मिलावटखोरी और नकली सामानों के खिलाफ लड़ाई में आगे राजस्थान

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Pankaj Kumar Ojha

Food adulteration: वर्तमान समय में यह देखने में आया है कि आमजन को शुद्ध आहार के बजाए मिलावटी खाद्य पदार्थ भोजन में मिल रहे हैं, यह कार्य और मिलावट का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है. खाद्य पदार्थों में मिलावट से तात्पर्य है कि जानबूझकर अधिक पैसा कमाना और लालच से जानबूझकर समझते-बूझते भी खाद्य पदार्थाें की गुणवत्ता को खराब कर देना.

खाद्य पदार्थाें में अनेक तरह की चीजों की मिलावट कर दी जाती है, तो कुुछ अच्छे घटक होते हैं उनको हटा दिया जाता है या उनको निकाल लिया जाता है, इससे उस भोज्य पदार्थ की गुणवत्ता बदल जाती है. किसी पदार्थ को मिलाना या हटाने को ही मिलावट कहते हैं. 

जनसंख्या, विज्ञान, और व्यापारिक गतिविधियों में जैसे-जैसे वृद्धि हुई, जैसे-जैसे वस्तुओं की मांग बढ़ी वैसे-वैसे ही मिलावट में वृद्धि होती गई और इस प्रकार मिलावट करके मुनाफाखोरी की प्रवृति बढ़ती गई. अब हालात यह हैं कि भारत में मिलावट का प्रतिशत 22 तक पहुंच गया है.

इन सब का प्रभाव यह हुआ है कि हम ढेर सारी बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिनमें स्किन कैंसर, लिवर कैंसर, पाचन संस्थान के रोग, डायरिया, पेट दर्द, मितली, उल्टी, आंखों की समस्या, सरदर्द, खून की कमी, नींद की कमी, मस्तिष्क को क्षति, जोडों का दर्द ड्रॉप्सी, कार्डियक अरेस्ट, ग्लूकोमा, गुर्दों में खराबी, पाचन तंत्र के विकार इन सब नए-नए रोगों के चलते, डाक्टरों के पास लंबी-लंबी कतारें लगने लगी हैं.

खतरनाक चीजों की खाने में मिलावट

पत्थर, चोक पाउडर, सोप स्टोन, पानी, खनिज तेल, मिट्टी, गंदगी, रेत, गोबर, छिलके, संगमरमर के टुकडे़, खतरनाक रंग, प्लास्टिक, हानिकारक केमिकल यह सब मिलाए जाते हैं, जिससे खाद्य पदार्थाें की गुणवत्ता बिल्कुल बदल जाती है. अब कोई खाद्य पदार्थ ऐसा नहीं है जो मिलावट से अछूता हो.

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दूध, पनीर, मावा, मसाले, तेल, घी, बटर, आटा, बेसन, दालें, फल, ड्राईफ्रूट, मिटाइयां, नमकीन, चाॅकलेट, सौन्दर्य प्रसाधन, आइसक्रीम, दवाइयां, सब्जियां, एक ही तेल में बार-बार तलना खाद्य पदार्थाें को जहरीला बना देता है. कोई भी घटक मिलावट, कृत्रिम रसायनों, कीटनाशकों से अछूता नहीं रहा.

मिलावटी खाद्य पदार्थाें के साथ बासी, तैलीय, कीड़े लगी, फफूंद लगी हुई, सड़ चुकी खाद्य सामग्री का उपयोग गंदगी, अनहाइजीनिक कंडीशन में बनने वाले खाद्य उत्पाद बेहद नुकसान दायक हैं, और कई बीमारियां और संक्रमण पैदा करते हैं.

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मिलावट की वजह से हो रही बीमारियां

इन सब का प्रभाव यह हुआ है कि हम ढेर सारी बीमारियों से जूझ रहे हैं, जिनमें स्किन कैंसर, लिवर कैंसर, पाचन संस्थान के रोग, डायरिया, पेट दर्द, मितली, उल्टी, आंखों की समस्या, सरदर्द, खून की कमी, नींद की कमी, मस्तिष्क को क्षति, जोडों का दर्द ड्रॉप्सी, कार्डियक अरेस्ट, ग्लूकोमा, गुर्दों में खराबी, पाचन तंत्र के विकार इन सब नए-नए रोगों के चलते, डाक्टरों के पास लंबी-लंबी कतारें लगने लगी हैं.

