Rajasthan: केकड़ी जिले के विक्रम पंवार ने 16 साल सेना में सेवाएं दी. फिर एक्स-सर्विसमैन कोटे से सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किया. लेकिन उन्हें क्या पता था कि इसके बाद एक और चुनौती उनका इंतजार कर रही है. 3 साल पहले एसआई भर्ती पास कर चुके विक्रम को अब पोस्टिंग का इंतजार हैं. साल 2018 में एसआई और आरएएस, दोनों भर्ती परीक्षाओं में उनका चयन हो गया था. लेकिन उन्होंने एसआई नौकरी का विकल्प चुना. अब 43 वर्षीय विक्रम को परीक्षा रद्द होने का डर सता रहा है. उनके लिए उम्र के इस पड़ाव पर किसी अन्य भर्ती के लिए आवेदन कर पाना संभव नहीं है. और अब दिन-रात यही दर्द उन्हें सताता है. लेकिन यह दर्द विक्रम जैसे लाखों युवाओं का है.
एक ओर वो सैकड़ों लोग खड़े हैं, जो ईमानदारी से परीक्षा पास करके आए. लेकिन नकल गिरोह की करतूतों से भर्ती रद्द होने का संकट है. इनमें कई युवा ऐसे भी हैं, जिन्हें पहली नौकरी पाने का इंतजार है. कई युवा ऐसे भी है, जिनकी तैयारी के लिए घर-परिवार ने कर्ज लिया. यह भरोसा था कि नियुक्ति मिलने के बाद शायद उस कर्ज को चुका देंगे. लेकिन जिस भर्ती के सहारे उनका पूरा भविष्य टिका हुआ है, वह कोर्ट के दरवाजे पर खड़े फैसले के इंतजार में हैं. एकेडमी तक पहुंचे इन युवाओं के लिए एक-एक रात काट पाना किसी चुनौती से कम नहीं है.
इन सैकड़ों युवाओं के सामने अब यही परेशानी है कि आयु सीमा के चलते सरकारी भर्ती के लिए एग्जाम दे पाना लगभग असंभव है. इन अभ्यर्थियों का सवाल यही है कि एजेंसी ने गड़बड़ी कर परीक्षा पास करने वालों को पकड़ भी लिया. उन्हें आगे भी जांच जारी रखते हुए आरोपियों तक पहुंचना चाहिए. लेकिन इसकी सजा उन युवाओं को क्यों मिले जिन्होंने ईमानदारी से तैयारी करने के बाद परीक्षा पास की.
लाखों युवाओं का सवाल- जब पेपर लीक हुआ तो परीक्षा रद्द क्यों नहीं?
लेकिन सिर्फ यही एक पक्ष नहीं है. दूसरी ओर, वो युवा भी हैं जो परीक्षा से बाहर हो गए और अब पेपर लीक की पुष्टि होने के बाद खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. ऐसे ही एक अभ्यर्थी विकास बिधूड़ी परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं. परीक्षा रद्द करने की मांग करने वाले नौजवानों का तर्क है कि जब 11 एफआईआर हो चुकी है तो सरकार फैसला लेने में देर क्यों कर रही है. पहली एफआईआर तो परीक्षा वाले दिन (13 सितंबर 2021) को ही पाली में दर्ज हो गई थी. एसओजी ने बताया था कि 35 दिन पहले पेपर लीक हो चुका है.
इस मामले में जगदीश बिश्नोई गैंग, पौरव कालेर गैंग और हरियाणा गैंग तक की संलिप्तता पाई गई हैं. पुलिस मुख्यालय ने भी माना कि पेपर रद्द होना चाहिए, इसके बाद सरकार का पक्ष रखने वाले एडवोकेट जनरल भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि पेपर रद्द किया जाना चाहिए. सरकार की ओर से गठित 6 मंत्रियों की समिति की कथित तौर पर लीक रिपोर्ट में भी यही बात सामने आई है. अब सरकार कह रही है कि हम फैसला करने ही वाले थे कि मामला कोर्ट में चला गया.
सरकार के लिए ये बहुत बड़ी परीक्षा है. इसमें उसे इन दो सवालों के जवाब देने हैं - परीक्षा रद्द हो तो कैसे, और ना की जाए तो क्यों नहीं? इन सवालों के जवाब देने के लिए सरकार के पास अब 2 महीने का वक्त है.
गौरव द्विवेदी NDTV में पत्रकार हैं.
डिस्क्लेमर: इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.
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