विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Nov 14, 2023

Govardhan Puja 2023: कैसे हुई अन्‍नकूट की शुरुआत? क्या आप जानते हैं गोवर्धन पूजा पर क्यों लगाते हैं 56 भोग

गोवर्धन की पूजा के दिन जहां सुबह उनका अभिषेक किया जाता है तो घरों में विभिन्न व्यंजन बनाकर उनका भोग लगाया जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन प्रमुख तौर पर कड़ी  चावल और बाजरा बनाया जाता है जिसे अन्नकूट कहा जाता है.

Read Time: 4 min
Govardhan Puja 2023: कैसे हुई अन्‍नकूट की शुरुआत? क्या आप जानते हैं गोवर्धन पूजा पर क्यों लगाते हैं 56 भोग
प्रतीकात्मक तस्वीर.

Govardhan Puja 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. इसके दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है, और फिर अगले दिन भैया दूज (Bhai Dooj) का त्योहार आता है. लेकिन इस बार इन सभी त्योहारों की तारीख में बड़ा फेरबदल हुआ है. दरअसल इस साल, दिवाली के एक दिन बाद 13 नवंबर को आंशिक सूर्य ग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा में एक दिन की देरी हुई. इसी कारण आज धार्मिक नगरी अजमेर की महिलाओं ने गोवर्धन पूजा और अंकूट की तैयारी की. 

वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, पर ब्रज में इसका खास महत्व है. भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में खासतौर से गोवर्धन पूजा होती है. इस दिन गाय की पूजा का भी बड़ा महत्व बताया गया है. गोवर्धन पूजा को लोग अन्नकूट पूजा के नाम से भी जानते हैं. दिवाली की तरह कुछ काम ऐसे होते हैं जो आज के दिन नहीं करने चाहिए. पंडित और महंत घनश्याम आचार्य  ने बताया कि गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का भी बड़ा महत्व है. अन्नकूट का भोग भी सामर्थ्य अनुसार लगता है. कहीं-कहीं लोग मूंग दाल और बाजरे को मिलाकर खिचड़ी बनाते हैं, तो कहीं अन्नकूट में भगवान श्री कृष्ण को 56 भोग का प्रसाद भी लगाया जाता है. इस प्रक्रिया को अन्नकूट कहा जाता है. आइए जानते हैं गोवर्धन पूजा पर चढ़ाए जाने वाले अन्नकूट प्रसाद और 56 भोग के बारे में. 

अन्नकूट यानी अन्न का समूह

अन्नकूट जैसे कि इसके नाम से लगता है कि यह बहुत सारे अनाजों का मिश्रण होता है. तरह-तरह के पकवानों से भगवान की पूजा की जाती है तो इस प्रसाद को अलग-अलग बांटने की बजाय इकट्ठा बांटा जाता है. इस मिश्रण का स्वाद निराला होता है. भगवान के इस अन्‍नकूट प्रसाद में कई सारी सब्ज़ियों को मिलाकर बनी मिक्स सब्जी, कढ़ी-चावल, पूड़ी, रोटी, मूंग की खिचड़ी, बाजरे का हलुआ आदि बनाया जाता है.

कैसे हुई अन्‍नकूट की शुरुआत

पंडित और महंत घनश्याम आचार्य के अनुसार, कुछ गाथाओं में इस प्रसाद के बारे में कहा गया है कि जब भगवान कृष्‍ण ने देवराज इंद्र के घमंड को चूर करते हुए गोवर्धन पर्वत की पूजा की और इंद्र ने गुस्से से भारी बारिश कर दी थी. तब भगवान श्रीकृष्ण समूचे वृंदावनवासियों को लेकर गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए थे. इस पर्वत के नीचे लगातार सात दिन बिताए. उस दौरान सभी ने अपने साथ लाई खाद्य सामग्री, अन्नों को मिल बांटकर खाया. उसका स्वाद इतना अद्भुत था कि इसे खाने खुद कृष्ण ललचाते थे. बाद में वह अन्नकूट प्रसाद के रूप में गोवर्धन पर्वत को भोग लगाकर खाया जाने लगा. खुद श्रीकृष्ण ने इस प्रिय प्रसाद का हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके भोग लगाकर अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी थी. 

अन्नकूट का लगाया जाता है भोग

गोवर्धन की पूजा के दिन जहां सुबह उनका अभिषेक किया जाता है तो घरों में विभिन्न व्यंजन बनाकर उनका भोग लगाया जाता है. गोवर्धन पूजा के दिन प्रमुख तौर पर कड़ी  चावल और बाजरा बनाया जाता है जिसे अन्नकूट कहा जाता है. ब्रज के गोवर्धन में तो यह मुख्य आयोजन होता ही है इसके अलावा हर मन्दिर और घरों में भी अन्नकूट बनाया जाता है और इसे प्रसाद के तौर भी बांटा जाता है.

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close