This Article is From Jan 06, 2024

इससे पहले कि समाज में एनिमल 'पार्क' हो जाए, अरे थम जा रे बेंगा!

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Shiv Om Gupta

कहते हैं इंसान भी एक एनिमल है, यदाकदा इंसानों के एनिमल अवतार के दर्शन हम और आप रेप-गैंगरेप और मर्डर जैसे बर्बर अपराधों को सुनकर यह महसूस भी करते हैं. चूंकि इंसान खुद को प्रकृति की सबसे उत्कृष्ट रचना मानता है, तो धरती पर अपनी उत्कृष्टता का झंडा बुलंद रखने के लिए उसने समाज बनाए और उसके लिए नार्मस गढ़े.

सामाजिक नार्मस की ओढ़ी शाल जब खाल की तपिश बढ़ाती है, तो शाल उतारकर फेंकने वाले इंसानों का एनिमल अवतार बाहर आता है. अक्सर दिन ढलने के साथ इंसान अपने वास्तविक स्वरूप में होता है और उसकी हरकतों से तब जंगल का एनिमल भी शर्माता है.

फिल्म 'एनिमल' में रणबीर कपूर 

महाराष्ट्र की श्रद्धा वाकर के लिव इन पार्टनर अमीन पूनावाला की खाल से इंसानियत की शाल उतरती है तो वह कथित प्रेमिका को 35 टुकड़े कर डालता है. हैदराबाद की 26 वर्षीय वेटनरी डाक्टर को चार लड़के गैंगरेप के बाद जान से मार डालते हैं फिर उसकी लाश सड़क पर फेंक देते हैं, उन्नाव में एक हाई प्रोफाइल शख्स रेप के बाद 17 वर्षीय एक नाबालिग लड़की को जान से मार डालता है, हाथरस में 19 वर्षीय एक दलित लड़की से गैंगरेप के बाद आरोपी उसका मर्डर कर देता हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में गैंगरेप के बाद 8 वर्षीय एक मासूम की हत्या कर दी गई.    

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एनिमल की खाल में इंसानियत की शाल ओढ़कर घूम रहे इंसानों की क्रूरता का यह सिलसिला सदियों से चली आ रही है. साल 2023 में राजस्थान में घटी ज्यादातर अपराध की घटनाएं कमोबेश महिला केंद्रित रहीं. एनसीआरबी के आकंड़े भी इसकी तस्दीक करते हैं.

मार्च, 2023 में उदयपुर में रेप के बाद आरोपी ने 10 वर्षीय मासूम बच्ची के शव को 10 टुकड़ों में काट डाला, जुलाई, 2023 उदयपुर में दो महिलाओं का नग्न परेड कराया गया.इसी तरह अगस्त, 2023 में प्रतापगढ़ जिले में एक आदिवासी महिला को गांव में नग्न अवस्था में घुमाया गया. अगस्त, 2023 में भीलवाड़ा जिले में गैंगरेप के बाद एक नाबालिग के शव को फावड़े से काटकर आग के भट्टी में डाल दिया गया.

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उपरोक्त सभी घटनाएं इंसानियत की शाल ओढ़े इंसानों के एनिमल अवतार की बानगी है. एक इंसान के एनिमल अवतार में ट्रांफॉरमेशन को समझने के लिए आपको वर्ष 1992 में रिलीज हुई बॉलीवुड निर्देशक महेश भट्ट की फिल्म 'जुनून' जरूर देखनी चाहिए, जो कि हॉलीवुड फिल्म 'एन अमेरिकन वेयरवोल्फ इन लंदन' की एडोप्टेशन है.

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फिल्म जुनून में अभिनेता राहुल रॉय के किरदार को इंसान से एनिमल (शेर) में ट्रांसफॉरमेशन को बखूबी फिल्माया गया है. ट्रांसफॉरमेशन के बाद इंसान से नरभक्षी शेर में तब्दील हुआ नायक नरभक्षी ही नहीं, बल्कि बदचलन भी हो जाता है, जो शिकार के लिए इंसानी पैतरे आजमाता है.

वर्ष 2023 में रिलीज हुई फिल्म 'एनिमल' में इंसानों में मौजूद इसी एनिमल करेक्टर को उदघाटित किया गया है. एनिमल निर्देशक के शब्दों में कहें तो ऐसे अल्ट्रा मेल करेक्टर का दीदार संदीप रेड्डी वेंगा 2019 में रिलीज हुई अपनी पहली बॉलीवुड फिल्म 'कबीर सिंह' में करा चुके हैं. कबीर सिंह सुपरहिट रही तो वेंगा का मनोबल बढ़ा और उन्होंने एनिमल की पटकथा रच दी.

रणबीर कपूर स्टारर इस फिल्म का नाम भी संदीप रेड्डी ने एनिमल रखने से गुरेज नहीं किया. फिल्म कबीर सिंह में निर्देशक ने इंसान की नेचुरल इंस्टिंक्ट (Natural Instinct) को हथियार बनाया था. शाहिद कपूर स्टारर फिल्म कबीर सिंह में नायक का संवाद और रवैया गैर-पारंपरिक था, वेंगा ने संवाद लेखन में नेचुरल इंस्टिंक्ट को प्राथमिकता दी थी.

