पिंक सिटी जयपुर कैसे बना गुलाबी शहर?

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Narenda Kumar Meena

Jaipur: राजस्थान की राजधानी जयपुर 18 नवंबर 2024 को अपनी स्थापना की 297वीं वर्षगांठ मना रहा है. एक शहर के तौर पर जयपुर के बसने और उसका नाम पिंक सिटी होने की कहानी बड़ी रोचक है. जयपुर भारत के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के पूर्व में स्थित है और तीन ओर से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है. जयपुर अपने इतिहास, संस्कृति व स्थापत्य कला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है. जयपुर शहर की स्थापना सन् 1727 ई. में आमेर के कछवाहा वंश के राजपूत राजा सवाई जयसिंह ने की थी, उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम जयपुर रखा गया गया था.

पिंक सिटी या गुलाबी शहर के नाम से प्रसिद्ध इस शहर को देश का पहला नियोजित शहर माना जाता है अपनी ऐतिहासिक व स्थापत्यकला संबंधित पहचान के लिए इसे भारत के पेरिस की भी संज्ञा दी गई है. जयपुर शहर राजस्थान की राजधानी होने के साथ-साथ राज्य की आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र भी है. 

जयपुर शहर की स्थापना के पीछे तात्कालिक आमेर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय की दूरदृष्टि था. तब आमेर राजधानी होती थी जो दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित थी. लेकिन आमेर की आबादी बढ़ने के साथ भूमि व जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा था.

जयपुर शहर पर्यटन की दृष्टि से देश में अपना एक विशेष महत्व रखता है जयपुर-दिल्ली और आगरा के साथ पश्चिमी स्वर्णिम त्रिभुज पर्यटन सर्किट का निर्माण करता है,  हाल ही में वर्ष 2019 में यूनेस्को ने जयपुर शहर को शहर नियोजन एवं वास्तुकला के मानदंडों के आधार पर विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है.

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जयपुर शहर की स्थापना का कारण

जयपुर शहर की स्थापना के पीछे तात्कालिक आमेर के राजा सवाई जयसिंह द्वितीय की दूरदृष्टि था. तब आमेर राजधानी होती थी जो दुर्गम पहाड़ियों के बीच स्थित थी. लेकिन आमेर की आबादी बढ़ने के साथ भूमि व जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता जा रहा था.

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इस समस्या से निजात पाने के लिये सवाई जयसिंह द्वितीय ने आमेर से महज 10 किलोमीटर दूर समतल स्थान वाले कुछ गांवों को मिलाकर जयपुर शहर बनाने की योजना बनाई. इन गांवों में नाहरगढ़‌, तालकटोरा, संतोष सागर, मोती कटला, गलताजी और किशनपोल जैसे नाम प्रमुख हैं.

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पत्रिका गेट

जयपुर शहर के निर्माण में वास्तुकला का उपयोग

जयपुर शहर के वास्तुकार बंगाली ब्राह्मण विद्याधर भट्टाचार्य थे. इनके द्वारा राजा सवाई जयसिंह के द्वारा देखे गए जयपुर शहर के सपने को साकार करने के लिए सन् 1727 ई. में एक रूपरेखा तैयार की गई. इसके आधार पर सन् 1727 ई. में ज्यामितीय तरीके से शहर का निर्माण प्रारंभ किया गया.

सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ‌विशाल परकोटा बनाया गया जिसमें सात किलेबंदी द्वार बनाए गए. पूर्व, पश्चिम व उत्तर में तीन द्वार हैं. पूर्वी द्वार सूरजपोल, पश्चिमी द्वार चांदपोल तथा उत्तरी द्वार आमेर व जयपुर को जोड़ता है. एक द्वार बाद में बनाया गया जिसे न्यू गेट नाम से जाना जाता है. 

भविष्य को ध्यान में रखते हुए शहर को 9 खंडो में विभाजित किया गया जिन्हें चौकड़ी कहा गया. इसमें से 2 खंड राज्य की इमारतों तथा महलों के लिए रखे गए. सबसे बड़ी चौकड़ी सरहद में राजमहल, रनिवास, जंतर-मंतर, गोविंद देवजी का मंदिर है शेष 7 खंड जनता के आवास के लिए आवंटित किए गए. शहर के उत्तर पश्चिम में नाहरगढ़ क़िला स्थित है जो मुकुट के समान दिखाई देता है.

जल महल

जयपुर शहर गुलाबी शहर कब हुआ

जयपुर को पिंक सिटी या गुलाबी नगरी कहा जाता है. इसकी भी एक कहानी है. ब्रिटिश राज के दौरान सन् 1876 में, प्रिंस ऑफ वेल्स भारत आए थे और उन्हें जयपुर के दौरे पर भी जाना था. जयपुर के तात्कालिक महाराजा रामसिंह द्वितीय ने उनका स्वागत कुछ अलग तरह से करने का फैसला किया.

महाराजा ने पूरे जयपुर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था. इसकी वजह यह थी कि गुलाबी रंग भारतीय संस्कृति में आतिथ्य का प्रतीक माना जाता है. और उसके बाद से ही जयपुर को पिंक सिटी या गुलाबी शहर कहा जाने लगा.

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लेखक परिचयः जयपुर स्थित नरेंद्र कुमार मीना ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से भूगोल में एमएससी की शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) पास की है. वह स्वतंत्र लेखक और टिप्पणीकार हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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