Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन आज देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान, मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

2nd day of Navratri: नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है. इनकी पूजा में पीले रंग का विशेष महत्व होता है.

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आज नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है.

Navratri 2024 2nd Day: चैत्र नवरात्रि की 9 अप्रैल से शुरुआत हो चुकी है. आज दूसरा दिन है जो मां दुर्गा के 'देवी ब्रह्मचारिणी' स्वरूप को समर्पित होता है. ब्रह्मचारिणी इस लोक के समस्त चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं. इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिप्टी हुई कन्या के रूप में है, जिनके एक हाथ में अष्टदल की माला और दूसरे हाथ में कमंडल है. यह अक्षयमाला और कमंडल धारिणी ब्रह्मचारिणी नामक दुर्गा शास्त्रों के ज्ञान और निगमागम तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त है. अपने भक्तों को यह अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं. ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा और भव्य है.

आत्मविश्वास, आयु, आरोग्य की होगी प्राप्ति

अजमेर में एक मंदिर के पुजारी प्रियांक दाधीच ने बताया कि ब्रह्म का अर्थ है- तपस्या, और चारिणी का अर्थ है- आचरण करने वाली. अर्थात तप का आचरण करने वाली ब्रह्मचारिणी को हमन बार बार नमन करते हैं. माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना करने से आत्मविश्वास, आयु, आरोग्य, सौभाग्य, अभय आदि की प्राप्ति होती है. नवरात्रों के दूसरे दिन अजमेर के तमाम मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने पहुंचे और सभी ने अपने घर परिवार देश दुनिया में सुख शांति रहे उसकी प्रार्थना की और सभी ने माता रानी से आशीर्वाद लिया. देशभर के तमाम देवी मंदिरों को इन 9 दिन फूल मालाओं से सजाया जाता है जो भक्तों के मन को मोह लेते हैं. माता को सोने-चांदी के आभूषण पहनाए जाते हैं और भजन-कीर्तन होता है.

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आज पीले रंग के वस्त्र पहनकर करें पूजा

नवरात्रि के दूसरे दिन मां के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है. इनकी पूजा में पीले रंग का महत्व होता है. ऐसे में आप हरे रंग के वस्त्र पहनकर मां के इस रूप की पूजा अर्चना कर सकते हैं. आज अगर आप मां ब्रह्मचारिणी से अपने लिए दीर्घायु का वरदान चाहते हैं तो उन्हें शक्कर का भोग लगाएं. इससे व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. आज दोपहर 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है. जबकि दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक विजय मुहूर्त है. इसके साथ ही माता को पीले रंग के वस्त्र, पीले रंग के फूल, फल आदि अवश्य अर्पित करना न भूलें. भारतीय दर्शन में पीला रंग पालन-पोषण करने वाले स्वभाव को दर्शाता है और यह रंग सीखने, उत्साह, बुद्धि और ज्ञान का संकेत है.

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