This Article is From Jul 23, 2023

राजस्थान में राज का रिवाज़ बदलने को बेताब गहलोत

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अनिल शर्मा

राजस्थान विधानसभा चुनाव इस बार बेहद रोचक होने जा रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज के रिवाज़ की रवायत बदलने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर हाल में राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार देखना चाहते हैं, और इसके लिए वह खुद और अन्य बड़े BJP नेता लगातार प्रदेश के दौरे कर रहे हैं.

प्रदेश में सत्ता का जो चलन पिछले लगभग 25 वर्ष से देखने को मिलता है, वह एक बार कांग्रेस, तो दूसरी बार BJP की सरकार का रहा है. देखा यह भी गया है कि चार साल पूरे होते-होते 'एन्टी इन्कम्बेन्सी' माहौल में फैल जाती है और सरकार बदल जाती है. लेकिन जैसा मुझे लगता है, इस बार सरकार के ख़िलाफ़ इस तरह की धारणा कुछ हद तक नहीं है. हां, कांग्रेस के कुछ मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ एन्टी इन्कम्बेन्सी है और कांग्रेस को कुछ टिकट काटने पड़ेंगे. गहलोत यह नैरेटिव सेट करने में तो कामयाब हो गए हैं कि सरकार रिपीट हो सकती है, लेकिन ज़रा ठहरिए, अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि कौन अबकी बार सरकार बना रहा है.

मैंने कार से 2,000 किलोमीटर तक प्रदेश के कुछ भागों का दौरा किया, जिसमें एक बात तो यह सामने आई कि लोग गहलोत की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की खूब सराहना कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने लोगों को राहत देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, इंदिरा गांधी गैस सिलेंडर योजना, मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, दुर्घटना बीमा योजना, शहरी रोज़गार योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण रोज़गार योजना का लाभ लोगों को मिल रहा है. इसी तरह कामधेनु बीमा योजना और पालनहार योजना जैसी 10 योजनाओं पर सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च कर महंगाई राहत शिविर आयोजित किए, जो सफल रहे.

लेकिन इन शिविरों में कांग्रेस कार्यकर्ता नदारद थे, यह बात खटकने वाली थी. शिविरों में राज्य कर्मचारी ही थे, ज़्यादा कार्यकर्ता नहीं थे. बात सरकार को सोचनी होगी कि कार्यकर्ता ही होते हैं, जो वोटरों को पोलिंग बूथ तक लाते हैं, और उनके बूते ही सरकार बनती है, यह नसीहत राहुल गांधी भी सभी बड़े कांग्रेसी नेताओ को दे चुके हैं.

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गौर करने वाली बात यह है कि इस तरह की योजनाएं राजस्थान के लोगों ने पहले कभी नहीं देखी थीं. इन योजनाओं ने राजस्थान की जनता के मानस को गहलोत की तरफ काफ़ी हद कर दिया है. लोग कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने इस बार काम बहुत अच्छे किए हैं.

OPS की बात करें, तो वह भी सबसे पहले अशोक गहलोत ने घोषित की, जिसके दम पर कांग्रेस ने हिमाचल में सरकार बना ली थी. आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि करीब एक करोड़ लोग राज्य सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहे हैं. मुख्यमंत्री लाभार्थियों से बात कर रहे हैं, उनके सुझाव प्राप्त कर रहे हैं.

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दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजस्थान में आमदरफ़्त बढ़ गई है. वह भी कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे और कर रहे हैं. केंद्र की कई योजनाएं के तहत किसानों और अन्य लाभार्थियों के खातों में रकम ट्रांसफर की जा रही है. इस तरह यह चुनाव गहलोत के लाभार्थी बनाम मोदी के लाभार्थियों के बीच होने के भी आसार हैं.

कोई शक नहीं कि गहलोत की 10 योजनाओं का जनता में खासा असर देखने को मिल रहा है. उधर, गहलोत-पायलट विवाद भी निपटता नज़र आ रहा है. दूसरी ओर BJP संगठन बिखरा हुआ है, केवल राज्य सरकार की कमियों-खामियों को गिनाया जा रहा है, पार्टी में अंदरूनी कलह चरम पर है.

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इसीलिए, कांग्रेस को शुरुआती बढ़त मिलती दिख रही है, लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे हेराल्ड विल्सन के कथन को याद रखा जाना चाहिए, जिन्होंने कहा था, "राजनीति में एक सप्ताह भी बहुत लम्बा समय होता है...", और याद रहे, राजस्थान में तो चुनाव पांच महीने बाद होने हैं. सो, ऐसे में मतदाताओं पर गहलोत का जादू दिसंबर तक बरकरार रहेगा या नहीं, और इसे बनाए रखने के लिए वह क्या-क्या करते हैं, यह देखने वाली बात होगी.

अनिल शर्मा वरिष्ठ पत्रकार तथा राजनैतिक विश्लेषक हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.