Rajasthan Cricket Association: राजस्थान में राजस्थान रॉयल्स के आईपीएल (IPL) मुक़ाबलों के बीच क्रिकेट को लेकर एक दूसरा ही मुक़ाबला छिड़ा हुआ है. ये मुक़ाबला राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) का है जिसका चुनाव लंबित है. पिछले साल राजस्थान में सरकार बदलने के साथ राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में भी बदलाव के प्रयास शुरू हो गए और यहीं से शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर. पिछले साल 28 मार्च को कमेटी गठित गई. कभी एसोसिएशन की कमान संभाल चुके वैभव गहलोत मुखर रहे तो अब एडहॉक कमेटी के भीतर ही तलवार खिंच गई है. पहले कमेटी के संयोजक जयदीप बिहाणी ने खेल परिषद और राजस्थान रॉयल्स पर आरोप लगाए. फिर धनंजय खींवसर समेत कमेटी के कई सदस्य संयोजक के ही खिलाफ हो गए.
लेकिन आरसीए और विवाद, हमेशा से एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं. बीते डेढ़ दशक के दौरान राजस्थान क्रिकेट कई दिग्गजों के बीच वर्चस्व की जंग का गवाह रहा. एसोसिएशन में ललित मोदी का कार्यकाल लंबे समय तक रहा है. ललित मोदी की एंट्री राजस्थान क्रिकेट में साल 2005 में शुरू हुई थी. उस समय ललित मोदी नागौर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने. लेकिन तब वो ख़ुद को ललित कुमार कहते थे. उस वक्त रूंगटा गुट का वर्चस्व राजस्थान के क्रिकेट में माना जाता था.
साल 2005 से वर्ष 2009 तक ललित मोदी आरसीए के अध्यक्ष रहे. साल 2009 के दिसंबर माह में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव हुए. 2009 में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनावों में ललित मोदी को संजय दीक्षित ने 19-13 के अंतर से हरा दिया. 2010 में ललित मोदी को देश छोड़कर भागना पड़ा. लेकिन कुछ ही महीनों में दीक्षित के समर्थक उनके खिलाफ हो गए और उनकी कार्यशैली के कारण उन्हें अविश्वास प्रस्ताव के ज़रिए पद से हटा दिया गया.
जब सीपी जोशी के भरोसेमंद दीक्षित ललित मोदी के साथ हो गए
2011 में जब जोशी ने अध्यक्ष पद जीता था, तब दीक्षित आरसीए के सचिव थे. दीक्षित ने जोशी को संस्था का अध्यक्ष बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सीपी जोशी तत्कालीन केंद्र सरकार में मंत्री भी थे. जोशी ने तब दिल्ली में व्यस्त होने के कारण लगभग सभी मामलों को दीक्षित को सौंप दिया था. हालांकि, बाद में दोनों के बीच दोस्ती खराब हो गई और दीक्षित को सचिव पद से हटा दिया गया. दीक्षित के निलंबन के बाद केके शर्मा को आरसीए का कार्यवाहक सचिव नियुक्त किया गया.
इसके बाद 2012 में आरसीए में तख्तापलट के लिए संजय दीक्षित ने अपने धुर विरोधी ललित मोदी से हाथ मिला लिया था. क्रिकेट एसोसिएशन में साल 2013 दिसंबर में चुनाव हुए. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी ने चेतावनी दे रखी है कि अगर मोदी इस चुनाव में जीते तो बीसीसीआई से आरसीए की सदस्यता समाप्त कर दी जाएगी. लेकिन कोर्ट ने चुनाव के परिणाम पर रोक लगा दी थी.
लंदन में बैठकर ललित मोदी ने जीता चुनाव
वहीं, राजस्थान में कांग्रेस की सरकार चले जाने और भाजपा की सरकार आ जाने के कारण आरसीए के सारे समीकरण उलट-पुलट हो गए. सीपी जोशी ने मोदी के सामने अपने विश्वासपात्र रामपाल शर्मा को चुनाव मैदान में अध्यक्ष पद के लिए उतारा. 6 मई 2014 को घोषित चुनाव परिणाम में ललित मोदी ने रामपाल शर्मा को अध्यक्ष पद पर पराजित किया, जिसके बाद मोदी ने एक बार फिर राजस्थान के क्रिकेट में अपना वर्चस्व कायम किया.
यह चुनाव ललित मोदी ने लंदन में बैठकर लड़ा. ललित मोदी की वापसी के बाद बीसीसीआई ने आरसीए को निलंबित कर दिया था. बीसीसीआई ने चेतावनी दी थी कि ललित मोदी को पद से और आरसीए के प्राथमिक निकायों से हटाए जाने तक निलंबन जारी रहेगा. इसके बावजूद, ललित मोदी नागौर जिला संघ के अध्यक्ष पद पर बने रहे.
फिर ऐसे हुआ ललित मोदी युग का अंत
वर्ष 2017 की 29 मई को आरसीए के चुनाव में ललित मोदी ने बेटे रूचिर मोदी को चुनाव में उतारा. रुचिर की सालभर पहले ही अलवर जिला अध्यक्ष के तौर पर एंट्री हुई थी. इसके बाद 22 वर्षीय रुचिर मोदी और 66 वर्षीय कांग्रेस नेता सीपी जोशी के बीच दिलचस्प मुकाबला हुआ और सीपी जोशी इस चुनाव में 19-14 के अंतर से विजयी हुए.
जब 2019 में कांग्रेस की सरकार बनी तो पार्टी के ही दो दिग्गज तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष रहे रामेश्वर डूडी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया. जोशी ने डूडी को नागौर जिला क्रिकेट संघ का अध्यक्ष मानने से इनकार कर दिया. दूसरी तरफ, डूडी गुट का कहना था कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद जोशी को नैतिकता के नाते आरसीए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
पर्दे के पीछे हुई सीपी जोशी बनाम रामेश्वर डूडी की जंग
साल 2019 के चुनाव में सीपी जोशी गुट से वैभव गहलोत मैदान में उतरे और सामने रामेश्वर डूडी ने नामांकन भर दिया. डूडी का नामांकन खारिज होने के बाद कांग्रेस के भीतर गुटबाजी सामने आ गई थी. इसके बाद डूडी गुट से रामप्रकाश चौधरी ने टक्कर दी. लेकिन जीत वैभव गहलोत की हुई. जब सरकार बदली तो साल 2024 में वैभव गहलोत ने इस्तीफा देते हुए बीजेपी सरकार पर आरसीए दफ्तर सील करने का आरोप लगाया. इसके बाद आरसीए में एडहॉक कमेटी बना दी गई, जिसे गठित हुए 13 महीने बीत चुके हैं. अब एसोसिएशन को इंतजार है नए अध्यक्ष का.
गौरव द्विवेदी NDTV में पत्रकार हैं.
डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
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