Success Story: दुनिया के हर पिता का सपना होता है कि उसकी बेटियां उसका गौरव बनें. इसके लिए वह उनके हर सपने को पूरा करने के लिए ऊंची उड़ान भरने की ताकत देता है, ताकि वे अपने लक्ष्य को पाने के लिए बिना किसी डर के ऊंची उड़ान भर सकें. राजस्थान के राजसमंद में एक पिता ने अपनी बेटियों के लिए ऐसा ही किया है. जिले के देवगढ़ में रहने वाले भंवरलाल रावल और उनकी बेटियों कविता और पद्मा रावल ने अपनी मेहनत और संघर्ष के बल पर न केवल अपने हालात बदले, बल्कि रावल समाज में एक नया कीर्तिमान भी स्थापित किया.
पिता ने दूध बेचकर पूरा किया अपनी बेटियों का सपना
कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास से कविता और पद्मा ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता. इन दोनों बहनों के सफर की बात करें तो इन्होंने गरीबी से शुरुआत कर मेडिकल क्षेत्र में सफलता की बुलंदियों को छुआ. दूध बेचकर परिवार का भरण-पोषण करने वाले इनके पिता भंवर लाल ने संघर्ष के साथ-साथ बेटियों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए अपना सबकुछ समर्पित कर दिया. यही वजह रही कि उनकी बेटियां न सिर्फ अपनी कक्षाओं में अव्वल रहीं बल्कि मेडिकल क्षेत्र में भी अपना नाम रोशन करने में सफल रहीं.
जमीन बेचकर उठाया पढ़ाई का खर्चा
पिता भंवरलाल रावल ने बताया कि मैंने अपनी बेटियों के डॉक्टर बनाने का सपना देखा था. इसके लिए मैंने और मेरी पत्नी ने बेटियों की पढ़ाई में किसी भी तरह की कमी नहीं आने दी. इसका नतीजा यह हुआ कि आज दोनों ही बेटियां डॉक्टर बन गई हैं, जिस पर मुझे गर्व है. दोनों बेटियों की पढ़ाई पूरी कराने के लिए उनके पिता ने अपनी जमीन तक बेच दी, ताकि उनकी पढ़ाई में कोई बाधा न आए. जमीन से मिले पैसों से कविता ने विदेश में एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की और फिर जयपुर में रहकर इंडियन मेडिकल एग्जाम की तैयारी की.
माता-पिता की आंखों से छलके खुशी के आंसू
हाल ही में उन्होंने एमसीआई की परीक्षा पास की और सरकारी डॉक्टर बन गईं.रावल समाज और राजसमंद में शायद यह पहली बार हुआ है कि एक साथ दो बहनें डॉक्टर बनी हैं. यह उपलब्धि उनके परिवार के लिए गर्व की बात बन गई है . इससे पूरे इलाके में खुशी का माहौल है. उनके माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी बेटियों को डॉक्टर बनते हुए देखा है.
दो साल की मेहनत का नतीजा, बन गई डॉक्टर बिटिया
कविता और पद्मा ने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और भाई कमलेश को दिया. दोनों बहनों ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा विद्या निकेतन स्कूल और देवगढ़ स्थित श्रीजी पब्लिक स्कूल से की. इसके बाद दोनों नीट की तैयारी के लिए कोटा चली गईं, जहां उन्होंने दो साल तक कड़ी मेहनत की. इसी दौरान पद्मा का नीट में चयन हो गया और वह फिलहाल मेडिकल कॉलेज बरेली (यूपी) से एमबीबीएस कर रही हैं. वहीं, कविता ने विदेश से एमबीबीएस करने का फैसला किया. लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन अब दोनों के संघर्ष का सुखद अंत हुआ है.