Rajasthan: झुंझुनूं में दूल्हे की तरह सजी दुल्हन, घोड़ी पर बैठकर निकाली रवीना-दीपिका की बिंदौरी

झुंझुनू जिले में रूढ़िवादी परंपराओं को लगातार दरकिनार किया जा रहा है. इन्हीं में से एक बेटा-बेटी में समानता भी एक है. झुंझुनूं में बेटों के बराबर बेटियों की बिंदौरी निकाली जाती है. बिंदौरी में बेटियों को दूल्हे की तरह सजाया जाता है.

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Rajasthan News: शेखावाटी में शादी हो और बेटा-बेटी एक समान का संदेश देने वाली तस्वीर सामने ना आए, ऐसा हो ही नहीं सकता. बेटियों को बराबर का दर्जा देने में हमेशा अग्रणी रहने वाले झुंझुनूं की बेटियों का एक बार फिर सपना पूरा हुआ है. बुहाना के कुहाड़वास गांव में रहने वाली रवीना और दीपिका का सपना था कि वह शादी के वक्त बेटों की तरह घोड़ी पर बैठें. जब परिवार को इसके बारे में पता लगा तो उन्होंने इसे पूरा करने की ठान ली. सभी ने मिलकर रवीना और दीपिका की बिन्दौरी निकाली. इस दौरान डीजे पर परिवार के सदस्य भी अपने आपको रोक नहीं पाए. सभी ने जमकर डांस किया. वहीं घोड़ी पर बैठी रवीना और दीपिका ने भी खूब ठुमके लगाए. 

'ये सबसे बड़ा कार्य है'

रवीना और दीपिका ने कहा कि बचपन से लेकर आज तक मेरे परिवार ने मेरे हर सपने में ना केवल मेरा साथ दिया है, बल्कि उसे पूरा भी करवाया है. आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. झुंझुनूं समेत शेखावाटी में बेटियों की बिन्दौरी से पूरा देश जान गया है कि शेखावाटी में बेटा-बेटी एक समान अब हर परिवार के लिए सम्मान की बात है. बेटी को घोड़ी पर बिंदौरी निकालने पर शुभराम ने बताया कि शिक्षित समाज में बेटा और बेटी एक समान है. आज के वर्तमान समय में बेटा और बेटी में कोई फर्क नहीं होना चाहिए. विशेषकर झुंझुनूं जिले में जहां लाखों लोगों ने 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' की शपथ ली हो. वहां पर बेटी की घोड़ी पर बिंदौरी निकालना सबसे बड़ा कार्य है.

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जिले में बढ़ा लिंगानुपात

महिला एवं बाल अधिकारिता विभाग द्वारा लिंगानुपात बढ़ाने को लेकर विभिन्न नवाचार किया जा रहे हैं. उन्हीं नवाचारों की कड़ी में से एक है बेटा-बेटी एक समान की मुहिम. इस मुहिम के तहत समानता का संदेश देते हुए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाते हैं. इन्हीं कार्यक्रमों की बदौलत जिले में लिंगानुपात बढ़ा है. शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी झुंझुनूं जिला 2011 की जनगणना के आधार पर 837 अंको के साथ बाल लिंगानुपात की दृष्टि से राज्य में 33 वे स्थान यानि की अंतिम पायदान पर था. जिला प्रशासन, महिला अधिकारिता विभाग एवं आमजन की भागीदारी से वर्तमान में जिले का लिंगानुपात 949 हो गया है. इसमें 112 अंको की वृद्वि राष्ट्र स्तर पर सर्वाधिक है.

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रूढ़िवादी परंपराओं को किया दरकिनार

झुंझुनू जिले में रूढ़िवादी परंपराओं को लगातार दरकिनार किया जा रहा है. इन्हीं में से एक बेटा-बेटी में समानता भी एक है. झुंझुनूं में बेटों के बराबर बेटियों की बिंदौरी निकाली जाती है. बिंदौरी में बेटियों को दूल्हे की तरह सजाया जाता है. डीजे के आगे पूरा परिवार ठुमके लगता है, और बेटी के विवाह का जश्न बेटे के विवाह के जश्न की तरह मनाया जाता है. अब यह परंपरा झुंझुनूं जिले के गांव में आम हो चली है.

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प्रशासन ने किया आयोजन

जिले में बालिकाओं के क्षेत्रा में विभिन्न गतिविधियों को आयोजन किया गया. जिले में बेटी जन्म पर जिला कलेक्टर द्वारा बधई संदेश का वितरण, बेटियों को प्रत्येक पंचायत से लेकर जिले में ब्रांड एम्बेसडर बनाना, कलेक्टर की कुर्सी, कलेक्टर से संवाद, लंच विद लाडली, बेटी के जन्म पर थाली बजाना, कुआ पूजन, ढूंढ पूजन, बेटी जन्मोत्सव, विवाह के समय बनोरी, बाल विवाह मुक्त झुंझुनू अभियान का सहारा लिया गया.