भजनलाल शर्मा भारतीय जनता पार्टी के सामान्य कार्यकर्ता से राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं. यह बात तो सभी जानते हैं, लेकिन वो कभी अखबार के ऑफिस में बैठकर खबरें भी लिखते थे, इस रहस्य से गुरुवार को खुद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पर्दा उठाया. भजनलाल शर्मा सरकार के पहले पूर्ण बजट में पत्रकारों के लिए बिशन सिंह शेखावत पत्रकारिता पुरस्कार, राजस्थान जर्नलिस्ट हेल्थ स्कीम और स्वतंत्र पत्रकारों के लिए अधीस्वीकरण में सरलीकरण की घोषणा की गई है. इन्हीं सौगातों को लेकर बड़ी संख्या में पत्रकार मुख्यमंत्री का आभार जताने पहुंचे.
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में अपने छात्र जीवन से जुड़े कई किस्से साझा किए. 90 के दशक की शुरुआत में बी.एड करने के बाद भजनलाल शर्मा पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे थे तो अपने गांव से भरतपुर बस से आया करते थे. उन दिनों वो उत्तर प्रदेश से निकलने वाले एक प्रमुख अखबार 'आज' के ऑफिस भी नियमित रूप से जाया करते थे. ऑफिस में बैठकर दो-तीन घंटे खबरें लिखा करते थे. 'आज' अखबार की तरफ से उनका प्रेस का परिचय पत्र बनाया गया था.
मुख्यमंत्री ने यह भी खुलासा किया कि वो एक अच्छे रीडर भी हैं और आज भी नियमित रूप से प्रतिदिन एक अच्छी पुस्तक के 3-4 पेज सोने से पहले जरूर पढ़ते हैं. जमीन से जुड़े हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस बात की प्रेरणा आज की युवा पीढ़ी को देते हैं कि हमें अच्छी पुस्तकों को पढ़ने की आदत को अपनाना चाहिए. यही अच्छी आदतें हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनने की सीख देती हैं. मुख्यमंत्री ने यह भी खुलासा किया कि प्रेमचंद के उपन्यासों को पढ़ना उन्हें पसंद है.
वैसे, भारतीय जनता पार्टी में पत्रकार से नेता बनने और फिर शीर्ष पर पहुंचने वालों में बड़े-बड़े नाम शामिल हैं. भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी अपने दौर के बड़े पत्रकारों में शामिल रहे थे. वो 'वीर अर्जुन' अखबार के संपादक रहे और उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र 'पाञ्चजन्य' का भी संपादन किया.
इसी श्रृंखला में भारत रत्न पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का नाम भी शामिल है, जो संघ के अंग्रेजी मुखपत्र 'ऑर्गेनाइज' में काम कर चुके हैं. संपादक एम.जे. अकबर, अरुण शौरी, चंदन मित्रा से लेकर अनेक ऐसे बड़े नाम हैं, जो भारतीय जनता पार्टी में सांसद और मंत्री रहे हैं. इन दिनों राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश भी एक अखबार के संपादक रहे हैं.
पिछले दिनों भजनलाल शर्मा ने यह खुलासा भी किया था कि जब उनका नाम मुख्यमंत्री के लिए लिया गया था तो उनको बिल्कुल इस बात का अनुमान नहीं था. उनकी सरकार को चलते हुए 8 माह बीत चुके हैं, लेकिन आज भी भजनलाल शर्मा का व्यक्तित्व वैसा का वैसा है, जैसा भाजपा कार्यालय में लोगों से मिलते वक्त रहता था. भजनलाल शर्मा जैसे राजनेताओं से आज की युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए, चाहें किसी भी पद पर पहुंच जाओ, पर व्यक्तित्व में सरलता बनी रहनी चाहिए. एक साधारण व्यक्ति से लेकर एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता तक मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से यह सीख ले सकता है कि मेहनत की राह थोड़ी कठिन जरूर होती है, पर उसका फल अंत में मीठा ही होता है.
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और करीब ढाई दशक से पत्रकारिता में सक्रिय है. अमर उजाला, दैनिक जागरण और राजस्थान पत्रिका जैसे राष्ट्रीय समाचार पत्रों में कार्य करने के बाद अब स्वतंत्र पत्रकार के रूप में सक्रिय राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और खेल के विषयों पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और वेबसाइट में निरंतर लेखन कार्य कर रहे हैं.
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