पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस की कुर्की के आदेश पर लगाई रोक, अगली सुनवाई अब जनवरी में 

कुर्की का आदेश सरकारी कार्यों और जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, क्योंकि बीकानेर हाउस कई प्रशासनिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है. वहीं, अदालत में नोखा नगर पालिका के वकील ने स्पष्ट किया कि बीकानेर हाउस उनकी संपत्ति नहीं है. 

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राजस्थान सरकार को बड़ी राहत देते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 सितंबर 2024 को जारी किए गए बीकानेर हाउस की कुर्की के आदेश पर रोक लगा दी है. सरकार का पक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) शिव मंगल शर्मा ने राजस्थान सरकार की ओर से पक्ष रखा गया. 

क्या है बीकानेर हाउस का पूरा विवाद? 

दरअसल दिल्ली में बीकानेर भवन का मालिकाना हक नोखा म्यूनिसिपल काउंसिल के पास है. चार साल पहले नोखा नगर पालिका और एक कम्पनी इनवायरो इन्फ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच 50 लाख रुपए के एक विवाद में कोर्ट ने भवन को 21 नवंबर को कुर्क करने के आदेश दिए थे. 

लेकिन आज अदालत में नोखा नगर पालिका के वकील ने स्पष्ट किया कि बीकानेर हाउस उनकी संपत्ति नहीं है. यह राज्य सरकार की संपत्ति है. नगर पालिका ने यह भी कहा कि कम्पनी को 7 दिन के भीतर भुगतान कर दिया जाएगा.

यह संपत्ति से कुर्की से मुक्त है 

अदालत में कहा गया है कुर्की आदेश एकतरफा तरीके से पारित किया गया, जिसमें राज्य को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. बीकानेर हाउस एक सरकारी संपत्ति है, जिसका उपयोग सार्वजनिक और प्रशासनिक कार्यों के लिए किया जाता है. यह संपत्ति सीपीसी की धारा 60 के तहत कुर्की से मुक्त है. बीकानेर हाउस में राजस्थान के मुख्यमंत्री का कार्यालय, राजस्थान हाईकोर्ट रजिस्ट्री, और अतिरिक्त महाधिवक्ता सहित अन्य महत्वपूर्ण कार्यालय स्थित हैं.यों का केंद्र है.

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कोर्ट ने राज्य सरकार के तर्कों की प्राथमिक ताकत और संपत्ति के महत्वपूर्ण महत्व को स्वीकार किया. कोर्ट ने कुर्की आदेश पर रोक लगाते हुए अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी 2024 की तारीख तय की.

कुर्की आदेश पर रोक से राजस्थान सरकार को महत्वपूर्ण राहत मिली है. ऐतिहासिक और प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण बीकानेर हाउस राज्य सरकार के नियंत्रण में रहेगा जिससे सरकारी कार्यों में कोई बाधा नहीं आएगी.

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