फिल्म कबीर सिंह में नायक के नेचुरल इंस्टिंक्ट वाले संवादों और रवैयों को दर्शकों ने हाथों-हाथ लिया. कुछ नारीवादी संगठनों ने फिल्म पर तीखी प्रतिक्रिया दी, लेकिन निर्देशक ने उनकी परवाह नहीं की. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर झंडे गाड़ दिए थे, जिसने बेंगा के मुंह में खून लगा दिया.

'कबीर सिंह' का प्रभाव बेंगा की दूसरी फिल्म 'एनिमल' के संवाद और उसकी पटकथा में भी दिखी. यह अलग बात है कि निर्देशक संदीप रेड्डी वेंगा ने एनिमल की कहानी में नेचुरल इंस्टिंक्ट की तासीर थोड़ा और बढ़ा दी. पर्दे पर रणबीर कपूर स्टारर एनिमल के नायक को कबीर सिंह की तुलना में ज्यादा जुनूनी, निर्दयी और हिंसक दिखाया गया.

फिल्म एनिमल में नायक रणबीर कपूर के पागलपन को सही ठहराने के लिए निर्देशक संदीप रेड्डी वेंगा द्वारा कहानी में पिता और पुत्र का इमोशनल ड्रामा रोपा. कहानी में पिता-पुत्र का रिश्ता महज एक प्लॉट था और प्लॉट पर चारदिवारी खड़ी करने के लिए नायक की हिंसा, क्रूरता और पागलपन को जस्टिफाई करने की कोशिश की गई.

Photo Credit: twitter

'एनिमल' में हिंसा और आतंक का हाई वोल्टेज ड्रामा क्रिएट करने के लिए फिल्म निर्देशक ने जानबूझकर पुलिस व प्रशासन जैसे किरदार को प्लॉट से दूर रखा और फिल्म की पूरी पटकथा लॉ लेस लैंड यानी जंगलराज पर लिख दी, एक बार भी युवाओं पर पड़ने वाले इसके दुष्प्रभावों की चिंता न निर्देशक ने की और न ही सेंसर द्वारा की गई.

उल्लेखनीय है फिल्में खासकर युवा पीढ़ी को बहुत प्रभावित करते हैं. रुपहले पर्दे पर निभाए अभिनेताओं के किरदारों को फैन्स फौरन फॉलो करने लग जाते हैं. फैन्स किरदारों के बोले गए संवादों को ही नहीं, उनके इंस्टिंक्ट को भी एडॉप्ट करने लग जाते हैं. मौजूदा दौर में सोशल मीडिया साइट्स पर अपलोड किए जाने वाले शॉर्ट वीडियोज में सीन रीक्रिएट करने का प्रचलन बढ़ा हैं.

कहते हैं विजुअल्स, टेक्स्ट की तुलना में अधिक मेमोराइज होते हैं और फैसलों को प्रभावित करते हैं. कल्पना कीजिए, अगर संदीप रेड्डी वेंगा के नेचुरल इंस्टिंक्ट वाले फिल्म कबीर सिंह और एनिमल के संवाद और रवैयों को अगर युवाओं ने एडॉप्ट कर लिया तो निकट भविष्य में समाज कैसा होगा, गढ़े गए सामाजिक नॉर्मस का क्या होगा?

कबीर सिंह और एनिमल की अपार सफलता के बाद निर्देशक संदीप रेड्डी वेंगा यहीं रुकने से रहे, लेकिन दोनों फिल्मों से समाज पर पड़ने वाले प्रभावों पर सेंसर बोर्ड कभी संज्ञान लेगा क्या? एनिमल का संभावित सीक्वल एनिमल पार्क साल 2024 में रिलीज हो सकती है.

संदीप रेड्डी वेंगा एनिमल की सीक्वल फिल्म 'एनिमल पार्क' में और खून-खराबा परोसंगे. डर है अगर यह एनिमल युवा पीढ़ी के मन और मस्तिष्क में पार्क हो गया, तो कल्पना कीजिए कि थियेटर से निकला युवा किस करवट बैठेगा. युवा फिल्मों से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं.

फिल्म एनिमल के अंतिम 5 मिनट में दिखाए गए सीक्वल 'एनिमल पार्क' के दृश्य खूनी हिंसा से भरे हुए हैं. निः संदेह 'एनिमल पार्क' में निर्देशक वेंगा नेचुरल इंस्टिंक्ट की गाड़ी पर बैठकर हिंसा और क्रूरता की गेयर का लेवल-अप करेंगे.

ऐसे में सेंसर बोर्ड की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, वो ऐसे कंटेंट को सिर्फ 'ए' सर्टिफिकेट  देकर अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती है. एनिमल में सोशल स्ट्रक्चर और नार्मस की धज्जी उड़ी है, उसको रफू करने के लिए कदम उठाने होंगे, वरना पर्दे से निकले एनिमल कब समाज में पार्क हो जाएंगे, पता भी नहीं चलेगा.

शिव ओम गुप्ता , पिछले एक दशक से अधिक सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में जुड़े हुए हैं. 'हिंदुस्तान दैनिक' से प्रिंट मीडिया से अपना करियर शुरू करने वाले फिलहाल एक डिजिटल पत्रकार हैं और वर्तमान में एनडीटीवी राजस्थान से जुड़े हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.