभी हरियाली तीज मनाई जा रही है. महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए तीज माता की पूजा करती है. इस त्योहार पर देर रात्रि से ही महिलाये मंगल गीत गाते हुए मेहंदी अपने हाथो में रचाती हैं. हरियाली तीज का व्रत रखते हुए घरों में पकवान बनाए जाते है. इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कजली तीज के रूप में की जाती है. 

बताया जाता है कि उस समय जयपुर के आमेर के किले में जो तीज की सवारी निकाली जाती थी वह प्रतिमा सोने की थी. राजा बूंदी उसे ही लूट कर लाए थे.

ऐसा माना जाता है कि तीज कड़ी गर्मी के बाद मानसून के स्वागत का उत्सव भी है. कजली तीज पूरे साल मनाए जाने वाले तीन तीज त्योहारों में से एक है. आखा तीज और हरियाली तीज की तरह ही कजली तीज के लिए विशेष तैयारी की जाती है. इसी दिन देवी पार्वती की पूजा को शुभ माना जाता है.108 जन्म लेने के बाद देवी पार्वती भगवान शिव से शादी करने में सफल हुई. इस दिन को निस्वार्थ प्रेम के सम्मान के रूप में मनाया जाता है.

Topics mentioned in this article