हमें सबसे अधिक पोषण फल और सब्जियों से मिलता है. एफएसएसएआई (FSSAI) की रिपोर्ट के अनुसार बाजारों में बेची जा रही सब्जियों में कम से कम 9 प्रतिशत सब्जियां खाने योग्य नहीं हैं. इनमें खतरनाक रसायन एवं कीटनाशक पाए गए हैं. कीडे़ मकोड़े और बीमारियों की रोकथाम के लिए अनाज, फल, सब्जियों आदि पर बेशुमार पेस्टिसाइड का उपयोग किया जाता है, जिसका असर इनको धोने पर भी नहीं जाता है. यह पेस्टिसाइड शरीर के प्रमुख अंगों पर जहरीला असर डालते हैं.

ऐसे ही भारत में दूध में मिलावट एक भयानक चुनौती है. दूध में पानी, सपरेटा वाला नकली दूध, सपरेटा पनीर, दूध से क्रीम निकाल लेना, मक्खन में अखरोट और मैदा, आईसक्रीम, केक आदि में बनावटी मिठास और हानिकारक रंग एक चुनौती है, तो घी में वनस्पति तेल, पाम ऑयल, एसेंस मिलाना, सरसों के तेल में सत्यानाशी का तेल या दूसरे सस्ते तेल मिलाना. ड्राईफ्रूट्स और दालों को कलर करना, उन पर पाॅलिश करना, मसालों में डंठल, छिलके पीस देना, रंग मिलाना केमिकल्स का प्रयोग काफी आम हो चुका है.

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यह भी प्रकाश में आया है कि पैक्ड फूड में 3600 प्रकार के केमिकल पाए गए हैं, जिसमें से 100 अत्यंत हानिकारक हैं. अब तो नमक तक में मिलावट होने लगी है.

भारत में दूध में मिलावट एक भयानक चुनौती है. दूध में पानी, सपरेटा वाला नकली दूध, सपरेटा पनीर, दूध से क्रीम निकाल लेना, मक्खन में अखरोट और मैदा, आईसक्रीम, केक आदि में बनावटी मिठास और हानिकारक रंग एक चुनौती है,

राजस्थान में मिलावट के खिलाफ अभियान

राजस्थान में मिलावट को रोकने के लिए राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी ने ‘‘शुद्ध आहार मिलावट पर वार'' अभियान 15 फरवरी, 2024 से प्रारम्भ किया है, जिसमें मिलावटी खाद्य पदार्थ बनाने वालों के खिलाफ सशक्त कार्रवाई की जा रही है.

राजस्थान में 1 जनवरी, 2024 से अगस्त 2024 तक 49291 किलो खराब खाद्य सामग्री नष्ट करवाई गई इस दौरान 9295 खाद्य नमूनों में से 2227 नमूने फेल हो गए और इसका प्रतिशत बहुत ज्यादा है. इसी अवधि में लगभग 7.5 करोड़ की पेनल्टी भी मिलावटखोरों पर लगवाई गई. इस दौरान 522 लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन कैंप आयोजित किए गए हैं, जिसमें 38283 लाइसेंस 243117 रजिस्ट्रेशन जारी किए गए हैं.

एफएसएसएआई नई दिल्ली द्वारा वित्तीय वर्ष 2023-24 में कार्यरत 98 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा एन्फोर्समेंट सैंपल लेने में निर्धारित लक्ष्य से कार्य कर राजस्थान राज्य संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर रहा, जो राज्य के लिए गौरव का विषय है.

राजस्थान ने बनाया रिकॉर्ड

1 जनवरी 2024 से 30 अगस्त 2024 में सीएमएचओ जयपुर प्रथम में 404 में से 118 प्रतिशत सैंपल फेल हो गए जो मिलावट का 30 प्रतिशत होता है. सीएमएचओ-द्वितीय में 482 में से 138 सैंपल फेल हुए जो 29 प्रतिशत है.

