Rajasthan Heritage: राजस्थान अपनी सांस्कृतिक विरासत और कला के अनूठे नमूनों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. स्थानीय शिल्प से लेकर पारंपरिक भोजन तक, यहां की हर चीज़ में वो रंग और राजस्थानी विरासत झलकती है जिसने हमेशा से लोगों को इस रेगिस्तानी भूमि की ओर आकर्षित किया है.
विश्व धरोहर सूची में शामिल है राजस्थान के 7 किले
राज्य में हर किसी के लिए कुछ न कुछ है, चाहे आप दिन में जाएं या रात में. यहां की सभ्यता और शाही विरासतें और किले भव्य यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं. इस सूची में राजस्थान के 7 किले शामिल हैं, जिनमें से एक किला अपनी मजबूती और भव्यता के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. इसकी दीवारें इतनी मजबूत हैं कि वे चीन की महान दीवार यानी 'ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' को टक्कर देती हैं.
कुम्भलगढ़ दुर्ग - दीवारों को बनाया गया हैं बेहद मजबूत
यह राजस्थान के उदयपुर से 84 किलोमीटर उत्तर में जंगल में स्थित कुंभलगढ़ किला है. इसका निर्माण महाराणा कुंभा ने 13 मई 1459 को करवाया था. उन्होंने अपनी प्रजा को बाहरी दुश्मनों से बचाने के लिए इस किले की दीवारें बहुत मजबूत बनवाई थीं. इसलिए कहा जाता है कि इस किले पर विजय पाना बहुत मुश्किल काम था. इसके चारों ओर एक बड़ी दीवार बनी हुई है जो चीन की महान दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी दीवार मानी जाती है. यह लगभग 36 किलोमीटर लंबी है. इसकी भव्यता और मजबूती के कारण यूनेस्को ने भी इसकी प्रशंसा की है और इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है.
दीवार की चौड़ाई पर एक साथ चल सकते हैं आठ घोड़े
कुंभलगढ़ किले को मेवाड़ की आंख कहा जाता है. किले की विशाल दीवार 36 किलोमीटर में फैली हुई है, जिसकी चौड़ाई इतनी है कि इस पर एक साथ आठ घोड़े चल सकते हैं. किले के उत्तर की ओर बने पैदल रास्ते को 'टूट्या का होड़ा' और पूर्व की ओर हाथी गुढ़ा की नाल में उतरने वाले रास्ते को 'दानीवाह' कहा जाता है.
किले मेंबनाये गए हैं हिन्दू और जैन मंदिर
किले के पश्चिम की ओर जाने वाली सड़क को 'हीराबाड़ी' कहते हैं, जिससे थोड़ी दूर पर किले की तलहटी में महाराणा रायमल के 'कुंवर पृथ्वीराज की छतरी' है, जिसे 'उड़ता राजकुमार' के नाम से जाना जाता है. पृथ्वीराज स्मारक पर लगे शिलालेख में पृथ्वीराज के घोड़े का नाम 'साहन' लिखा है. इस किले में 60 से ज़्यादा हिंदू और जैन मंदिर हैं.
राजा उदय शरणस्थली रहा था कुम्भलगढ़ दुर्ग
यह किला मेवाड़ के राजा उदय के बचपन के दिनों में उनके लिए भी शरणस्थली था, जब बनबीर ने विक्रमादित्य की हत्या करके राजगद्दी हड़प ली थी. मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की जन्मस्थली होने के कारण, यह लोगों के लिए भावनात्मक रूप से बहुत महत्व रखता है.
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