Lohri 2025: 'फिर आई गिद्दा भगड़ा पाने की बारी', लोहड़ी की खुशियों के बीच जानें इसकी तारीख और महत्व

Lohr 2025: 13 जनवरी को लोहड़ी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. उत्तर भारत के पंजाब में इस त्यौहार का खास महत्व है.

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Lohri 2025

Lohri 2025 Kab Hai: हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानी 13 जनवरी को लोहड़ी  (Lohri 2025) का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. उत्तर भारत के पंजाब में इस त्यौहार का खास महत्व है. लेकिन अब यह पूरे देश में मनाया जाने लगा है. सर्दियों के मौसम में आने वाले इस त्यौहार का हर कोई बेसब्री से इंतज़ार करता है.  लोहड़ी की रात लोग घर के बाहर आग जलाते हैं और पंजाबी जोड़े पवित्र अग्नि में उसके चारों ओर घूमकर आशीर्वाद लेते हैं.

लोहड़ी का महत्व

लोहड़ी का धार्मिक महत्व है. यह रबी की फसल की कटाई का उत्सव है. इसमें फसल की कटाई और नई फसल के स्वागत का प्रतीक माना जाता है. लोहड़ी की शाम को लोग लकड़ियों से आग जलाते हैं और उसके चारों ओर तिल, गुड़, रेवड़ी और गजक चढ़ाते हैं. ये चीजें अग्नि देवता को अर्पित की जाती हैं और उनसे घर की खुशहाली के लिए प्रार्थना की जाती है.

लोहड़ी कैसे मनाई जाती है

लोहड़ी मुख्य रूप से कृषि से जुड़ा हुआ है. विशेष रूप से नई फसल की कटाई के समय मनाया जाता है. इस दौरान तिल और मूंगफली जैसी फसलों की कटाई की जाती है . इसी वजह से अग्नि को ये चीजें समर्पित करके उनसे परिवार की खुशहाली की कामना की जाती है. लोहड़ी का पर्व उन लोगों के लिए सबसे ख़ास होता है जिनकी नई शादी हुई होती है या फिर जिनके घर में बच्चे का जन्म हुआ होता है. ऐसे में यह पर्व और ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है और इसमें सभी रिश्तेदार शामिल होते हैं.

 एक दूसरे की खुशी का हिस्सा बनते लोग

कृषि और प्रकृति के महत्व का यह त्यौहार अब धीरे-धीरे हर समुदाय में अपनी जगह बना रहा है, जो समाज में सद्भाव और एकता बढ़ाता है. इस त्यौहार में लोग अलाव के पास इकट्ठा होते हैं, गीत गाते हैं और नृत्य करते हैं. और एक-दूसरे की खुशियों का हिस्सा बनते हैं। जो सभी समुदायों को एक साथ लाने की शक्ति रखता है.यह त्यौहार एक प्रतीक भी है.

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