Diwali Muhurat 2023: दिवाली पर किस शुभ मुहूर्त में करें लक्ष्मी पूजा जिससे होगी अपार धन और वैभव की प्राप्ति

इस दिवाली लक्ष्मी पूजा के 2 शुभ मुहूर्त हैं. पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में है. जो कि 12 नवंबर को शाम 5:28 से 8:07 बजे तक रहेगा, जिसमें वृषभ काल स्थिर लग्न 5:39 से 7:33 तक रहेगा. इस समय पूजा करना सबसे अच्छा समय माना जाता है. पूजा के लिए आपको कुल 1 घंटे 54 मिनट का समय मिलेगा. वहीं लक्ष्मी पूजा का दूसरा शुभ मुहूर्त रात को 11:39 से देर रात 12:30 बजे तक रहेगा.

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JAISALMER :

स्वर्णनगरी जैसलमेर सहित देशभर में आज प्रकाश पर्व दीपावली की धूम है. आज दीपोत्सव के इस पावन पर्व पर सब लोग महालक्ष्मी पूजन और कुबेर पूजन की सभी तैयारियों में जुटे हुए हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं वो शुभ मुहूर्त जिसमें पूजन करने से महालक्ष्मी और कुबरे महाराज आपको स्थाई लक्ष्मी प्रदान का आशीर्वाद देंगे. दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 12 नवंबर 2023 को शाम 5:39 से लेकर 7:35 तक है.

ज्योतिषाचार्य उमेश आचार्य ने बताया कि स्थिर लग्न में किया गया श्री महालक्ष्मी और श्री कुबेर पूजन का पूजन आपको स्थाई लक्ष्मी प्रदान करता है. ज्योतिष विश्व गौरव और ज्योतिष भास्कर की उपाधि से विभूषित आचार्य ने बताया कि 12 नवंबर 2023 को रविवार के दिन दोपहर 2 बजकर 45 मिनिट से कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी.

भारतीय मानक समयानुसार रविवार को स्थिर वृष लग्न सायं 6 बजकर 12 मिनिट से रात्रि 8 बजकर 03 मिनिट तक और स्थिर सिंह लग्न अर्धरात्रि उपरांत 12 बजकर 38 मिनिट से रात्रि 2 बजकर 51 मिनिट तक रहेगा.

उन्होंने आगे बताया कि स्थिर लग्न में षोडशोपचार विधि से श्री महालक्ष्मी पूजन करने से सुख, संपत्ति, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. कार्तिक कृष्ण अमावस्या को सपरिवार श्री महालक्ष्मी, श्री कुबेर जी और श्री गणेश जी का पूजन किया जाना चाहिए. इससे जीवन के सारे क्लेश खत्म हो जाते हैं. साथ ही धन-धान्य की वृद्धि होती है और वैभव की प्राप्ति होती है. दीपोत्सव के पर्व पर दीपमाला आयोजन से जीवन में उन्नति और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है.

उन्होंने बताया कि दीपोत्सव बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है. जीवन में धन संपदा, समृद्धि का आशीर्वाद पाने के लिए सभी को श्री महालक्ष्मी जी की पूजा दीपावली के इस शुभ अवसर पर अवश्य करनी चाहिए.

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दीपावली आत्म- साक्षात्कार और पुरुषार्थ का भी पर्व है. यह अपने भीतर सोई हुई चेतना को फिर से जगाने का अनुपम पावन पर्व है. दीपोत्सव हमारे आभामंडल को विशुद्ध रखने और पर्यावरण की स्वच्छता का संदेश भी देता है.