'70 घंटे काम' वाले नारायण मूर्ति के सुझाव पर पत्नी सुधा मूर्ति का पहली बार आया बयान

नारायण मूर्ति ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी और जापान का उदाहरण देते हुए कहा था कि भारत में युवाओं को हर हफ़्ते 70 घंटे काम करने के बारे में सोचना चाहिए.

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सुधा मूर्ति ने कहा कि इन्फ़ोसिस को इतनी बड़ी कंपनी बनाने वालों ने समय की परवाह नहीं की

Infosys: इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति ने पहली बार अपने पति के 70 घंटे प्रति सप्ताह कम करने के सुझाव के बारे में प्रतिक्रिया दी है. लगभग डेढ़ साल पहले नारायण मूर्ति ने युवाओं को हर हफ़्ते 70 घंटे  काम करने की सलाह दी. इस बयान पर बड़ी बहस  हुई थी और कई जानी-मानी हस्तियों और सोशल मीडिया पर लोगों ने खूब प्रतिक्रिया की थी. नारायण मूर्ति की पत्नी और राज्य सभा सांसद सुधा मूर्ति ने अब पहली बार इस बयान को लेकर अपनी राय ज़ाहिर की है.

सुधा मूर्ति ने NDTV के साथ एक विशेष बातचीत में कहा है कि जब लोग कुछ गंभीरता से और जुनून के साथ काम करना चाहते हैं तो वो समय के बारे में नहीं सोचा करते. उन्होंने एनडीटीवी के एक स्पेशल शो 'India Through the Eyes of Its Icons' में कहा,"मेरे पति ने इंफोसिस को बिना पैसे के शुरू करने का फैसला किया था, लेकिन उनके साथ बहुत ही जुझारू और समर्पित सहयोगी थे, और उन्हें कामयाबी इसलिए मिल पाई क्योंकि वो लोग तब 70 घंटे या शायद इससे भी अधिक काम किया करते थे. सुधा मूर्ति ने दावा किया कि यदि ऐसा नहीं होता तो इंफोसिस आज इतनी बड़ी कंपनी नहीं बन सकती थी. 

"वो लोग 70 या उससे भी ज़्यादा घंटे काम करते थे"

कभी भी नहीं होती उन्होंने कहा कि उनके पति ने इंफोसिस को बिना किसी पैसे के शुरू करने का फैसला किया था, लेकिन उनके साथ बहुत ही जुझारू और समर्पित सहयोगी थे, और उन्हें कामयाबी इसलिए मिल पाई क्योंकि वो लोग तब 70 घंटे या शायद इससे भी अधिक काम किया करते थे. सुधा मूर्ति ने दावा किया कि यदि ऐसा नहीं होता तो इंफोसिस आज इतनी बड़ी कंपनी नहीं बन सकती थी. 

सुधा मूर्ति ने कहा," सिर्फ कड़ी मेहनत, थोड़ा भाग्य, और थोड़ा सही समय पर सही काम करने की वजह से यह हो पाया." उन्होंने साथ ही कहा कि उनके पति ही नहीं, दूसरे पेशों में भी कई लोग बहुत ज्यादा घंटे तक काम करते हैं, जैसे पत्रकार और डॉक्टर.

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"भगवान ने सभी को 24 घंटे दिए हैं"

उन्होंने कहा कि उनके पति जिस समय इंफोसिस के काम में व्यस्त रहते थे, उस समय उन्होंने अपने घर की और बच्चों की देखभाल करने का फैसला किया . साथ ही वह एक कॉलेज में कंप्यूटर साइंस पढ़ाने लगीं. उन्होंने कहा," मुझे ऐसा लगा कि मुझे अपना रास्ता खुद बनाना पड़ेगा जिससे मैं व्यस्त रहूं, और सिर्फ़ ये नहीं सोचती रहूं कि तुम्हारे पास समय नहीं है. मैं लिखा करती थी, लेकिन तब मैं और ज्यादा लिखने लगी."

सुधा मूर्ति ने कहा कि चाहे गरीब हो या अमीर, चाहे खूबसूरत हों या बदसूरत, भगवान ने सभी को 24 घंटे दिए हैं, और इसका आप कैसे इस्तेमाल करना चाहते हैं, यह उश व्यक्ति के ऊपर है.

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70 घंटे वाला नारायण मूर्ति का बयान

नारायण मूर्ति ने 70 घंटे काम करने वाला बहुचर्चित बयान अक्टूबर 2023 में एक पॉडकास्ट में दिया था. उन्होंने यह कह कर एक नई बहस छेड़ दी थी भारत में लोगों के काम करने की उत्पादकता दुनिया में सबसे कम उत्पादकता वाले देशों में से एक है. उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी और जापान का उदाहरण देते हुए कहा था कि भारत में युवाओं को हर हफ़्ते 70 घंटे काम करने के बारे में सोचना चाहिए.

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