जनवरी से अगस्त तक राज्य स्तर पर लिए 9295 सैंपल में से 2227 सैंपल मिलावटी और जनस्वास्थ्य के लिए अस्वास्थ्यकर पाए गए. मिलावट का यह प्रतिशत लगभग 24 प्रतिशत पाया गया है.

राजस्थान में 7-8 अगस्त को 2284 खाद्य प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण भी करवाया गया एवं नोटिस दिए गए, जो कि एक विश्व रिकाॅर्ड है, जिसे वर्ल्ड बुक रिकाॅर्ड लंदन ने अपने रिकार्ड में शामिल किया है.

उपरोक्त के अतिरिक्त नकली दूध, मावा, पनीर, सब्जियां मसाले, ग्रेवी, कटे हुए फल फंगस लगे खाद्य पदार्थ, दूषित और बदबूदार पदार्थ, एक्सपायर्ड खाद्य सामग्री, गंदगी में बने खाद्य पदार्थ, सड़ेे-गले, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की धारा 38(4) एवं एक्ट के शेड्यूल IV के अनुसार ऐसी खाद्य सामग्री को मौके पर ही नष्ट कराया जाता है जो कि आमजन के लिए अत्यंत हानिकारक होती है.

राजस्थान में 7-8 अगस्त को 2284 खाद्य प्रतिष्ठानों का औचक निरीक्षण भी करवाया गया एवं नोटिस दिए गए, जो कि एक विश्व रिकाॅर्ड है, जिसे वर्ल्ड बुक रिकाॅर्ड लंदन ने अपने रिकार्ड में शामिल किया है.

राजस्थान में मिलावटी वस्तुओं और मिलावटखोरों के खिलाफ लगातार जबरदस्त अभियान चलाए जा रहे हैं एवं लगभग 3.5 लाख किलो नकली और मिलावटी सामग्री भी सीज की गई है तथा राजस्थान 284 प्रतिशत सैंपल लेकर देश में सैंपलिंग में प्रथम स्थान रखता है.

वर्ष 2023-24 की जारी स्टेट फूड सेफ्टी इंडेक्स में राजस्थान ने 100 में से 54.75 अंक प्राप्त कर संपूर्ण देश में छठा स्थान प्राप्त किया है, जो राजस्थान की अब तक की सर्वोच्च उपलब्धि है.

कानून में सजा के प्रावधान

मिलावट में लैब रिपोर्ट के अनुसार मिसब्रांड पाए जाने पर 3 लाख रु तक जुर्माना, मिसलीडिंग पर 10 लाख तक का जुर्माना व सबस्टैंडर्ड पाए जाने पर 5 लाख तक जुर्माना और अनसेफ आने पर 3 माह से आजीवन कारावास तक की सजा और 3 से 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

राजस्थान में मिलावट के प्रति जनजागरूकता के लिए एक अभियान भी चलाया जा रहा है. इसके तहत 320 फोस्टेक ट्रेनिंग करवाकर 17000 फूड हैंडलर्स को ट्रेनिंग दिलवाई जा चुकी है.

ईट राइट स्कूल सर्टिफिकेट 102 संस्थानों को दिए गए हैं, 18 को ईट राइट स्टेशन/बस स्टैंड जारी किए गए, क्लीन स्ट्रीट फूड हब बनाई गई है. ऐसे ही 15 वेजिटेबल मार्केट बनावाए गए और मंदिरों के लिए 54 भोग सर्टिफिकेट रजिस्टर किए गए. 127 ईट राइट कैम्पस बनाए गए. सभी संभाग मुख्यालयों पर मिलेट मेलों का आयोजन किया गया.

इसके साथ ही होटल फेडरेशन होटल एसोसिएशन और राजस्थान यूनिवर्सिटी के हाोम साइंस विभाग, काॅमर्स काॅलेज, महारानी काॅलेज में जनजागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

लेखक परिचय -  पंकज कुमार ओझा राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) के एक वरिष्ठ अधिकारी हैं. वर्तमान में 
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण विभाग में अतिरिक्त आयुक्त (Additional commissioner, Food safety and drug control) के पद पर कार्यरत हैं.