टोंक में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कला कार्यशाला 'आर्टइको 2023' का समापन, विदेशी पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

"आर्टईको" एक अद्वितीय सांस्कृतिक उत्सव है. जिसमें अन्तरराष्ट्रीय कलाकारों की भागीदारी शामिल है. यह इस कार्यक्रम की वैश्विक अपील को रेखांकित करता है. इस कार्यक्रम में इस बात पर विशेष जोर दिया जाता है कि "आर्टईको" न केवल कलात्मक अभिव्यक्ति के लिए एक मंच के रूप में काम करे बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भी उत्प्रेरक के रूप में भी कार्य करे. यह कार्यशाला विरासत संरक्षण के लिए बहुत कारगर है.

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राजस्थान के टोंक जिले में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कला कार्यशाला "आर्टइको 2023" का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में शामिल हुए रशियन आर्टिस्ट्स ने भारतीय चित्रकारों के साथ मिलकर टोंक के एतिहासिक इमारतों के चित्र केनवास पर उकेरने का काम किया.

वहीं इस कार्यशाला के समापन के बाद मीडिया से बात करते हुए रशियन चित्रकार 'यूजीनि लोबानोव' ने भारतीय संस्कृति की तारीफ करते कहा कि हमें भारत से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. यहां के लोग बहुत अच्छे और मिलनसार है. उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के बारें में कहा कि "एक कलाकार हमेशा शांति चाहता है", जबकि युद्ध से सदैव संसाधनों को नुकसान होता है.

कार्यशाला का उद्घाटन करते रुसी चित्रकार 

इस अंतर्राष्ट्रीय कला कार्यशाला "आर्टइको 2023" के तहत तीन दिनों तक भारत और रूस के कलाकार टोंक में रहे. इस दौरान इन सारे कलाकारों ने मिलकर जामा मस्जिद, सुनहरी कोठी, ककोड़ का किला सहित कई इमारतों के चित्र केनवास पर उकेरे. पिछले तीन दिनों में रूस के चित्रकारों ने टोंक जिले के ककोड किला, बावड़ी, शाही जामा मस्जिद, चतुर्भुज तालाब, हाथी भाटा, अन्नपूर्णा मन्दिर, बनास पुलिया, पक्का बन्धा सहित अनेक ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर चित्र बनाये. 

चित्र बनाने वाले कलाकारों में पांच रुसी कलाकार सेरगे खावालोव, क्ज़ेनिआ द्रोज़्द, यूजीनि लोबानोव, ओल्गा लेवचेंको और अक्सेंटिव सर्गेई, और भारत से ग़ज़ल प्रताप और श्रेयांसी मनु जैसे प्रसिद्ध कलाकार सम्मलित हुए.

कार्यक्रम के सह-आयोजक श्रेयांसी इंटरनेशनल आर्ट एंड कल्चर ऑर्गनाइजेशन की प्रबंध निदेशक श्रेयांसी सिंह मनु का मानना ​​है कि "आर्टईको" में इस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक सांस्कृतिक कार्यक्रम बनने की क्षमता है. जो जीवन के सभी क्षेत्रों से कला प्रेमियों और पारखी लोगों को आकर्षित करेगा. उन्होंने छात्रों और युवाओं को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और कला के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए परियोजना के मिशन को व्यक्त किया. 

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इस कार्यक्रम के स्थानीय समन्वयक, महेश गुर्जर ने बताया कि टोंक में बनाई गई चित्रों की प्रर्दशनी को रूस देश में आयोजित होगी. जिसमें टोंक जिले के ऐतिहासिक स्थलों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पेन्टिंग के माध्यम से विदेशी लोगों को देखने का अवसर मिलेगा. यह पर्यटन की नजरिये से काफी अच्छा होगा. साथ ही इससे अधिक से अधिक विदेशी मेहमान
टोंक जिले के ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करने आयेगें. 

तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन मौलाना आजाद, और मुजीब अता आजाद की अध्यक्षता में हुआ

यह कार्यशाला 26 से 28 अक्टूबर तक आयोजित की गई. और इसका समापन एपीआरआई टोंक में हुआ. कार्यशाला के समापन समारोह के मुख्य आज अतिथि भारतीय आर्टिस्ट श्रेयांसी मनु, सेरगे खावालोव, रूसी चित्रकार क्ज़ेनिआ द्रोज़्द, यूजीनि लोबानोव रहे. साथ ही समापन समारोह की अध्यक्षता मौलाना आजाद, अरबी फारसी शोध संस्थान के निदेशक मुजीब अता आजाद ने की.

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