जमीन पर विमान गिरने से होने वाली मौत पर मुआवजे की Policy नहीं, संसद में सरकार बोली- नीति बनाने का विचार भी नही

12 जून को अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास एयर इंडिया का विमान क्रैश हो गया था. जिसमें 260 लोगों की जान चली गई थी. इनमें से 19 वो लोग थे जो ज़मीन पर थे और विमान उनके ऊपर गिरा था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
12 जून को गुजरात के शहर अहमदाबाद में विमान हादसा हुआ था.

Ahmedabad Plane Crash: हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद में हुआ विमान हादसा देश के लिए एक गहरी पीड़ा और चिंता का विषय रहा इस त्रासदी में 241 यात्री विमान में सवार थे उनकी सभी की मृत्यु हो गई विमान के अस्पताल के भवन से टकराने के बाद वहां मौजूद भी कई लोगों की मृत्यु हो गई. 

जहां विमान में मारे गए यात्रियों को Montreal Convention, 1999 के तहत निश्चित और समयबद्ध मुआवज़ा दिए जाने का प्रावधान है, वहीं ज़मीन पर मारे गए निर्दोष नागरिकों को मुआवज़ा मिलने की कोई सुनिश्चित प्रक्रिया या नीति सरकार के पास नहीं है यह जानकारी गुरुवार को लोक सभा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल के सवाल के जवाब में नागरिक विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने सदन में दी है. 

ज़मीन पर मारे गए नागरिकों को क्यों नहीं मिलता मुआवज़ा ?  

जब विमान में मारे गए यात्रियों के लिए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के तहत मुआवज़ा मिलता है, तो उसी विमान से ज़मीन पर मारे गए नागरिकों के लिए ऐसा कोई नियम या नीति क्यों नहीं है? सरकार ने इस प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वीकार किया कि इस समय ऐसी कोई नीति मौजूद नहीं है जो ज़मीन पर जान या माल के नुकसान के लिए एयरलाइनों को मुआवज़ा देने के लिए बाध्य करती हो. साथ ही, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि निकट भविष्य में ऐसी कोई योजना भी नहीं है.

जब विमान में मारे गए यात्रियों के लिए अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन के तहत मुआवज़ा मिलता है, तो उसी विमान से ज़मीन पर मारे गए नागरिकों के लिए ऐसा कोई नियम या नीति क्यों नहीं है?

हनुमान बेनीवाल

सांसद, नागौर

अहमदाबाद विमान हादसे में गई थी MBBS छात्रों की मौत 

सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि इस हादसे ने एमबीबीएस कर रहे राजस्थान के दो छात्रों सहित कई लोगों की मृत्यु हुई थी. वर्तमान में ग्राउंड कैजुअल्टी (जैसे इस हादसे में अस्पताल में मारे गए लोग) के परिजनों को सीधा मुआवजा देने का कोई विशिष्ट नियम नहीं है, ऐसे में स्वत: कोई मुआवज़ा नहीं मिलता है. उन्हें संबंधित एयरलाइन के खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर करना पड़ता है साथ ही उन्हें यह साबित करना होता है कि एयरलाइन की गलती के कारण नुकसान हुआ है.

Advertisement
सरकार ने लिखित उत्तर में स्वीकार किया कि इस समय ऐसी कोई नीति मौजूद नहीं है जो ज़मीन पर जान या माल के नुकसान के लिए एयरलाइनों को मुआवज़ा देने के लिए बाध्य करती हो. साथ ही, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि निकट भविष्य में ऐसी कोई योजना भी नहीं है.

वहीं, बेनीवाल ने कहा कि कुछ मामलों में राज्य सरकारें राहत राशि देती हैं, लेकिन यह अनिवार्य नहीं होती. वहीं एयरलाइंस की थर्ड पार्टी बीमा से मुआवज़ा मिल सकता है, पर उसकी प्रक्रिया तकनीकी और लंबी होती है. इस पूरी प्रक्रिया में परिजनों को वर्षों तक संघर्ष करना पड़ता है, जो उनके लिए मानसिक प्रताड़ना से कम नहीं है. सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि क्या एक आम नागरिक की जान सिर्फ इसलिए कम कीमती है क्योंकि वो विमान में नहीं था?